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छहढाला
१६ उत्पादन दोष ( पात्र के आश्रित )
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जीवक,
(५) वनीपक, (६) चिकित्सा, (७) क्रोध, (८) मान, (९) माया ( १० ) लोभ (११) पूर्व स्तुति (१२) पश्चात्स्तुति, (१३) विद्योत्पादन, (१४) मंत्रोत्पादन, (१५) चूर्णोत्पादन, (१६) मूलकर्म ।
१४ एषणा दोष
(१) शङ्कित, (२) प्रक्षित, (३) निशिप्त, (४) पिहित, (५) संव्यवहरण, (६) दायक, (७) उन्मिश्रण, (८) अपरिणत, (९) लिप्त, (१०) परित्यजन, (११) संयोजना, (१२) अप्रमाण, (१३) अंगार और (१४) धूम दोष |
प्रश्न २ -- तप किसे कहते हैं ?
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उत्तर- इच्छा के रोकने को तप कहते हैं ।
दो भेद – (१) अन्तरंग और (२) बहिरंग |
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बाह्य ताप के ६ भेद---(१) अनशन, (२) ऊनोदार, (३) वृत्तिपरिसंख्यान, (४) रसपरित्याग, (५) विविक्तशय्यासन, (६) कायक्लेश अन्तरंग तप के ६ भेद - ( १ ) प्रायश्चित्त, (२) विनय, (३) वैय्यावृत्ति, (४) स्वाध्याय, (५) व्युत्सर्ग और (६) ध्यान |
प्रश्न ३ – शौच, ज्ञान एवं संयम के उपकरणों के नाम बताइए ? उत्तर - शाँच या शुद्धि का उपकरण
- कमण्डलु
- शास्त्र
— मयूर - पीछी हैं।
ज्ञान का उपकरण
एवं संयम का उपकरण
प्रश्न ४ – मुनिराज आहार क्यों लेते हैं ?
उत्तर- मुनिराज तप की वृद्धि के लिये आहार लेते हैं। शरीर को पुष्ट करने के लिये वे कभी आहार नहीं लेते हैं ।
तीन गुप्ति एवं पंचेन्द्रिय विजय
सम्यक् प्रकार निरोध मन वच, काय आतम ध्यावतै ।
तिन सुथिर मुद्रा देखि मृग गण, उपल खाज खुजावतै ।। रस रूप गन्ध तथा फरस अरु शब्द सुह असुहावने । तिनमें न राग विरोध, पंचेन्द्रिय, जयन पद पावने |१४||
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