Book Title: Ang Sahitya Manan aur Mimansa
Author(s): Sagarmal Jain, Suresh Sisodiya
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
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286 : अंग साहित्य : मनन और मीमांसा
छहिआहिय-एक-कोडिपदेहि 10000006 वयणगुत्ती, वक्कसंक्कारकारणं . पजोगो(क) दुवालसहा भासा, (ख) वत्तारो अणेग पगारं (ग) अणेगमुसाहिहाणं (घ) दसविह-सच्चवयणं जत्थ णिरूविदो सं सच्चप्पवाद। (i) वयणगुत्ती :- अलीय-णिउत्ति-वयणं वयणसंजमं जोणजुदं च
वयणगुत्ती। (ii) वक्कसंक्कार-कारणं-सिर-कंठ-हिदय-जिब्भमूल
दसण-ओद्ध-णासिगा-ताल-ठाणणि। इमाणि अद्धवयण
संक्कारकारण। (iii) वयणप्पजोगो- सुहेदर-लक्खणो सुगमो। (vi) दुवालस-भासाः-अब्भक्खाण कलह-पेसुण्ण- अवद्धपलाव
रदि-अरदि-उवहि- णिविदि-उप्पणदि-मोस- सम्मदसण
मिच्छदसणं च। अव्भक्खाणादि-दुवालस-भासाणं विवेयणं :(क) अयं अस्स कत्ता ति अणिट्ट-कधणं अब्भक्खाणं। (ख) कलहो - परोप्पर-विरोह-वयणं। (ग) पेसुण्णं - पिट्ठदो दोस-विक्कारणं। (घ) अबद्धपलावो – धम्म-अत्थ-काम-मोक्ख-असंबंधा सद्दा। (च) रदी - इंदियाणं सद्दादि-विसएसुंरागुप्पादगा सद्दा। (छ) अरदी - इंदियाणं सद्दादि-विसएसुं अरदी सद्दा। (ज) उवही - जं वयणं सुणिदूण परिग्गह-अज्जण- रक्खणादीसुं
आसत्ती/आसज्जदे।
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