Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Samvao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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समवाश्री
पण्णविज्जति परुविज्जति दंसिज्जति निदंसिज्जति उबदंसिज्जति । सेत्तं विवागसुए ।
१००. से कि तं दिट्टिवाए ?
दिट्टिवाए णं सव्वभावपरूवणया आघविज्जति । से समासओ पंचविहे पण्णत्ते, तं जहापरिकम्मं सुत्ताई पुव्वगयं
१०१. से किं तं परिकम्मे ?
परिकम्मे तं जहा
सिद्धसेणियापरिकम्मे
मनुस्ससेणिया परिकम्मे सेणियापरिकम्मे
ओगणसेणियापरिकम्मे
उवसंपज्जण सेणियापरिकम्मे
विप्पजहण सेणियापरिकम्मे चुयाचुय सेणियापरिकम्मे ।
१०२. से किं तं सिद्धसेणियापरिकम्मे ?
सिद्धसेणियापरिकम्मे चोदसविहे पण्णत्ते, तं जहा
तत् परिकर्म ?
सत्तविहे पण्णत्ते, परिकर्म सप्तविधं प्रज्ञप्तम्, तद्यथा
माज्यापयाणि, एगट्टियपयाणि, अट्ठपयाणि, पाढो, आगासपयाणि केभूयं, रासिबद्ध, एगगुणं, दुगुणं, तिगुणं, केउभूयपडिग्गहो, संसारडिग्गहो, नंदावत्तं, सिद्धावत्तं ।
सेत्तं सिद्धसेणियापरिकम्मे ।
१०३. से कि तं मणुस्स सेणियापरिकम्मे ?
मणुस्ससेणियापरिकम्मे चोहसविहे पण्णत्ते तं जहा -
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प्रज्ञाप्यते प्ररूप्यते दर्श्यते निदर्श्यते उपदर्श्यते । तदेतद् विपाकश्रुतम् ।
अथ कोऽसौ दृष्टिवाद: ?
दृष्टिवादे सर्वभावप्ररूपणा आख्यायते । स समासतः पंचविध: प्रज्ञप्तः, तद्यथा - परिकर्म सूत्राणि अनुयोगः चूलिका ।
पूर्वगतं
सिद्धश्रेणिकापरिकर्म मनुष्यश्रेणिका परिकर्म पृष्ट श्रेणिकापरिकर्म अवगाहनश्रेणिकापरिकर्म उपसम्पादनश्रेणिकापरिकर्म विप्रहाणश्रेणिकापरिकर्म च्युताच्युतश्रेणिकापरिकर्म ।
Rafi तत् सिद्धश्रेणिक परिकर्म ? सिद्धश्रेणिकापरिकर्म प्रज्ञप्तम्, तद्यथा-
चतुर्दशविध
मातृकापदानि एकार्थपदानि अर्थपदानि, पाठ, आकाशपदानि, केतुभूतं, राशिबद्ध, एकगुणं द्विगुणं, त्रिगुणं, केतुभूतप्रतिग्रहः, संसारप्रतिग्रहः, नन्द्यावर्त्तं, सिद्धावर्तम् ।
तदेतत् सिद्धश्रेणिकापरिकर्म ।
अथ किं तत् मनुष्य श्रेणिकापरिकर्म ? मनुष्यश्रेणिका परिकर्म प्रज्ञप्तम्, तद्यथा
चतुर्दशविध
प्रकीर्णक समवाय: सू० १००-१०३
प्रकार विपाकश्रुत में चरण-करणप्ररूपणा का आख्यान, प्रज्ञापन, प्ररूपण, दर्शन, निदर्शन और उपदर्शन किया गया है । यह है विपाकश्रुत ।
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१००. दृष्टिवाद" क्या है ?
दृष्टिवाद में सर्व भावों की प्ररूपणा की गई है। संक्षेप में वह पांच प्रकार का है - १. परिकर्म, २. सूत्र, ३. पूर्वगत", ४. अनुयोग, ५. चूलिका " ।
१०१. परिकर्म क्या है ?
परिकर्म सात प्रकार का है—
१. सिद्धश्रेणिका परिकर्म
२. मनुष्य श्रेणिका परिकर्म
३. स्पृष्ट श्रेणिका परिकर्म
४. अवगाहनश्रेणिका परिकर्म
५. उपसंपादनश्रेणिका परिकर्म
६. विप्राणश्रेणिका परिकर्म
७. च्युतायुश्रेणिका परिकर्म
१०२. सिद्धश्रेणिका परिकर्म क्या है ?
सिद्धश्रेणिका परिकर्म चौदह प्रकार का है—
१. मातृकापद २. एकार्थकपद
३. अर्थपद
४. पाठ
८. एक गुण
६. द्विगुण
१०. त्रिगुण ११. केतुभूतप्रतिग्रह
१२. संसारप्रतिग्रह
१३. नन्द्यावर्त
१४. सिद्धावर्त ।
५. आकाशपद
६. केतुभूत
७. राशिबद्ध
यह सिद्धश्रेणिका परिकर्म है ।
१०३. मनुष्य श्रेणिका परिकर्म क्या है ?
मनुष्यश्रेणिका परिकर्म चौदह प्रकार का है—
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