Book Title: Ang Sahitya Manan aur Mimansa
Author(s): Sagarmal Jain, Suresh Sisodiya
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
View full book text ________________
प्रो. सागरमल जैन एवं डॉ. सुरेश सिसोदिया 283 परिणामं जिण-मणपज्जव-ओहिणाण-सम्मत्त-सुयणाणिणो य वाई अणुत्तराई य जत्तिया सिद्धा पाओवगआ य जे जहिं जत्तियाइं छेअइत्ता अंतगडा मुणिवद्दितमा तम-रओघविप्पमुक्का सिद्धिपहमणुत्तरं च पत्ता, एए अण्णे य एवमाइया भावा मूलपढमाणुओगे कहिआ।"
isयाणुओगो अणेगविहो :- कुलगरगंडियाओ तित्थगरगंडियाओ गणहर-गंडडियाओ चक्कहरगंडियाओ दसारंगडियाओ बलदेवगंडियाओ वासुदेवगंडियाओ हरिवंसगंडियाओ भद्दबाहुगंडियाओ तवोकम्मगंडियाओ चित्तंतरगंडियाओ उस्सप्पिणीगंडियाओ ओसप्पिणीगडियाओ तवोकम्मअमर-णर- तिरिय-गइ-गमण- विविह-परियट्टणाणुओगे एवमाइयाओ।
मूलपढमाणुओगम्हि मूलत्तो अरहंताणं भगवंताणं पुव्वभवाणं वण्णणेव, गंडियाणुओगम्हि कुलगार-तित्थसराणादितिसट्टिसलागा- पुरिसाणं वण्णणं ।
(घ) पुव्वगदो - पुव्वगयं पंचाणउदि - कोडि- पण्णास-लक्ख-पंच पदेहि (955000005) उप्पायब्वय-१ -धुवत्तादीणं वण्णणं कुणदि । पुव्वगदउवक्कमो - सो पंचविहो -
(i) आणुपुव्वी :
(क) पुव्वाणुपुव्वी
(ख) पच्छाणुपुव्वी
(ग) जत्थत्थाणुपुव्वी ति तिविहा ।
(ii) णामं पुण्बाणं गयं पत्त - पुव्व सरूवं वा पुव्वगयमिदि गुणणाम। ( पुजुगदस्स णिव्वत्ती)
(iii) पमाणं - अक्खर - पद - संघाद - पडिवत्ति- अणियोगद्दारेहि संखेज्जं, अत्थेदा पुण अनंतं ।
(vi) अत्थाहियारो - चोद्दसविहो - उप्पादपुव्वहं अग्गेणियं
वीरियाणुप्पवादं
अत्थि - णत्थिपवादं णाणप्पवादं सच्चप्पवादं अप्पपवादं
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338