Book Title: Chahdhala 1
Author(s): Daulatram Kasliwal
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 83
________________ छहढ़ाला या गिरतो हैं, उसी प्रकार सविपाक निर्जरा में कर्म अपनी स्थिति पूर्ण होने पर ही फल देकर झड़ते हैं । प्रश्न ४-सकाम निर्जरा किसे कहते हैं ? उत्तर-तप के द्वारा कर्मों का असमय में खिरा देना सकाम या अविपाक निर्जरा कहलाती है । जैसे---कोई कच्चा आम तोड़कर पाल में दबा कर असमय में पका दिया जाता है, उसी प्रकार अविपाक निर्जरा में कर्मस्थिति पूर्ण हुए बिना ही तप के द्वारा नष्ट कर दिये जाते हैं । प्रश्न ५-कर्म किसे कहते हैं ? उत्तर-आत्मा के असली स्वभाव को ढकनेवाले पुद्गल परमाणु कर्म कहलाते हैं । (१०) लोक भावना किनहू न करै न धरै को, षट् द्रव्यमयी न हरे को । सो लोकमाहि दिन समता, दुख सहै जीव नित भ्रमता ।।१२।। शब्दार्थ-किनहूँ = कोई । करै = बनाता है । घरै = रक्षा करता है । हर = नाश करता है । षद् द्रव्यमयी = छ: द्रव्य स्वरूप । समता = शांति (समभाव ) । भ्रमता = घूमता-फिरता । अर्थ-छह द्रव्यों से भरे हुए इस संसार को न कोई बनाता है, न रक्षा करता है, न ही नाश कर सकता है। ऐसे इस संसार में समताभाव के बिना हमेशा भटकता हुआ यह जीव दुःखों को सहता है। प्रश्न १-छह द्रव्यों के नाम बताओ? उत्तर-(१) जीव, (२) पुदगल, (३) धर्म, (४) अधर्म, (५) आकाश, और (६) काल ।। प्रश्न २-~-द्रव्य किसे कहते हैं ? । उत्तर--जो उत्पाद, व्यय और ध्रौव्य सहित हो उसे द्रव्य कहते हैं | प्रश्न ३--उत्पाद किसे कहते हैं ? उत्तर-नई पर्याय की उत्पत्ति को उत्पाद कहते हैं। जैसे-सोने के कुण्डल का हार या चूड़ी बनाना ।

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