Book Title: Chahdhala 1
Author(s): Daulatram Kasliwal
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 65
________________ ३ छहढाला प्रश्न १-पुण्य का फल क्या है ? उत्तर-पुण्य का फल अरहंत पद की प्राप्ति है । पुण्यभला अरहन्ता प्रश्न २...पाप का फल क्या है ? उत्तर–पाप का फल नरक व तिर्यञ्चगति एवं दरिद्रता आदि हैं । प्रश्न 3-पृद्गल किसे कहते हैं ? उत्तर-(१) जिसमें पूरण और गलन होता है उसे पुद्गल कहते हैं । (२) जिसमें स्पर्श, रस, गंध, वर्ण पाया जाय उसे पुद्गल कहते हैं। प्रश्न ४–पर्याय किसे कहते हैं ? उत्तर–परिणमन को पर्याय कहते हैं । प्रश्न ५---गुण किसे कहते हैं ? उत्तर--जो द्रव्य के सब भाग और सब हालतों में सदा रहता है, उसे गुण कहते हैं। प्रश्न ६-- लाख बातों को एक बात क्या है ? "तोरि सकल जग दंद-फंद नित आतम ध्यावो" उत्तर-संसार के सारे झगड़ों को छोड़कर प्रतिदिन अपनी आत्मा का ध्यान करना चाहिये। सम्यक्चारित्र धारण का समय, भेद व अहिंसा सत्याणुगत का लक्षण सम्यग्ज्ञानी होय, बहुरि दिढ़ चारित लीजै । एक देश अरु सकलदेश, तसु भेद कहीजै ।। त्रसहिंसा को त्याग, वृथा थावर न संधारै । पर वधकार कठोर निन्छ, नहिं ययन उचारै ।।९।। शब्दार्थ- होय - होकर । बहुरि = पीछे । दिढ़ = अटल । चरित = सम्यक्चारित्र । लीजै - पालन करना चाहिये । कहीजै = कहे गये हैं ।

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