Book Title: Ang Sahitya Manan aur Mimansa
Author(s): Sagarmal Jain, Suresh Sisodiya
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
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222 : अंग साहित्य : मनन और मीमांसा
गुणशील उद्यान, चम्पानगरी, जम्बूद्वीप, द्वारका, दूतिपलाश चैत्य, पूर्णभद्र चैत्य, भद्दिलपुर, भरतक्षेत्र, राजगृह, रैवतक, विपुलगिरि पर्वत, सहाम्राम्रवन उद्यान, साकेत तथा श्रावस्ती के परिचय के साथ ही इसमें ब्राह्मण, वैश्य, शुद्र और क्षत्रिय जातियों का परिचय भी प्राप्त होता है। ब्राह्मण वर्ण के व्यक्ति विशेष में सोमश्री, सोमा और सोमिल ब्राह्मण का उल्लेख हुआ है। वैश्य वर्ण के व्यक्ति-गाथापति में काश्यप, किंकर्मा, कैलाशजी, द्वैपायनऋषि, धृतिधरजी नागगाथापति, पूर्णभद्र, मंकातिगाथापति, मेघकुमार वास्तक, सुदर्शन सेठ, (प्रथम) एवं (द्वितीय), सुप्रतिष्ठित, सुमनभद्र सुलज्ञा, हरिचन्दन और क्षेमकगाथापति। शुद्र वर्ग में अर्जुनमाली और उसकी पत्नी बंधुमती तथा क्षत्रिय वर्ग में राजाओं की दृष्टि में अन्धकवृष्णि, अलक्षराजा, श्रीकृष्ण-वासुदेव, कोणिकराजा, जितशत्रु, प्रद्युम्न, विजयराजा, वासुदेवराजा, बलदेव, समुद्रविजय तथा श्रेणिक राजा, रानियों में काली, कृष्णा, गांधारी, गौरी, चेल्लणा, जाम्बवती देवकी, धारिणी, नन्दश्रेणिका नन्दा, नन्दवती, नन्दोत्तरा, पद्मावती, मितृसेनकृष्णा, बलदेवपत्नी, भद्रा, मरूतदेवी, मरूतादेवी, महाकाली, भद्रकृष्णा, महामरूता, महासेनकृष्णा, मूलदत्ता, मूलश्री, रामकृष्णा, रूक्मिणी, लक्ष्मणां, वसुदेव-पत्नी, वीरकृष्णा, वैदर्भी, सत्यभामा, सुकालिका, सुकृष्णा, सुजाता, सुभद्रा, सुमनतिका, सुमरूत्त, सुसीमा और श्री देवी। राजकुमारों में अचल, अतिमुक्त, अनंतसेन, अनादृष्टि, अनियस, अनिरूद्ध, अनिहत, अभिचन्द्र, अक्षोभकुमार, उवयालि, कांपिल्य, कूपक, गजसुकुमार, गंभीर, गौतम, जालि, पढनेमि, दारूक, दुर्मुख, देवयश, धरण, प्रद्युम्न, प्रेसेनजीत, पुरूषण, पूर्णकुमार, मयालि, वारिषेण, विदु, विष्णु, सत्यनेमि, समुद्र, सागर, सारण, स्तिमिता, सुमुख, शत्रुसेन, शांब और हेमवन्त कुमार का वर्णन मिलता है।
अंतगड़दशासूत्र की कतिपय विशेषताएँ :1. चरित्र एवं पौराणिक काव्यों के लिए इसमें बीजभूत आख्यान
समाविष्ट हैं। 2 राजकीय परिवार के स्त्री-पुरूषों को संयम धारण करते हुए देखकर
आध्यात्मिक साधना के लिए प्रेरणा प्राप्त होती है।
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