Book Title: Chahdhala 1
Author(s): Daulatram Kasliwal
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 15
________________ छहढ़ाला प्रश्न २...इतने टुकड़े-टुकड़े हो जाने पर भी क्या नारकी मरते नहीं हैं ? उत्तर–नारकियों का बैंक्रियिक शरीर होता है । जिस प्रकार पारा के टुकड़े-टुकड़े होने पर भी फिर मिल जाता है, उसी प्रकार नारकियों का शरीर टुकड़े-टुकड़े होने पर भी फिर मिल जाता हैं । उनकी अकाल मृत्यु कभी नहीं होती है । कितनी भी मार-काट हो जाय, कोई भी जीव वहाँ से अकाल में मर नहीं सकता। प्रश्न ३-असुरकुमार देव कौन होते हैं ? उत्तर-भवनवासी देवों में एक असुरकुमार देव होते हैं । उनका काम ही नरकों में जाकर लड़ाई करवाना है । प्रश्न ४--नरकों में प्यास कैसी लगती है ? उत्तर-नरकों में इतनी प्यास लगती है कि सारा समुद्र का पानी पी जाय तो भी प्यास नहीं बझती । प्रश्न ५-पीने को पानी मिलता है या नहीं ? उत्तर-वहाँ एक बूंद भी पानी पीने को नहीं मिलता । नरक की भूख और मनुष्य गति में उत्पत्ति का कारण तीन लोक को नाज जु खाय, मिटै न भूख कणा न लहाय । ये दुःख बहुसागरलों सहै, करम जोगते नरगति लहै ।।१३।। शब्दार्थ-नाज = अन्न । कणा = दाना । लहाय = मिलता हैं । अर्थ-उन नरकों में भूख इतनी अधिक लगती है कि तीनों लोकों का अनाज भी खा लिया जावे तो भी भूख नहीं मिट सकती, परन्तु वहाँ पर एक दाना भी खाने को नहीं मिलता है । इस प्रकार के दुःख बहुत सागरों तक सह कर जीव फिर किसी शुभ कर्म के उदय से मनुष्य गति पाता है। प्रश्न १–तीन लोक कौन-कौन से हैं ? उत्तर-(१) ऊर्ध्वलोक, (२) मध्य-लोक, (३) अधोलोक । प्रश्न २...-नरकों में भूख कितनी लगती है ? उत्तर-नरकों में इतनी तेज भूख लगती हैं कि तीन लोक का अनाज खा लें।

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