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समवायो
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समवाय ४६ : टिप्पण
असे अ: तक (ऋ ऋ ल ल को छोड़कर) क से म तक (५४५) य र ल व श ष स ह
१२ स्वर २५ व्यंजन ४ अन्तस्थ
४ ऊष्म
श्रीयुत् ओझा ने ये ही ४६ अक्षर माने हैं। चीनी यात्री ह्यएन्सेग ने इसके साथ 'ज्ञ' अक्षर जोड़कर ४७ अक्षर माने
वैदिक कालीन ब्राह्मी लिपि के सामान्यतः ६४ अक्षर हैं, ऐसा ओझा ने प्रतिपादित किया है। यह संख्या दीर्घ और प्लुत के आधार पर की गई है।
१.भारतीय प्राचीन लिपिमाला, पु. ४६॥ २. वही, पृ.।।
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