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संदेश
पिंडनियुक्ति मुनि- - आचार का महत्त्वपूर्ण ग्रंथ है। इसे दशवैकालिक के पांचवें अध्ययन का पूरक ग्रंथ कहा जा सकता है। मुनि की आहार - विधि और आहार-शुद्धि के विषय में अनेक विषय ज्ञातव्य हैं, नियुक्तिकार ने उनका सम्यक् नियोजन किया है।
मुनि दुलहराजजी आगम और आगम के व्याख्या - साहित्य के क्षेत्र में समर्पित भाव से कार्य करते रहे हैं। उनके द्वारा किया गया प्रस्तुत ग्रंथ का अनुवाद पाठक के लिए बहुत उपयोगी होगा। इसके सम्पादन- कार्य में समणी कुसुमप्रज्ञा के श्रम की कुछ रेखाओं का अंकन हुआ है। साधु-साध्वियों के लिए यह ग्रंथ पठनीय और मननीय है। मुनि की आहार चर्या और विहार चर्या के जिज्ञासु पाठकों के लिए भी यह बहुत मूल्यवान् ग्रंथ है ।
कोशीथल (राज.) ७ जनवरी २००८
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आचार्य महाप्रज्ञ
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