Book Title: Chahdhala 1
Author(s): Daulatram Kasliwal
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 10
________________ छहड़ाला उपदेश सुनकर हित को ग्रहण करता है तथा अहित का त्याग करता है उसे सैनी कहते हैं। प्रश्न ४–सिंह के कितनी इन्द्रियाँ हैं ? तथा आपके कितनी इन्द्रियाँ हैं ? उत्तर–पाँच-पाँच । प्रश्न ५---सिंह और आप सैनी हैं या असैनी ? उत्तर–सिंह भी सैनी है । हम भी सैनी हैं । प्रश्न ६ --यदि जीव असैनी पंचेन्द्रिय हुआ तो ? उत्तर-..'मन बिन निपट अज्ञानी थयो ।' मन के बिना अज्ञानी रहा । प्रश्न ७-सैनी हुआ तो क्या किया ? उतर-सिंहादिक यूर नौ । पशु ) बनकर कमजोर प्राणियों को मार-मारकर खाया । कबहूँ आप भयो बलहीन, सबलनि करि खायो अतिदीन । छेदन भेदन भूख पियास, भार वहन हिम आतप त्रास ।।८।। शब्दार्थ-बलहीन = कमजोर 1 भयो = हुआ । सबलनि करि = बलवानों के द्वारा । अतिदीन = असमर्थ । छेदन = छेदा जाना । भेदन = भेदा जाना । वहन = दोना । हिम = ठण्डा । आतप = गर्मी । आस = दुःख। ___ अर्थ—जब यह जीव स्वयं कमजोर हुआ तो अपने से ताकतवर जीवों के द्वारा मारकर खाया गया । नाक-कान छिदना, अरइ चुभनों, भूखे रहना, ठण्डी-गर्मी आदि के दु:ख सहे। . प्रश्न १–जब यह जीव कमजोर हुआ तो क्या हुआ ? उत्तर-जब यह जीव कमजोर हुआ तो सबलों (बलवानों) के द्वारा खाया गया । प्रश्न २–तिर्यच बनकर और क्या दुःख पाया ? उत्तर-छेदन, भेदन, मूख, प्यास, भार ढोना, शीतोष्ण आदि अनेक दुःख पाये। वध बन्धन आदिक दुःख घने, कोटि जीभते जात न भनें । अतिसंक्लेश भाव ते मर्यो, घोर श्वन सागर में पर्यो ।।९।।

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