Book Title: Chahdhala 1
Author(s): Daulatram Kasliwal
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 38
________________ छहढ़ाला प्रश्न ९–मोक्षमार्गी कौन हैं ? उत्तर–उत्तम अन्तरात्मा, मध्यम अन्तरात्मा और जघन्य अन्तरात्मा तीनों मोक्षमार्ग पर चलनेवाले हैं । प्रश्न १०-परमात्मा किसे कहते है ? उत्तर-कर्ममल से रहित परम पद में स्थित आत्मा परमात्मा है । प्रश्न ११– परमात्मा के भेदं कितने हैं ? उत्तर—'सकल निकल परमातम द्वैविध"-(१) सकल परमात्मा, (२) निकल परमात्मा । प्रश्न १२-कल का क्या अर्थ हैं ? उत्तर- कल यानी शरीर | प्रश्न १३-सकल परमात्मा का लक्षण बताइए ? उत्तर–तिनमें घाति निवारी, श्री अरहन्त सकल परमातम, लोकालोक निहारी । घातिया कर्मों से रहित, लोकालोक को जाननेवाले अरहन्त परमेष्ठी सकल परमात्मा हैं । "स" यानी सहित । "कल'" यानी शरीर, शरीर सहित । प्रश्न १४–धातिया कर्म किसे कहते हैं ? उत्तर---जो आत्मा के असली स्वरूप को घाते हैं, उन्हें घातिया कर्म कहते हैं। प्रश्न १५-घातिया कर्म कितने हैं ? उत्तर-चार-(१) ज्ञानावरणी, (२) दर्शनावरणी, (३) मोहनीय, (४) अन्तराय। उत्तम ऋद्धिधारी मुनियों की अपेक्षा छठे गुणस्थानवर्ती मुनियों को मध्यम अन्तरात्मा कहा है, वास्तव में तो मुनिजन उत्तम अन्तरात्मा ही हैं । प्रश्न १६---अन्तरात्मा किसे कहते हैं ? उत्तर-अपने भेद विज्ञान से आत्मा को देहादि परवस्तुओं से भिन्न माननेवाला जीव अन्तरात्मा कहलाता है । प्रश्न १७-शुद्धोपयोगी किसे कहते हैं ? उत्तर-शुभ-अशुभ रागद्वेष की परिणति से रहित ज्ञान दर्शन की अवस्थायुक्त जीव (आत्मा) शुद्धोपयोगी कहलाता है ।

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