Book Title: Ang Sahitya Manan aur Mimansa
Author(s): Sagarmal Jain, Suresh Sisodiya
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan

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Page 317
________________ 288 : अंग साहित्य : मनन और मीमांसा छव्वीस-कोडिपदेहि 260000000 आदं वण्णेदि जीवो वेदे त्ति वा भोत्तेत्ति वा विण्हु त्ति वा वा त्ति बुड्डे इच्चादिरूवेण। उक्तं च जीवो कत्ता य वत्ता य पाणी भोत्ता य पोग्गलो। वेदो विण्हू सयंभू य सरीरी तह माणवो।। सत्ता जंतू य माणी य माई जोगी य संकडो। असंकडी य खेत्तण्हू अंतरप्पा तहेव य।।1 जीवो : जीवदि जीविस्सदि पुव्वं जीविदो त्ति जीवो। कत्ता : सुहमसुहं करेदि। वत्ता : सच्चमसच्चं संतमसंतं वददीदि वत्ता। पाणी : पाणा एयस्स संति त्ति पाणी। भोत्ता : अमर-णर-तिरिय-णारय-भेएण चदुव्हिहे संसारे कुललम-. . कुसलं भुजदि त्ति भोत्ता। पोग्गलो : छव्विह-संठाण-बहुबिह-देहेहि पूरदि गलदि त्ति पोग्गलो। वेदो : सुह-दुक्खं वेदेदि त्ति वेदो अथवा वेत्ति जाणादीदि वेदो। विण्हू : उपत्त-देहं वियत्तएदीदि/वियावेदि अथवा णाणेणं सव्वं वेवेट्टी परिविवत्तदि। सयंभू : सयमेव भूदो अधवा संयमेव उप्पज्जदीदि सयंभू। सरीरी : सरीरमेयस्स अस्थि त्ति सरीरी। माणवो : मणु णाणं तत्थ भूदो त्ति माणवो। सत्ता : सजण-संबंध-मित्त-वग्गादिसु संजदि त्ति सत्ता। जंतू : चदुग्गदि-संसारे जायदि जणयदि त्ति जंतू। माणी : माणो एयस्स अस्थि त्ति माणी। मायी : माया अस्थि त्ति मायी। जोगी : जोगो अत्थि त्ति जोगी। संकुडो : अदिसण्ह-देह/अदिसुहुम-देहप्पमाणेणं संकुडदीदि। असंकुडो : सव्वं लोगागासं वियायदि त्ति असंकुडो। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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