Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Samvao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 387
________________ समवानो प्रकोणक समवाय : सू० १६४ जइ पज्जत्तय-संखेज्जवासाउय- यदि पर्याप्तक-संख्येयवर्षायुष्क-कर्मकम्मभूमग - गब्भवक्कंतियमणुस्स भूमिक - गर्भावक्रान्तिकमनुष्यआहारकआहारयसरीरे, किं सम्मद्दिट्ठि- शरीरं, किं सम्यग्दृष्टि-पर्याप्तकपज्जत्तय - संखेज्जवासाउय-कम्म- संख्येयवर्षायुष्क . कर्मभूमिक-गर्भाभूमग - गम्भवक्कंतियमणुस्स वक्रान्तिकमनुष्यआहारकशरीरम् ? आहारयसरीरे ? मिच्छदिट्ठि- मिथ्यादृष्टि - पर्याप्तक-संख्येयवर्षायुष्कपज्जत्तय-संखेज्जवासाउय-कम्मभू- कर्मभूमिक - गर्भावक्रान्तिक-मनुष्यमग . गम्भवक्कंतियमणुस्स - आहारकशरीरम् ? सम्यग्मिथ्यादृष्टिआहारयसरीरे? सम्मामिच्छदिट्ठि- पर्याप्तक - संख्येयवर्षायुष्क-कर्मभूमिकपज्जत्तय-संखेज्जवासाउय-कम्म - गर्भावक्रान्तिकमनुष्यआहारकशरीरम् ? भूमग - गब्भवक्कंतियमणुस्स - भंते ! यदि पर्याप्तक-संख्येयवर्षायुष्ककर्मभूमिज-गर्भावक्रान्तिक- मनुष्यआहारकशरीर है तो क्या वह सम्यक्दृष्टिपर्याप्तक-संख्येयवर्षायुष्क - कर्मभूमिजगर्भावक्रान्तिकमनुष्यआहारकशरीर है या मिथ्यादृष्टि-पर्याप्तक-संख्येयवर्षायुष्क - कर्मभूमिज-गर्भावक्रान्तिकमनुष्य आहारकशरीर है या सम्यक् मिथ्यादृष्टि-पर्याप्तक - संख्येयवर्षायुष्क-कर्मभूमिज - गर्भावक्रान्तिकमनुष्यआहारक शरीर है? आहारयसरीरे ? गौतम ! वह सम्यक्दृष्टि पर्याप्तकसंख्येयवर्षायुष्क - कर्मभूमिज - गर्भावक्रान्तिक-मनुष्य - आहारक-शरीर है, मिथ्याष्टि-पर्याप्तक - संख्येयवर्षायुष्ककर्मभूमिज - गर्भावक्रान्तिकमनुष्यआहारकशरीर नहीं है तथा सम्यक्मिथ्यादृष्टि-पर्याप्तक-संख्येयवर्षायुष्क - कर्मभूमिज - गर्भावक्रान्तिकमनुष्य आहारकशरीर भी नहीं है। गोयमा! सम्मद्दिट्ठि-पज्जत्तय- गौतम ! सम्यग्दृष्टि-पर्याप्तकसंखेज्जवासाउय - कम्मभूमग- संख्येयवर्षायुष्क . कर्मभूमिकगम्भवक्कंतियमणुस्साहारय - गर्भावक्रान्तिकमनुष्यआहारकशरीरं, नो । सरोरे, नो मिच्छदिट्ठि-पज्जत्तय- मिथ्यादृष्टि - पर्याप्तक-संख्येयवर्षायुष्कसंखेज्जवासाउय - कम्मभूमग- कर्मभूमिक - गर्भावक्रान्तिकमनुष्य - गम्भवक्कंतियमणुस्स - आहारय- आहारकशरीरं, नो सम्यग्मिथ्यादृष्टिसरीरे, नो सम्मामिच्छदिदि- पर्याप्तक - संख्येयवर्षायुष्क-कर्मभूमिकपज्जत्तय-संखेज्जवासाउय- कम्म- गर्भावक्रान्तिकमनुष्यआहारकशरीरम् ? भूमग • गम्भवक्कंतियमणुस्सआहारयसरीरे। जइ सम्मद्दिदि-पज्जत्तय-संखेज्ज- यदि सम्यग्दृष्टि - पर्याप्तकवासाउय-कम्मभूमग - गब्भवक्कं- संख्येयवर्षायुष्क - कर्मभूमिक-गर्भातियमणुस्स-आहारयसरीरे, किं वक्रान्तिकमनुष्यआहारकशरीरं, किं । संजय- सम्मदिट्टि - पज्जत्तय- संयत - सम्यग्दृष्टि - पर्याप्तक-संख्येय - संखेज्जवासाउय - कम्मभूमग- वर्षायुष्क - कर्मभूमिक - गर्भावक्रान्तिकगब्भवक्कंतियमणुस्स - आहारय - मनुष्यआहारकशरीरम्? असंयत-सम्यग्सरीरे ? असंजय-सम्मद्दिदि- दृष्टि-पर्याप्तक - संख्येयवर्षायुष्ककर्मपज्जत्तय-संखेज्जवासाउय - कम्म- भूमिक-गर्भावक्रान्तिक-मनुष्य-आहारकभूमग - गम्भवक्कंतियमणुस्स- शरीरम् ? संयतासंयत-सम्यग्दृष्टिआहारयसरीरे ? संजयासंजय- पर्याप्तक - संख्येयवर्षायुष्ककर्मभूमिक - सम्मद्दिट्ठि-पज्जत्तय- संखेज्जवासा- गर्भावक्रान्तिकमनुष्य-आहारकशरीरम्? उय-कम्मभूमग - गम्भवक्कंतियमणुस्स आहारयसरीरे ? गोयमा! संजय-सम्मद्दिष्टि- गौतम ! संयत-सम्यग्दृष्टि - पर्याप्तकपज्जत्तय - संखेज्जवासाउय-कम्म- संख्येयवर्षायष्क - कर्मभूमिक- भूमग - गम्भवक्कंतियमणुस्स- गर्भावक्रान्तिकमनुष्यआहारकशरीरं, नो आहारयसरीरे, नो असंजय-सम्म- असंयत - सम्यगदृष्टि - पर्याप्तक भंते ! यदि सम्यक्दृष्टि - पर्याप्तकसंख्येयवर्षायुष्क - कर्मभूमिज - गर्भावक्रान्तिकमनुष्यआहारकशरीर है तो क्या वह संयत-सम्यक्ष्टि - पर्याप्तकसंख्येयवर्षायुष्क - कर्मभूमिज - गर्भावक्रान्तिकमनुष्यआहारकशरीर है या असंयत-सम्यक्ष्टि - पर्याप्तक-संख्येयवर्षायुष्क-कर्मभूमिज - गर्भावक्रान्तिकमनुष्यआहारकशरीर है या संयतासंयतसम्यक्दृष्टि-पर्याप्तक - संख्येयवर्षायुष्ककर्मभूमिज - गर्भावक्रान्तिकमनुष्यआहारकशरीर है ? गौतम ! वह संयत-सम्यक्दृष्टि पर्याप्तक-संख्येयवर्षायूष्क - कर्मभमिजगर्भावक्रान्तिकमनुष्यआहारकशरीर है, असंयत-सम्यक्रष्टि-पर्याप्तक - संख्येय. www.jainelibrary.org For Private & Personal Use Only Jain Education International

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