Book Title: Ang Sahitya Manan aur Mimansa
Author(s): Sagarmal Jain, Suresh Sisodiya
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
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प्रो. सागरमल जैन एवं डॉ. सुरेश सिसोदिया : 67
गुरूपरम्परा भी एक सी नहीं मालूम होती । इसलिए भी ये दोनों भिन्न - भिन्न आचार्य हैं। प्रश्नपद्धति नामक छोटे-से ग्रन्थ में लिखा है कि नंदिसूत्र देववाचक ने बनाया है और पाठों को बारबार न लिखना पड़े इसलिए देववाचककृत नन्दिसूत्र की साक्षी पुस्तकारूढ़ करते समय देवर्द्धिगणिक्षमाश्रमण ने दी है। ये दोनों आचार्य भिन्न – भिन्न होने पर ही प्रश्नपद्धति का यह उल्लेख संगत हो सकता है। प्रश्नपद्धति के कर्ता के विचार से ये दोनों एक ही होते तो वे ऐसा लिखते कि नंदिसूत्र देववाचक की कृति है और अपनी ही कृति की साक्षी देवर्द्धि ने दी है परन्तु उन्होंने ऐसा.न लिखकर ये दोनों भिन्न-भिन्न हों, इस प्रकार निर्देश किया है। प्रश्नपद्धति के कर्ता मुनि हरिशचन्द्र हैं जो अपने को नवांगीवृत्तिकार या अभयदेवसूरि के शिष्य कहते हैं।
- देखो प्रश्नपद्धति, पृ.2 5. "पतेत पशेमानी'' नामक प्रकरण। 6. मनुस्मृति, अ. 3, श्लो. 68 ।
7.. कृषि साध्विंति मन्यन्ते सा वृत्तिः सद्विगर्हिता। . भूमि भूमिशयांश्चैव हन्ति काष्ठमयोमुखम्।। .
- मनुस्मति, अ. 10. श्लोक. 84 8. अ.4, रलो 201-2.
9. . अ. 12, श्लो. 16; अ. 4, श्लो. 19 - 10. सर्वारम्भपरित्यागी गुणातीतः स उच्चते - अ. 24, श्लो 25
11. अ.17, श्लो. 5-6, 14, 16-7 12. देखिये - श्री लक्ष्मणशास्त्री जोशी लिखित वैदिक संस्कृति का
इतिहास (मराठी), पृ. 176 13. अन्य विशेष - साँवा 14. छान्दोग्य - तृतीय अध्याय, चौदहवाँ खण्ड ; आत्मोपनिषद् - प्रथम
कण्डिका; नारायणोपनिषद् - श्लो 71
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