________________
१६
छहढाला दाहरूपी दावान में समा और जो सर विलाप करते हुए दुःख को सहन किया ।
प्रश्न १-देवों के रहने का स्थान कहाँ है ? उत्तर–देवों के रहने का स्थान ऊर्ध्वलोक है । प्रश्न २--देवगति किसे कहते हैं ? उत्तर—देवगति नामकर्म के उदय से देवों में उत्पन्न होना । प्रश्न ३–देवों के कितने भेद हैं ?
उत्तर- (१) भवनवासी, (२) व्यन्तरवासी, (३) ज्योतिषी, (४) कल्पवासी ।
प्रश्न ४–भवनत्रिक किसे कहते हैं ? उत्तर—भवनवासी, व्यन्तर और ज्योतिषी देवों को भवनत्रिक कहते
प्रश्न ५–अकाम निर्जरा से जीव कहाँ पैदा होता है ? । उत्तर-अकाम निर्जरा का फल भवनत्रिक देवों में उत्पन्न होना है। प्रश्न ६–अकाम निर्जरा किसे कहते हैं ?
उत्तर- अनिश्चित भाव से कष्ट सहने पर क्षुधादि से विवश होने पर मन्दकषाय की हालत में कर्मों का फल देकर स्वयमेव झड़ जाना ।
प्रश्न ७-भवनत्रिक में दुःख किस प्रकार का होता है ?
उत्तर-विषय सेवन की इच्छा से निरन्तर पीड़ित रहता है तथा मृत्यु समय सारे वैभव को देख-देखकर विलाप करता है और छूटने के दुःख से रोता है ।
जो विमानवासी हूँ थाय, सम्यग्दर्शन बिन दुख पाय । तहते चय थावर तन धरै, यों परिवर्तन पूरे करै ।।१७।।
शब्दार्थ जो = यदि । विमानवासी = वैमानिक देव । थाय हुआ । तहते = वहाँ से । चयकर = मर कर । ( आकर ) थावर = स्थावर | यों = इस प्रकार |
अर्थ यह जीव विमानवासी देवों में भी पैदा हुआ तो वहाँ भी