Book Title: Abhidhan Rajendra Kosh ki Shabdawali ka Anushilan
Author(s): Darshitkalashreeji
Publisher: Raj Rajendra Prakashan Trust
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16 उद्गम दोष सोलह उत्पादना दोष दस एषणा दोष
ग्रासैषणा दोष दोषित आहार ग्रहण करने के कारण एवं विवेक
समाचारी
समाचारी के भेद
मण्डली षडावश्यक
निक्षेपों के अनुसार आवश्यक के प्रकार नामावश्यक अर्थात् आवश्यक के पर्यायवाची नाम स्थापनावश्यक द्रव्यावश्यक
भावाश्यक 1. सामायिक 2. चउवीसत्थय/चतुर्विशतिस्तव ............. 3. वंदन .....
गुरुवंदन के 25 आवश्यक गुरु की 33 आशातना गुरुवंदन के 32 दोष
गुरुवंदन का फल 4. प्रतिक्रमण .........
प्रतिक्रमण के अर्थ-पर्याय-प्रकार-भेद भावप्रतिक्रमण
प्रतिक्रमण योग्य प्रसंग प्रतिक्रमण की आवश्यकता ऐर्यापथिक प्रतिक्रमण दैवसिक-रात्रिक-पाक्षिक-चातुर्मासिक-सांवत्सरिक प्रतिक्रमण प्रतिक्रमण का फल 5. कायोत्सर्ग ....................... 6. पञ्चक्खाण-प्रत्याख्यान .........
प्रत्याख्यान के भेद भाव प्रत्याख्यान के भेद-प्रभेद प्रत्याख्यान की शुद्धि प्रत्याख्यान का फल
260 260-262
263-264
विहार ............
270-271
मुनि के निवास योग्य वसति पञ्च महाव्रत ...... व्रत (वय)-महाव्रत ............. सर्वथा प्राणातिपात विरमण : प्रथम महाव्रत ................
अहिंसा, हिंसा, हिंसा के प्रकार, हिंसा-अहिंसा की चतुर्भङ्गी
अहिंसापालन हेतु कुछ सावधानियाँ अहिंसापालन का फल सर्वथा मृषावाद विरमण : द्वितीय महाव्रत
मृषावाद के प्रकार सत्य के भेद
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