Book Title: Chahdhala 1
Author(s): Daulatram Kasliwal
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 86
________________ छहढ़ाला उत्तर–सम्यग्दर्शन.. सम्याज्ञान और सम्याचारित्र ही सच्चा धर्म हैं । इसके धारण करने पर ही मोक्षसुख मिलता है. ऐसा विचार करना धर्मभावना है । निश्चय थम धारण करने का अधिकारी सो धर्म मुनिनकरि धरिये, तिनकी करतूत उचरिये । ताको सुनिये भवि प्राणी, अपनी अनुभूति पिछानी ।।१५।। शब्दार्थ---सो = वह धर्म । मुनिनकरि = मुनियों के द्वारा । धरिये = पालन किया जाता है । करतूत = कर्त्तव्य । उचरिये = कहते हैं । भवि प्राणी = भव्य जीव । अनुभूति = अनुभव । पिछानी = पहचानो। ___ अर्थ—उस धर्म को मुनिराज धारण करते हैं, इसलिए उनके कर्तव्यों का वर्णन किया जाता है । हे भव्य जीवो ! उन मुनि के कर्तव्यों को सुनो और अपने आत्मा के अनुभव को पहचानो । प्रश्न १-पूर्ण रत्नत्रय धर्म किसके द्वारा पालन किया जाता है। उत्तर-वह रत्नत्रय धर्म निग्रंथ दिगम्बर मुनियों के द्वारा पालन किया जाता है।

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