Book Title: Chahdhala 1
Author(s): Daulatram Kasliwal
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 84
________________ छहढ़ाला प्रश्न ४–व्यय किसे कहते हैं ? उत्तर-द्रव्य में पूर्व पर्याय के नाश को व्यय कहते हैं । जैसे-चूड़ी पर्याय की उत्पनि बुण्डल पर्शय का नाश हैं। प्रश्न ५–धौव्य किसे कहते हैं ? उत्तर-वस्तु को नित्यता को धोव्य कहते हैं। प्रश्न ६–लोक किसे कहते हैं ? उत्तर-जिसमें छहों द्रव्य पाये जाते हैं उसे लोक कहते हैं । प्रश्न ७–लोक भावना का स्वरूप बताइए ? उत्तर-छह द्रव्यों से परिपूर्ण यह संसार न किसी के द्वारा बनाया गया है और न कोई इसकी रक्षा या नाश कर सकता है । ऐसे संसार में यह जीव समता भाव के अभाव में भ्रमण करता हुआ दुःख भोगता है ऐसा चिंतन करना लोक भावना है। (११) बोधि दुर्लभ भावना अन्तिम ग्रीवक लों की हद, पायो अनन्त बिरिया पद । · पर सम्यग्ज्ञान न लाधौ, दुर्लभ निज में मुनि साधी ।।१३।। :, शब्दार्थ..अन्तिम ग्रीवकः = नवमें ग्रेवेयक | ग्रीवक = सोलहवें स्वर्ग के ऊपर का स्थान । अनन्त बिरिया + अनन्त 'बार । पद = स्थान । लाधौ. = पाया । साधौ-= सिद्ध किया : . .. ...' अर्थ: इस जीव में नबमें चेयक के पद अनन्त बार पाये किन्तु सम्यग्ज्ञान नहीं पाया. । ऐसे दुर्लभ सभ्याज्ञान को मुनि अपनी आत्मा में धारण करता है। ...::.: ... ... .. .. ... प्रश्न १–अनेयक किस स्थान को कहते हैं ? .. ..: उत्तर-सोलहवें स्वर्ग के ऊपर और अनुदिशा से नीचे के अहमिन्द्रों का निवास स्थान अवेयक कहलाता है । . . . . . . . . प्रश्न २ संसार में सबसे अधिक कठिनता से क्या प्राप्त होता है ? उत्तर–सम्यग्ज्ञान संसार में सबसे अधिक कठिनता से प्राप्त होता है । प्रश्न ३-बोधि दुर्लभ भावना किसे कहते हैं ? उत्तर-अहमिन्द्र पद पाना सरल है, किन्तु सम्यग्ज्ञान की प्राप्ति

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