Book Title: Chahdhala 1
Author(s): Daulatram Kasliwal
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 9
________________ छहढ़ाला प्रश्न २-चिन्तामणि रत्न किसे कहते हैं ? उत्तर—मनवांछित फल देनेवाला रत्न । प्रश्न ३–लट, चींटी, भ्रमर जीवों के कितनी इन्द्रियाँ होती हैं ? उत्तर-लट के दो इन्द्रियाँ = स्पर्शन और रसना । चींटी के तीन इन्द्रियाँ = स्पर्शन, रसना और घ्राण । भ्रमर के चार इन्द्रियाँ = स्पर्शन, रसना, घ्राण और चक्षु । नियंचगति में अस्ती और होगी हे दुःख कबहूँ पंचेन्द्रिय पशु भयो, मन बिन निपट अज्ञानी थयो। सिंहादिक सैनी कै क्रूर, निबल पशु हति खाये भूर ।।७।। शब्दार्थ- कबहूँ = कभी । पंचेन्द्रिय = जिनके पाँचों इन्द्रियाँ हो । पशु = तिर्यंच । भयी = हुआ । मन बिन - मन के बिना । निपट = बिलकुल । अज्ञानी = मूर्ख । थयो = हुआ । क्रूर - दुष्ट । है = होकर । निबल = कमजोर । भूर = बहुत । हति = मारकर । अर्थ—यह जीव जब कभी असैनी पंचेन्द्रिय पशु हुआ तो मन न होने से अत्यंत अज्ञानी रहा और यदि कभी सैनी भी हुआ तो सिंह-जैसे दुष्ट होकर अपने से कमजोर पशुओं को मारकर खाता रहा जिससे घोर पाप बन्ध किया । प्रश्न -गति किसे कहते हैं, ये कितनी होती हैं ? उत्तर-गति नामकर्म के उदय होने से प्राप्त जीव की अवस्था विशेष को गति कहते हैं । गति ४ लेती है—(१) नरक गति, (२) तिथंच गति, (३) मनुष्य गति, (४) देव गति । प्रश्न ३–इन्द्रिय किसे कहते हैं ? ये कितनी होती हैं ? । उत्तर-जिन चिह्नों से जीव की पहचान होती है उसे इन्द्रिय कहते हैं । ये ५ होती हैं-(१) स्पर्शन, (२) रसना, (३) घ्राण, (४) चक्षु, (५) कर्ण । प्रश्न ३-सैनी किसे कहते हैं ? उत्तर-मन सहित जीव को सैनी कहते हैं । अथवा जो हित का

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