Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Samvao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 388
________________ प्रकीर्णक समवाय : सू० १६४ वर्षायुष्क-कर्मभूमिज - गर्भावक्रान्तिकमनुष्यआहारकशरीर नहीं है तथा संयतासंयत - सम्यक्दृष्टि - पर्याप्तकसंख्येयवर्षायुष्क कर्मभूमिज - गर्भावक्रान्तिकमनुष्यआहारकशरीर भी नहीं समवानो ३५५ दिद्वि-पज्जत्तय - संखेज्जवासाउय- संख्येयवर्षायुष्क - कर्मभूमिककम्मभूमग-गब्भवक्कंतियमणुस्स - गर्भावक्रान्तिकआहारकशरीरं, नो आहारयसरीरे, नो संजयासंजय- संयतासंयत - सम्यग्दृष्टि - पर्याप्तकसम्मद्दि ट्ठि-पज्जत्तय-संखेज्जवासा- संख्येयवर्षायुष्क - कर्मभूमिकउय-कम्मभूमग - गब्भवक्कंतिय - गर्भावक्रान्तिकमनुष्यआहारकशरोरम् । मणुस्स-आहारयसरीरे। जइ संजय-सम्मद्दिद्वि-पज्जत्तय- यदि संयत-सम्यग्दृष्टि-पर्याप्तकसंखेज्जवासाउय - कम्मभूमग- संख्येयवर्षायुष्क - कर्मभूमिकगब्भवक्कंतियमणस्स - आहारय- गर्भावक्रान्तिकमनुष्यआहारकशरीरं सरीरे, कि पमत्तसंजय-सम्मद्दिष्ट्रि- किं प्रमत्तसंयत - सम्यग्दृष्टि-पर्याप्तकपज्जत्तय-संखेज्जवासाउय - कम्म- संख्येयवर्षायुष्क - कर्मभूमिकभूमग - गब्भवक्कंतियमणुस्स- गर्भावक्रान्तिकमनुष्यआहारकशरीरम् ? आहारयसरीरे ? अपमत्तसंजय- अप्रमत्तसंयत - सम्यग्दृष्टि - पर्याप्तकसम्मद्दिट्ठि-पज्जत्तय-संखेज्जवासा - संख्येयवर्षायुष्क - कर्मभूमिक य- गर्भावक्रान्तिकमनुष्यआहारकशरीरम् ? मणुस्स-आहारयसरीरे? भंते ! यदि संयत-सम्यक्ष्टि -पर्याप्तकसंख्येयवर्षायुष्क - कर्मभूमिज - गर्भावक्रान्तिकमनुष्यआहारकशरीर है तो क्या वह प्रमत्तसंयत - सम्यष्टिपर्याप्तक-संख्येयवर्षायुष्क - कर्मभूमिजगर्भावक्रान्तिकमनुष्यआहारकशरीर है या अप्रमत्तसंयत-सम्यक्दृष्टि - पर्याप्तकसंख्येयवर्षायुप्क - कर्मभूमिज - गर्भावक्रान्तिकमनुष्यआहारकशरीर है ? गौतम ! वह प्रमत्तसंयत-सम्यकदृष्टिपर्याप्तक-संख्येयवर्षायुष्क - कर्मभूमिजगर्भावक्रान्तिकमनुष्यआहारकशरीर है, अप्रमत्तसंयत - सम्यकदृष्टि - पर्याप्तकसंख्येयवर्षायुष्क - कर्मभूमिज - गर्भावक्रान्तिकमनुष्यआहारकशरीर नहीं है। गोयमा ! पमत्तसंजय-सम्मद्दिट्ठि- गौतम! प्रमत्तसंयत - सम्यग्दृष्टिपज्जत्तय-संखेज्जवासाउय - कम्म- पर्याप्तक - संख्येयवर्षायूष्क- कर्मभूमिकभूमग - गब्भवक्कंतियमणुस्स- गर्भावक्रान्तिकमनुष्यआहारकशरीरं, नो । आहारयसरीरे, नो अपमत्तसंजय- अप्रमत्तसंयत - सम्यग्दृष्टि - पर्याप्तकसम्मद्दिष्टि-पज्जत्तय- संखेज्जवासा- संख्येयवर्षायुष्क - कर्मभूमिकउय - कम्मभूमग - गम्भवक्कंतिय- गर्भावक्रान्तिकमनुष्यआहारकशरीरम् । मणुस्स-आहारयसरीरे। जइ पमत्तसंजय-सम्मद्दिट्ठि- यदि प्रमत्तसंयत-सम्यग्दृष्टि-पर्याप्तक- पज्जत्तय - संखेज्जवासाउय-कम्म- संख्येयवर्षायुष्क - कर्मभूमिकभूमग - गब्भवतियमणस्स- गर्भावक्रान्तिकमनुष्यआहारकशरीरं आहारयसरीरे, कि इड्ढिपत्त- कि ऋद्धिप्राप्त प्रमत्तसंयत-सम्यग्दृष्टिपमत्तसंजय - सम्मद्दिट्ठि-पज्जत्तय- पर्याप्तक -संख्येयवर्षायुष्क - कर्मभूमिकसंखेज्जवासाउय-कम्मभूमग- गब्भ- गर्भावक्रान्तिकमनुष्यआहारकशरीरम् ? वक्कंतियमगुस्सआहारयसरीरे ? अनुद्धिप्राप्त - प्रमत्तसंयत - सम्यग्दृष्टिअणिड्ढिपत्त - पमत्तसंजय - सम्म- पर्याप्तक - संख्येयवर्षायुष्क-कर्मभूमिकद्दिट्ठि-पज्जत्तय - संखेज्जवासाउय- गर्भावक्रान्तिकमनुष्यआहारकशरोरम् ? कम्मभूमग-गब्भवक्कंतियमणुस्स - आहारयसरोरे ? भंते ! यदि प्रमत्तसंयत-सम्पदृष्टिपर्याप्तक-संख्येयवर्षायुष्क - कर्मभूमिजगर्भावक्रान्तिकमनुष्यआहारकशरीर है तो क्या वह ऋद्धिप्राप्त-प्रमत्तसंयतसम्यक्दृष्टि-पर्याप्तक - संख्येयवर्षायुष्ककर्मभूमिज - गर्भावक्रान्तिकमनुष्यआहारकशरीर है या अऋद्धिप्राप्त-प्रमत्तसंयत-सम्यक्दृष्टि-पर्याप्तक-संख्येयवर्षायुष्क-कर्मभूमिज - गर्भावक्रान्तिकमनुष्यआहारक शरीर है ? गोयमा ! इडिपत्त-पमत्तसंजय- गौतम ! ऋद्धिप्राप्त - प्रमत्तसंयतसम्मद्दिद्वि-पज्जत्तय-संखेज्जवासा- सम्यग्दृष्टि - पर्याप्तक-संख्येयवर्षायुष्कउय - कम्मभूमग - गब्भवक्कंतिय- कर्मभूमिक • गर्भावक्रान्तिकमनुष्यमणुस्स-आहारयसरोरे, नो अणि- आहारकशरीरं, नो अनृद्धिप्राप्त गौतम ! वह ऋद्धिप्राप्त-प्रमत्तसंयतसम्यकदृष्टि - पर्याप्तक-संख्येयवायूष्ककर्मभूमिज - गर्भावक्रान्तिकमनुष्यआहारकशरीर है, अऋद्धिप्राप्त-प्रमत्तसंयत Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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