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समवानो
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समवाय ७ : सू० ३-१४
५. तैजस समुद्घात-तैजस नामकर्म के
आश्रित होने वाला समुद्धात । ६. आहार समुद्घात .. आहारक नामकर्म के आश्रित होने वाला समुद्घात। ७. केवली समुद्घात-वेदनीय, नाम
और गोत्र कर्म के आश्रित होने
वाला समुद्घात । ३. समणे भगवं महावीरे सत्त रय- श्रमणः भगवान महावीरः सप्त ३. श्रमण भगवान् महावीर सात रलि' णीओ उड्ढे उच्चत्तेणं होत्था। रत्नीरूर्ध्वमुच्चत्वेन आसीत् ।
ऊंचे थे। ४. सत्त वासहरपव्वया पण्णता, तं सप्त वर्षधरपर्वताः प्रजप्ताः, तद्यथा- ४. वर्षधर पर्वत' सात है, जैसे
जहा-चुल्लहिमवंते महाहिमवंते क्षल्ल हिमवान महाहिमवान निषधः हिमवान्, महाहिमवान्, निषध, निसढे नीलवंते रुप्पी सिहरी नीलवान रुक्मी शिखरो मन्दरः । नीलवान्, रुक्मी, शिखरी और मन्दर ।
मंदरे। ५. सत्त वासा पण्णता, तं जहा- सप्त वर्षाणि प्रज्ञप्तानि, तद्यथा-- ५. क्षेत्र सात हैं, जैसे-भरत, हैमवत,
भरहे हेमवते हरिवासे महाविदेहे भरतं हैमवतं हरिवर्ष महाविदेहः रम्यक हरिवर्ष, महाविदेह, रम्यक् , हैरण्यवत रम्मए हेरण्णवते एरवए। हैरण्यवतं ऐरवतम् ।
और ऐरवत । ६. खीणमोहे णं भगवं मोहणिज्ज- क्षीणमोहो भगवान मोहनीयवर्जाः सप्त ६. क्षीणमोह भगवान् मोहनीय को छोड़कर वज्जाओ सत्त कम्मपगडीओ कर्मप्रकृतीवदयति ।
सात कर्म-प्रकृतियों का वेदन करते हैं। वेएई। ७. महानक्खते सत्ततारे पण्णत्ते। मधानक्षत्रं सप्ततारं प्रज्ञप्तम् ।
७. मघा नक्षत्र के सात तारे हैं। ८. कत्तिआइया सत्त नक्खत्ता पुव्व. कृत्तिकादिकानि सप्त नक्षत्राणि ८. कृत्तिका जिनके आदि में है वे सात दारिआ पण्णत्ता। पूर्वद्वारिकाणि प्रज्ञप्तानि ।
नक्षत्र पूर्व-द्वारिक हैं। ६. महाइया सत्त नक्खत्ता दाहिण- मघादिकानि सप्त नक्षत्राणि ८. मघा जिनके आदि में है वे सात नक्षत्र दारिआ पण्णत्ता। दक्षिणद्वारिकाणि प्रज्ञप्तानि ।
दक्षिण-द्वारिक हैं। १०. अणराहाइया सत्त नक्खत्ता नराधादिकानि सप्ताह
अनुराधादिकानि सप्त नक्षत्राणि १०. अनुराधा जिनके आदि में है वे सात अवरदारिआ पण्णत्ता। अपरद्वारिकाणि प्रज्ञप्तानि।
नक्षत्र पश्चिम-द्वारिक हैं। ११. धणिट्राइया सत्त नक्खत्ता धनिष्ठादिकानि सप्त नक्षत्राणि ११. धनिष्ठा जिनके आदि में है वे सात उत्तरदारिआ पण्णत्ता। उत्तरद्वारिकाणि प्रज्ञप्तानि ।
नक्षत्र उत्तर-द्वारिक हैं । १२. इमीसे गं रयणप्पभाए पुढवीए अस्यां रत्नप्रभायां पृथिव्यां अस्ति १२. इस रत्नप्रभा पृथ्वी के कुछ नैरयिकों
अत्थेगइयाणं नेरइयाणं सत्त एकेषां नैरयिकाणां सप्त पल्योपमानि की स्थिति सात पल्योपम की है।
पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। स्थितिः प्रज्ञप्ता। १३. तच्चाए णं पुढवीए नेरइयाणं ततीयस्यां पृथिव्यां नैरयिकाणामुत्कर्षेण १३. तीसरी पृथ्वी के नैरयिकों की उत्कृष्ट
उक्कोसेणं सत्त सागरोवमाई ठिई सप्त सागरोपमाणि स्थितिः प्रज्ञप्ता। स्थिति सात सागरोपम की है।
पण्णत्ता। १४. चउत्थीए णं पुढवीए नेरइयाणं चतुर्थ्यां पृथिव्यां नैरयिकाणां जघन्येन १४. चौथी पृथ्वी के नैरयिकों की जघन्य
जहण्णणं सत्त सागरोवमाई ठिई सप्त सागरोपमाणि स्थितिः प्रज्ञप्ता। स्थिति सात सागरोपम की है। पण्णत्ता।
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