Book Title: Chahdhala 1
Author(s): Daulatram Kasliwal
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 89
________________ छहदाला करनेवाले । श्रुति = कान । सुखद = प्रिय । संशय = संदेह । भ्रन = विपर्यय । मुखचन्द्र = मुखरूपी चन्द्रमा । झरै = निकलते हैं। अर्थ (१) जो अन्तरंग १४ प्रकार के और १० प्रकार के बहिरंग से सदा दूर हैं वे परिग्रह त्याग महाव्रती कहलाते हैं । (२) आलस्य छोड़कर चार हाथ जमीन आगे देखकर चलना ईर्यासमित्ति है । (३) जिन मुनिराजों के मुखरूपी चन्द्रमा से संसार का कल्याण करनेवाले, सब बुराइयों को नष्ट करनेवाले, कानों को प्रिय लगनेवाले, सब संदेहों को दूर करनेवाले, मिथ्यात्वरूपी रोगों को दूर करनेवाले वचन अमृत के समान झरते हैं, निकलते हैं । प्रश्न १--भाषा समिति किसे कहते हैं ? उत्तर-हित, मित, परमित, प्रिय सब सन्देहों को दूर करनेवाले, मिथ्यात्वरूपी रोग को दूर करनेवाले वचन जिसमें बोले जाते हैं वह भाषा समिति है । प्रश्न २-मुनियों की वाणी कैसी होती है ? उत्तर–जग सुहित कर सब अहित हर, श्रुति सुखद सब संशय हरें ! भ्रम रोग हर जिनके वचन, मुख-चन्द्रते अमृत झरै ।। जगत का हित करनेवाली, अहित नाशक, संशय को दूर करनेवाली कर्णप्रिय, भ्रम रोगों को हरनेवाली मुनियों की वाणी चंद्रमा की चाँदनी के समान अमृतमयी होती है । प्रश्न ३-प्रमाद किसे कहते हैं ? उत्तर–आवश्यक क्रियाओं में उत्साह नहीं होना प्रमाद है । इसके (प्रमाद के) १५ भेद हैं-४ विकथा, ४ कषाय, ५ इन्द्रिय विषय, १ निद्रा और १ स्नेह । प्रश्न ४-...चार विकथाओं के नाम बताइये? उत्तर-स्त्री-कथा, भोजन-कथा, राज-कथा और चोर-कथा । प्रश्न ५–महाव्रत किसे कहते हैं ? उत्तर-हिंसादि पाँच पापों का पूर्ण त्याग करना महाव्रत कहलाता है | प्रश्न ६–महाव्रतों का पालन कौन करते हैं ? उत्तर—दिगम्बर मुनि महाव्रतों का पालन करते हैं इसी कारण उन्हें महाव्रती साधु भी कहते हैं । प्रश्न ७–परिग्रह किसे कहते हैं ?

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