Book Title: Chahdhala 1
Author(s): Daulatram Kasliwal
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 57
________________ छहढाला शब्दार्थ-तास = उस सम्यग्ज्ञान । परोक्ष = इन्द्रिय सापेक्ष । परतछि = प्रत्यक्ष इन्द्रिय निरपेक्ष । तिनमाहीं = उनमें । अक्ष = इन्द्रिय । दोय = दोनों 1 उपजाहीं = उत्पन्न होते हैं । देश-प्रतच्छा = एक देश प्रत्यक्ष । द्रव्य = पदार्थ । क्षेत्र = स्थान । परिणाम = सीमा । जिय = जीव । स्वच्छा = स्पष्ट । अर्थ उस सम्यग्ज्ञान के भी दो भेद हैं--(१) परोक्ष, (२) प्रत्यक्ष । परोक्ष-जो इन्द्रिय और मन की सहायता से उत्पन्न होता है वह परोक्षज्ञान है | मतिज्ञान और श्रुतज्ञान परोक्ष हैं। देश-प्रत्यक्ष-जिससे जीव द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव की मर्यादा लेकर रूपी पदार्थों को स्पष्ट जानता है वह देश प्रत्यक्षज्ञान हैं । अवधिज्ञान और मन:पर्ययज्ञान देश प्रत्यक्ष हैं। प्रश्न १--प्रत्यक्ष किसे कहते हैं ? उत्तर—बिना किसी के निमित्त से होनेवाला ज्ञान प्रत्यक्ष है । प्रश्न २–मतिज्ञान किसे कहते हैं ? उत्तर–इन्द्रिय और मन की सहायता से वस्तु को जाननेवाला ज्ञान मतिज्ञान कहलाता है। प्रश्न ३--श्रुतज्ञान किसे कहते हैं ? उत्तर--मतिज्ञान के द्वारा जाने हुए पदार्थ के विशेष रूप से जाननेवाला ज्ञान श्रुतज्ञान है। प्रश्न ४–अवधिज्ञान किसे कहते हैं ? उत्तर-द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव की मर्यादा सहित रूपी पदार्थों को स्पष्ट जाननेवाला ज्ञान अवधिज्ञान हैं । प्रश्न ५ --मन:पर्ययज्ञान किसे कहते हैं ? उत्तर-द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव की अपेक्षा से मन में स्थित सरल और जटिल पदार्थों को माननेवाला ज्ञान मनःपर्ययज्ञान है । प्रश्न ६-केवलज्ञान किसे कहते हैं ? उत्तर-छहों द्रव्यों की तीनों कालों और तीनों लोकों में होनेवाली समस्त पर्यायों को एकसाथ दर्पण के समान स्पष्ट जाननेवाला ज्ञान केवलज्ञान कहलाता है।

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