Book Title: Ang Sahitya Manan aur Mimansa
Author(s): Sagarmal Jain, Suresh Sisodiya
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan

View full book text
Previous | Next

Page 326
________________ प्रो. सागरमल जैन एवं डॉ. सुरेश सिसोदिया : 297 सुत्ताई, पुव्वगए, अणुओगे, चूलिया। (नन्दीसूत्र) 6. पढमं उप्पायपुव्वं, तत्थ सव्वदव्वाणं पज्जवाण य उप्पाय भावमंगीकाउं पण्णवणा कया। (नन्दीचूर्णी) दस 1 चोद्दस 2 अट्ठ 3 अट्ठारसेव 4 बारस 5 दुवे 6 य वत्थूणि। सोलस 7 तीसा 8 वीसा 9 पण्णरस अणुप्पवादम्मि 10 1176।। बारस एक्कारसमे 11 बारसमे तेरसेव वत्थूणि 12। तीसा पुण तेरसम 13 चोद्दसमे पण्णवीसा उ 14।। 80।। . - नन्दीसूत्र- पुण्यविजय जी, पृ.45 8. नन्दीसूत्र 81, पृष्ठ 45 . 9. नन्दीचूर्णी 10. यतोऽनन्तार्थ पूर्व भवति, तत्र च वीर्यमेव प्रतिपाद्यते, अनन्तार्थता चातोऽवगन्तव्या तद्यथा - सव्व नईणं-जा होज्ज बालुया गणणमागया सन्ती। तत्तो. बहुयतरागो, एगस्स अत्थो पुव्वस्स।।1।। सव्व समुद्दाणजलं, जइ पत्थमियं हविज्ज संकलियं। एत्तो बहुयतरागो अत्थो एगस्स पुव्वस्स।।2।। तदेवं पूर्वार्थस्यानन्त्याद्वीर्यस्य च तदर्थत्वादनन्तता वीर्यस्येति। - - सूत्रकृतांग (वीर्याधिकार), आचार्यश्री जवाहरलाल म द्वारा सम्पादित, पृष्ठ - 335 ___ 11. बृहत्कल्पभाष्य, पृष्ठ 404 12. बृहत्कल्पनियुक्ति, पृष्ठ 146 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338