Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Samvao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 464
________________ समवाम्रो ४३१ परिशिष्ट ३ पोक्खरकण्णिया भवण भोम विजय वीससेण वेसमण सच्च सतरिसभ सव्वट्ठसिद्ध सागरोवम सुपीय १०. ग्रन्थ पुटुसेणियापरिकम्म पुव्व गंथ लेसज्झयण विणयसुय वीरिय वेयालिय संघाड संजइज्ज सभिक्खुग समय समाहिठाण समाही समिती समुद्दपालिज्ज समोसरण सामायारी संसुमा सेलम हरिएसिज्ज ७. कुल अंतगडदसा अग्रणीय अट्ठपय अणुओग अणुतरोववाइयदसा अत्थिणत्थिप्पवाय अवंझ आगासपय आयप्पवाय आयार आयारचूलिका उत्तरज्झयण उप्पायपुव्व उवसंपज्जणसेणियापरिकम्म उवासगदसा एगगुण एगट्ठियपय ओगाहणसेणियापरिकम्म उग्ग खत्तिय भोग राइण्ण वहि ८. गुफा १२. ग्रह खंडप्पवायगुहा तिमिस्सगुहा पच्चक्खाण उवसग्गपरिणा पण्हावागरणदसा उसुकारिज्ज परिकम्म कम्मपगडी पाद काविलिज्ज पाणायु कुम्म कुसीलपरिभासिय खलुंकिज्ज पुव्वगय माउयापय गाहा मूलपढमाणुओग गोयमकेसिज्ज लोगबिंदुसार चंदिमा ववहार चरणविहि विज्जाणुप्पवाय चाउरंगिज्ज विप्पजहणसेणियापरिकम्म चित्तसंभूय वियाह जण्णइज्ज वियाहपण्णत्ति जमईय विवागसुय जीवाजीवविभत्ती वीरिय तवोमग्ग संसारपडिग्गह तुंब सच्चप्पवाय तेत्तली समवाय दावद्दव सिद्धसेणियापरिकम्म सिद्धावत्त धम्म सुत्त नंदीफल सूयगड नमिपव्वज्जा निरयविभत्ति ११. ग्रन्थ-विभाग पमायठाण परीसह पावसमणिज्ज अकाममरणिज्ज पुरिस विज्जा अणगारमग्ग पोंडरीय अणाहपव्वज्जा बहुसुयपूया अप्पमाय मंडुक्क अवरकंका मग्ग असंखय मल्लि आइण्ण महावीरत्थुई आहत्तहिय मागंदी इत्थिपरिण्णा मिगचारिया उक्खित्तणाय मोक्खमग्गगई उदगणाय रहनेमिज्ज उरम्भिज्ज चंद धुवराहु दुमपत्तयं सूर ६. गृहवर्ग कप्प १३. चक्रवति-रत्न अट्टालय ओवारियालेण कवाड कुडभी केउ कोट्ठय अंड किरियाविसाल के उभूय केउभूयपरिग्गह गंडियाणुओग गणिपिडग चुयाचुयसेणियापरिकम्म चूलिया ठाण णायाधम्मकहा खंभ गोउर घर असिरयण आसरयण इत्थीरयण कागिणिरयण गाहावईरयण चक्करयण चम्मरयण छत्तरयण दंडरयण पुरोहियरयण मणिरयण वड्डइरयण सेणावइरयण हत्थिरयण चरिय तिगुण तोरण दसा दुगुण दुवालसंग थूभिअग्ग थूभियाग दार पडागा पडिदुवार नंदावत्त नाणप्पवाय नायधम्मकहा रोहिणी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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