Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Surendra Bothra, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan

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Page 30
________________ र नवम अध्ययन ः माकन्दी (७) टा 5 सूत्र ४ : तब उनके माता-पिता ने इस प्रकार कहा-“हे पुत्रो ! तुम्हारे पुरखों, दादा-परदादा र आदि की कमाई हुई अपार धन-सम्पत्ति हमारे पास है जो सात पीढियों तक हर प्रकार के उपभोग टा 15 तथा वितरण के लिये यथेष्ट है। अतः हे पुत्रो ! मनुष्योपयोगी इस विपुल ऋद्धि-सत्कार सामग्री का द 15 उपभोग करो। आपदाओं से भरे और आलम्बनरहित लवणसमुद्र में तैरने से क्या लाभ? और फिर S र बारहवीं बार लवण समुद्र की यात्रा सोपसर्ग (कष्टदायी) होती है, अतः तुम मत जाओ, ताकि 15 तुम्हारे शरीर को कष्ट न हो। UVUVITU ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्A PERMISSION OF VOYAGE 4. The parents replied, "Sons! We have unlimited inherited wealth. It is more than enough to last seven generations of consumption and distribution B by our family. Thus sons! enjoy this enormous means of grandeur, utility, and 15 charity fully. What is the use of floating adrift on the insecure and hazardous c 15 sea? Moreover, a twelfth sea voyage is inauspicious and dangerous So, in 15 order to avoid any affliction to your bodies you should abandon the idea." S र सूत्र ५ : तए णं मागंदियदारगा अम्मापियरो दोच्चं पि तच्चं पि एवं वयासी-‘एवं खलु द अम्हे अम्मयाओ ! एक्कारस वारा लवणसमुदं ओगाढा। सव्वत्थ वि य णं लद्धट्टा कयकज्जाड र अणहसमग्गा पुणरवि नियघरं हव्वमागया। तं सेयं खलु अम्मयाओ ! दुवालसंपि लवणसमुदं ट 15 ओगाहित्तए। र सूत्र ५ : माकंदी पुत्रों ने दुबारा-तिबारा फिर अपने माता-पिता से उन्हीं शब्दों में अपनी आग्रह 15 पूर्ण प्रार्थना की। हे माता-पिता ! हमने ग्यारह बार सफलता प्राप्त की है अतः अब बारहवीं बार ड र यात्रा करने की इच्छा है। (सू. ३ के समान) 5. The sons of Makandi persisted, again and again repeating their request 5 that having experienced eleven successful voyages they should be permitted 15 to go on the twelfth. (as in para 3) र सूत्र ६ : तए णं ते मागंदीदारए अम्मापियरो जाहे नो संचाएंति बहूहिं आघवणाहि यद के पन्नवणाहि य आघवित्तए वा पन्नवित्तए वा, ताहे अकामा चेव एयम अणुजाणित्था। र सूत्र ६ : माता-पिता जब उन माकंदी पुत्रों को सामान्य बातों से अथवा विशेष बातों से दी २ समझाने-बुझाने में असमर्थ रहे तब इच्छा नहीं होते हुए भी उन्हें समुद्र यात्रा की अनुमति दे दी। र 6. When the parents failed in all their casual as well as persistent efforts, ट] 5 they reluctantly granted permission. र सूत्र ७ : तंए णं ते मागंदियदारगा अम्मापिऊहिं अब्भणुण्णाया समाणा गणिमं च धरिमं च । 5 मेज्जं च पारिच्छेज्जं च जहा अरहण्णगस्स जाव लवणसमुदं बहूई जोयणसयाइं ओगाढा। तए द 15 CHAPTER-9 : MAKANDI (7) Finnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnn URETITE Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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