Book Title: Ang Sahitya Manan aur Mimansa
Author(s): Sagarmal Jain, Suresh Sisodiya
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
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266 : अंग साहित्य : मनन और मीमांसा
अंतगडदसासुणं परित्ता वायणा संखेज्जा अणुओगदारा संखेन्जाओ पडिवत्तीओ संखेज्जा वेढा संखेज्जा सिलोगा संखेन्जाओ निज्जुत्तीओ संखेन्जाओ संगहणीओ।
से णं अंगओयाए अओमे अंगे एगे सुयक्खंधे दस अज्झयणा सत्त वग्गा दस उद्देसणकाला दस समुद्देसणकाला संखेज्जाइं पयसयसहस्साइं पयग्गेणं, संखेज्जा अक्खरा अणंता गमा अणंता पज्जवा परित्ता तसा अणंता थावरा सासया कडा णिबद्धा णिकाइया जिणपण्णत्ताभावा आघविजंति पण्णा विजंति परूविज्जति दंसिर्जति निदंसिज्जंति उवदसिज्जंति।
से एवं आया एवं विण्णाया एवं चरण-करण –परूवणया आघविज्जति, पण्णविज्जति परूविज्जति दंसिज्जति निर्देसिज्जति उवदंसज्जिति। सेत्तं अंतगडदसाओ। ___3. नन्दीसूत्र (सं. मधुकर मुनि) सूत्र 53 पृ. 183,
से किं तं अंतगडदसाओ? अंतगडदसासु णं अंतगडाणं नगराई, उज्जाणाइं, वणसंडाइं समोसरणाई, रायाणो, अम्मा-पियरो, धम्मायरिया, धम्मकहाओ, इहलोइअ-परलोइआइड्ढिविसेसा, भोगपरिच्चाया, पव्वज्जाओ, परिआगा, सुअपरिग्गहा, तवोवहाणाई संलेहणाओ, भत्तपच्चक्खाणाई, पाओवगमणाइं अंतकिरिआओ आघविज्जन्ति।
___ अंतगडदसासु णं परित्ता वायणा, संखिज्जा अणुओगदारा, संखेज्जा वेढा, संखेज्जा सिलोगा, संखेज्जाओ निज्जुत्तीओ, संखेज्जाओ संगहणीओ, संखेज्जाओ पडिवत्तीओ।
से णं अंगओयाए अओमे अंगे, एगे सुअखंधे अओ वग्गा, अओ उद्देसणकाला, अओ समुद्देसणकाला संखेज्जा पयसहस्सा पयग्गेणं, संखेज्जा अक्खरा, अणंता गमा, अणंता पज्जवा, परित्ता, परित्ता तसा, अणंता थावरा, सासय-कड-निबद्ध- निकाइआ जिणपण्णत्ता भावा आघविज्जति, पन्नविजंति, परूविजंति, दंसिजति निर्देसिजति, उवदंसिज्जंति।
से एवं आया, एवं नाया, एवं विन्नाया, एवं चरणकरणपरूवणा आघविज्जइ। से तं अंतगडदसाओ। 4. तत्त्वार्थवार्तिक- पृष्ठ 51 संसारस्यान्तः कृतो यैस्ते ऽन्तकृतः नमिमतंगसोमिलरामपुत्रसु
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