Book Title: Madhyam Siddh Prabha Vyakaranam
Author(s): Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला ग्रन्थांक 308 श्री महावीर जिनेन्द्राय नमः श्री मणिबुद्ध्याणंदहर्षकर्पूरामृतसूरिभ्यो नमः - श्री सिद्धहेमशब्दानुशासनानुसारि * श्री मध्यमसिद्धप्रभाव्याकरणम् 卐 -संशोधकः संपादकश्च - तपोमूर्ति पू. आ. श्रीविजयकर्पूरसूरीश्वर-पट्टधरहालारदेशोद्धारक पू. आ. श्रीविजयामृतसूरीश्वर पट्टधरः पू. आ. श्री विजयजिनेन्द्रसूरीश्वरः -प्रका शिका - श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला लाखाबावल-शांतिपुरी (सौराष्ट्र) *-*-HEA4*48*4 क- 44 Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ to * * * * * * * - श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला ग्रन्थांक 308 - श्री महावीर जिनेन्द्राय नमः श्री मणिबुद्ध्याणंदहर्षकर्पूरामृतसूरिभ्यो नमः श्री सिद्धहेमशब्दानुशासनानुसारि श्री मध्यमसिद्धप्रभाव्याकरणम् - संशोधकः संपादकश्च - तपोमूर्ति पू. आ. श्रीविजयकर्पूरसूरीश्वर-पट्टधरहालारदेशोद्धारक पू. आ. श्रीविजयामृतसूरीश्वर__ पट्टधरः पू. आ. श्री विजयजिनेन्द्रसूरीश्वरः . सहायकः . पू. प्रवर्तक मुनिराज श्री योगीन्द्रविजय, * पू. तपस्वी मु. श्री दिव्यानंदविजय सदुपदेशेन श्री जामनगर ओसवाल कोलोनी श्वे. मू. ओसवाल जैन संङ्घः . .. - प्र का शि का - श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला लाखाबावल-शौतिपुरी (सौराष्ट्र) * * Kor th*-kark karan * Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . - प्रकाशिका - . श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला (लाखाबावल.) C/o. श्रुतज्ञान भवन, 45 दिग्विजय प्लोट, जामनगर वीर सं. विक्रम सं. सन् प्रथमावृत्तिः 2525 2055 1999 प्रतयः 750 5 आभार दर्शन के अमारी ग्रन्थमाला तरफथी प्राचीन साहित्य प्रकाशन योजना द्वारा आ मध्यम सिद्धप्रभा व्याकरण प्रगट करतां आनंद थाय छे आ ग्रन्थ- संपादन पू. आ. श्रीविजवजिनेन्द्रसूरीश्वरजी महाराजे कयुं छे. ___आ ग्रन्थ पू. प्रवर्तक मुनिराज श्री योगीन्द्रविजयजी म. तपस्वी पू. मु. श्री दिव्यानंदविजयजो म.ना सदुपदेशथी जामनगर ओसवाल * कोलोनी ओसवाल श्वे. मू. संघ तरफथी थयो छे, ते माटे उपदेशक पूज्यो तथा श्री संघनो आभार मानीए छीए अने भविष्यमां संहकार माटे विनंति करीए छीए. ता. 10-10-99 मगनलाल चत्रभुज महेता जामनगर व्यव. श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॐ अल्प वक्तव्य के श्री जैन शासन ए तत्त्व- शासन छे तत्त्वज्ञान आगम अने प्रकरणोमा छे ते संस्कृत प्राकृतना अभ्यासथी अध्ययन करी शकाय. ... संस्कृत प्राकृत बुक तथा सिद्धहेमशब्दानुशासन वि. भणी शकाय. आ मध्यमसिद्धप्रभाव्याकरण ए पण नानु व्याकरण छे ते सिद्धहेमशब्दानुशासनने अनुसरीने छे जेथी अभ्यासोओने सरळ पडे. अल्प समयमां अने मध्यम शक्तिवाला माटे आ व्याकरण सहायक बनशे. अने अभ्यासोओ अनुकुलता मुजब अभ्यास करी तत्त्वनी तृषाने छीपावे एज अभिलाषा. जिनेन्द्रसूरि वि.सं. 2055 भाद्रपद वद-२ तरणेतर रोड, थानगढ Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ or" 9 vrs 0 0 'ur + अनु क्र मः // क्रम प्रकरणंम् सूत्राणि पृष्ठं 1 संज्ञा 17 1 2 स्वरसंन्धि 25 4 सन्धि व्यंजनसंन्धि ससन्धिः . 6 स्वरान्तपुंलिङ्ग . 66 15 7 स्वरान्त स्त्रीलिङ्गा 26 21 8 स्वरान्तनपुंसकलिङ्गा 9 9 व्यञ्जनातपुंलिङ्गः 66 व्यञ्जनान्तस्त्रीलिङ्गाः 4 - 28 व्यञ्जमान्त नपुंसकलिङ्गाः 7 12 युष्मदश्मदी . 25 13 अव्ययानि 22 14 स्त्रीप्रत्ययाः 15 कारकाणि 103 16 समासाः 16 तद्धितप्रत्ययाः 274 55 अथाख्यातप्रकरणम् 157 . 68 18 कृदन्तप्रकरणम् 264 116 17 अथाय Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 11 अहम् / / पू.आ. श्रीविजयक्षमाभद्रसूरिभ्यो नमः / .. श्री सिद्धहमशब्दानुशासनानुसारि // श्रीमध्यमसिद्धप्रभाव्याकरणम् // प्रणभ्य परमात्मानं, सर्वाभिलाप्यदेशिनम् / विभक्तिदेशक सिद्धप्रभा संक्षिप्यते मया / / 1 // अहँ मंगलाय शाखादौ ध्येयम् / / 1 / / अथ संज्ञा प्रकरणम् / // 1 // सिद्धिःस्याद्वादात् / कथंचिन्नित्यानित्यत्वादिरूपात् स्याद्धादात्, सिद्धिः शब्दस्य निष्पत्तिर्जसिश्च / / / 2 / / लोकात् / अनुक्तस्य लोकात्सिद्धि या / // 3 // औदन्ताःस्वरा / अकाराद्या औकारावसानाः स्वराः, अ आ इ ई उ ऊ ऋ ऋ ल ल ए ऐ ओ औ / / // 4 // एकद्वित्रिमात्रा ह्रस्वदीर्घप्लुताः / अ इ उ ऋ ल इत्येकमात्रा हस्वाश्च, आ ई ऊ ऋ Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ल ए ऐ ओ औ इति द्विमात्रा दीर्धाश्च, अ 3 आ 3 इ 3 इत्याद्यास्त्रिमात्रा: प्लुताश्च / ' // 5 // लदन्ताः समानाः / अ आ इ ई उ ऊ ऋ ऋ ल ल / .. / / 6 / / अनवर्णा नामी / . .... अवर्णवर्जा: स्वरा' नामिनः / // 7 // ए ऐ ओ औ सन्ध्य क्षरम् / // 8 // कादिय॑ञ्जनम् / कादयो हान्ता व्यञ्जनानि / कखगघङ चछजझत्र टठडढण तथदधन पफबभम यरलव शषस ह / // 9 / / अपञ्चमान्तस्थो घुट / ङञणनमयरलववर्जः कादिर्वर्णो धुट्संज्ञः / // 10 // पञ्चको वर्गः / कादिमान्तेषु पञ्चपञ्चवर्णपरिमाणो वर्गः, कचटतपा वर्गाः / // 11 // आद्यद्वितीयशषसा अघोषोः / .. कखचछटठतथपफशषस / .. // 12 // अन्यो घोषवान् / शेषा गादयो घोषवन्तः / .. // 13 // यरलवा अन्तःस्थाः / . Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // 14 / / अं क) (प-शषसाः शिट् / अनुस्वारविसर्गजिह्वामूलीयोपध्मानीयशषसाः शिट्संज्ञा, / // 15 // तुल्यस्थानास्यप्रयत्नः स्वः / समानस्थानप्रयत्नो वर्ण स्वसंज्ञः, अवर्णकवर्गहविसर्गजिह्वामूलीयानां कण्ठः, इवर्णचवर्गयशानां तालु, ऋवर्णटवर्गरषाणां मूर्धा, लवर्णतवर्गलसानां दन्ताः, उवर्णपवर्गोपध्मानीयानामोष्ठौ, एऐ कण्ठतालु, ओऔ कण्ठोष्ठं, वो दन्तोष्ठयः, अणनमा अनुनासिकाच, शषसहा ऊष्माणः, इति स्थानानि / स्पृष्टः प्रयत्नो वर्याणाम् , ईषत्स्पृष्टःअन्तः स्थानाम्, ईषद्विवृत ऊष्मणां, विवृतः स्वराणाम्, इत्यास्यप्रयत्नः / / // 16 / / अप्रयोगीत् / कथितोऽपि यो न दृश्यते कार्य स इत्संज्ञः, तस्य च लोपः / / / 17 / / अनन्तः पञ्चम्याः प्रत्ययः . पञ्चमीतः कृतः प्रत्ययसंज्ञो यदि न तत्रान्तशब्दप्रयोगः / .. // इति संज्ञाप्रकरणम् // 1 // Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // 2 // अथ स्वरसन्धिः / // 1 // इवर्णादरस्वे स्वरे यवरलम् / / इउऋलवर्णानां यवरलाः स्युविजातीये स्वरे परे, दधि अत्र दध्य अत्र / // 2 // अदीर्घाद्विरामैकव्यञ्जने / अदीर्घस्वरात् ईस्वरवजितस्य वर्णस्य द्वे रूपे स्याताम्, विरामेऽसंयुक्तव्यञ्जने च, दध्ध्य् अत्र / // 3 // तृतीयस्तृतीयचतुर्थे / घुटस्तृतीयः स्यात् तुतीये चतुर्थे च परे, धस्य स्वसंज्ञको द इति. दद्धया, एवं 'मध्विदं क्रादिः लित्, वर्णग्रहणाद्दीर्घाणामपि नद्येषेत्यादि / // 4 // हदिर्हस्वरस्यानु द्वे नवा / स्वरात् दिर्हस्वरस्य वा द्वे रूपे, सर्वकार्यात् पश्चात्, महूय्यत्र / // 5 // एदैतोऽयाय स्वरे / मुने ए मुनये, रै औ रायो। // 6 / / ओदौतोऽवाव स्वरे / भो अनं भवनं, ग्लौ औ ग्लावौ / // 7 // स्वरे वा / अवर्णभोभगोऽघोभ्यः परयोो : पदान्ते वा लुक Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्वरे, न च सन्धिः , ते इह तयिह त इह, तस्मै इह तस्मायिह तस्मा इह, तौ इह ताविह ता इह / // 8 // समानानां तेन दीर्घः / समानानां स्वेन समानेन सह दीर्घः, दण्डाग्रं दधीदं भानूदयः पितृकारः / / / 9 / / अवर्णस्येवर्णादिनैदोदरऽल / अवर्णस्य इउऋलवर्णैः सह क्रमेण ए ओ अर अल स्युः, देव ईशः देवेशः शुद्धोदकं तद्धिः सल्कारः। // 10 // ऐदौत्सन्ध्यक्षरैः / अवर्णस्यैवैद्भयामैः ओदौद्भयामौः, तवैषः तवौदनः // 11 // प्रेषप्रैष्यप्रौढप्रौढिप्रौहस्वैरस्वैर्यक्षौहिण्यामैदौतौ / ऋणे प्रदशार्णवसनकम्बलवत्सरवत्सतरस्यार। ऋणस्य ऋताऽमीषामवर्णस्यार्, प्र ऋणं प्रार्ण / // 12 / / ऋते तृतीयासमासे आर् / दुःखार्तः / // 13 / / ऋत्यारुपसर्गस्य / उपसर्गावर्षस्यर्कारादौ धातावार्, पराधर्नोति / / / 14 / / नाम्नि / ऋकारादौ नामधातौ वार्, प्रार्षभीयति प्रर्षभीयति। // 15 // लत्याल्वा / उपाल्कारीयति उपल्कारीयति / Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - - / / 16 / / उपसर्गस्यानिणेधेदोति / इणेधूवजित एदोदादौ धातावुपसर्गावर्णस्य लुक्, प्रेजते उपोखति / ........... // 17 // वा नामधातौ / . उपैडकीयति / // 18 // अनियोगे लगेवे / इहेव / / / 19 / / वौष्ठौतौ समासेऽवर्णस्य लुक / बिम्बोष्ठी स्थूलोतुः / // 20 // ओमाङि लुगवर्णस्य / उपेहि / // 21 // एदोतः पदान्तेऽस्य लुक / पदान्ते स्थितादेदोतोऽकारस्य लुक, तेऽत्र पटोऽत्र / // 22 / / गोर्नाम्न्यवोऽक्षे / गोरोतोऽवो नाम्न्यक्षे. गवाक्षः / / / // 23 // स्वरे वाऽनक्षे / गोरोतोऽव: पदान्ते, गवाग्रम् गोऽग्रम् / // 24 / / वात्यसन्धिः / गोरोतः, गो अग्रम् / ॥२५॥इन्द्रे / गोरोतोऽवः, गवेन्द्रः // इति स्वरसन्धिः / / 2 / / Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // 3 // असन्धिः // // 1 // प्लुतोऽनितौ। इतिवर्जे स्वरे प्लुतोऽसन्धिः, सुश्लोक 3 आगच्छ / / / 2 / / ह्रस्वोऽपदे वा / इवर्णादेविजातीयस्वरे परे वा ह्रस्वो, न चेदेकपदे, कुमारि अत्र / समासे नधुदकम् / . / / 3 / / ऋलति ह्रस्वो वा। समानानाम्, ब्रह्म ऋषिः, हस्वविधेर्नार् / // 4 // दूरादामन्त्र्यस्य गुरुर्वैऽकोनन्त्योऽपि लनृत् / देवदत्त देवंद ३त्त वा, ऋल वर्णयोः सावाल्ल नदिति / // 5 // हेहेष्वेषामेव। दूरादामन्त्र्ये स्वरः प्लुतः, हे३ मैत्र / इ 3 वा प्लुतः स्वरेऽसन्धिः, लुनीहीति लुनीहि३ इति / / / 6 / / ईदूदेद् द्विवचनी। ईदूदेदन्तं द्विवचनान्तं असन्धिः, मुनी अत्रा, साधू अत्र, माले आनय / / / 7 / / अदो मुमी। अदसो मुमी असन्धिः , अमी अत्र अमुमुईचः / // 7 / / चादिः स्वरोऽनाङ् / केवलश्वादिस्वरोऽसन्धिः आडं वर्जयित्वा, अ अपेहि, Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अनाङिति किम् ? आ आर्येभ्यः आर्येभ्यः, वाक्यस्मरणयोरेवाङित् / .. // 8 // ओदन्तश्चादिरसन्धिः / ... अहो अत्र। // 9 // सौ नवेतौ / सावोदन्त इतौ वाऽसन्धिः, विष्णो इति विषाविति / // 10 // न सन्धिः / .. विरामें, दधि अत्र / इत्यसन्धिः // 3 / / // 4 // व्यंजन सन्धिः // // 1 // तवर्गस्य श्ववर्गष्टवर्गाभ्यां योगे चटवा। तच शेते तचरति राज्ञः पेष्टा तड्डीनं इट्टे / // 2 // सस्य शषौ / श्चवर्गष्टवर्गाभ्यां योगे, कश्चरति कश्शूरः धनुष्षु बम्भषि / // 3 // न शात् / तवर्गस्य चवर्गः, प्रश्नः / // 4 // षि तवर्गस्य / पदान्ते नट वर्गः, तीर्थकृत्षोडशः / . // 5 / / पदान्ताट्टवर्गादनाम्नगरीनवतेः सतवर्गयोः षटवा न षट् नयाः, अनामित्यादि किं ?, षण्णवतिः / Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // 6 // धुटस्तृतीय पदान्ते / // 7 / / तदन्तं पदम् / स्याद्यन्तं त्याद्यन्तं च पदम् / // 8 // नाम सिवय्व्यञ्जने / सति प्रत्यये यवर्जव्यञ्जनादिप्रत्यये च नामापि पदम्, वाग्भिः / // 9 / / तृतीयस्य पंचमे / पदान्ते तृतीयस्य वा पंचमः पञ्चमे परे, वाङ् मधुरा वाग् मधुरा / // 10 // प्रत्यये च। तृतीयस्य पञ्चमादिप्रत्ययेपञ्चमः, चिन्मयं / / / 11 / / लि लो। तवर्गस्यल: पदान्ते, तल्लुनाति, सानुनासिको लो नकारस्य, भवांल्लिखति / // 12 // उदः स्थास्तम्भः सलुकः / उत्थाता। // 13 // ततो हश्चतुर्थः / .. पदान्ते तृतीयात् हस्य वा चतुर्थो भवति, तद्. धविः, पूर्वतवर्गस्य चतुर्थो धः, तद् हविः / // 14 // प्रथमादधुटि शश्छः पदान्ते बा / वाछूरः वाक्शूरः / Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 10 . // 15 / / तौ मुमो व्यञ्जने स्वौ। ... पदान्ते मस्यानुस्वारः परसवर्णानुनासिकश्च व्यंजनेत्वं करोषि, त्वङ करोषि मोस्त्वपदान्ते चंक्रम्यते चक्रम्यते। // 16 / / शिड्हेऽनुस्वारो / म्नामपदान्ते, पुंसि यशांसि / // 17 // म्नां धुड्वर्गेऽन्त्योऽपान्ते / अपदान्ते म्नां धुड्जातीयवाक्षरे तत्सवोंऽन्त्यः, गन्ता अञ्चितः / / / 18 / / मनयवलपरे है / पदान्ते मोऽनुस्वारो मनयवलाश्च / किन हूनुते / // 19 // सम्राट् / नावानुस्वारः / // 20 // लोः कटावन्ती शिटि नवा / पदान्ते, प्राक् शेते सुगण्ट् साधुः / / // 21 // शिटयाद्यस्य द्वितीयो वा / प्राङ्ख् शेते / / - // 22 // इनः सः त्सोऽश्च: / पदान्ते वा / षड्सीदन्तिः भवान्त्साधुः / // 23 / / नः शि ञ्च का पदान्तेऽश्चि, भवाञ्च छूरः / Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ||24 / / ह्रस्वात् झ्नो द्वे पदान्ते स्वरे / कुर्वन्नास्ते / / / 25 / / पुमोऽशिटयघोषेऽख्यागि रः / पुमोऽधुट्परेऽघोषे रोऽन्तः पूर्वस्यानुस्वारानुनासिकौ च, न चेत् स शिट् ख्याग्वा / // 26 // पुंसः रः कखपफि सः / पुस्कोकिल: पुंस्कोकिलः, अशिटीत्यादि किम् ? पुंक्षुरः पुंदासः पुंख्यानम् / // 27 / / ननः पेषु वा रोऽन्तादेशः पूर्वस्यानुस्वारानुनासिकौ च / // 28 / / रः पदान्ते विसर्गस्तयोः / विरामाघोषयोः / // 29 / / रः कखपफयो:-क) (पौ वा पदान्ते / न पाहि न पाहि न ) (पा हिन) (पाहि नन्) पाहि / . . / / 29 / / द्वि: कान:कानि सो / . . अन्तादेशोऽनुस्वारानुनासिकौ च पूर्वस्य, काँस्कान् / // 30 // नोऽप्रशानोऽनुस्वारानुनासिकौ च पूर्व. . स्याधुट्परे चटते सद्वितीये / शषसाः पदान्ते, भवाँश्चरति भवांश्चरति भवाँपीकते भवांस्तनोति / Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 12. // 31 // स्वरेभ्यः / छो द्विः / // 32 / / अघोषे प्रथमोऽशिटः / देवच्छत्रं / // 33 // अनाङ्माङो दीर्घाद्वा / छो द्विः, जम्बूच्छाया जम्बूछाया / // 34 / / प्लुताद्वा / . इन्द्रभूते 3 च्छवं छत्रम् वा / // इति व्यञ्जनसन्धिः // 4 // // 5 // ससन्धिः // // 1 // सो. रुः / पदान्ते, जिनः / // 2 // ख्यागि रो। विसर्ग एव पदान्ते, जिनः ख्यातः / // 3 // शिटयघोषात् / विसर्ग एव रः, अद्भिः प्सातम् / // 4 // व्यत्यये लुग्वा रः / क स्खलति कः स्खलति / // 5 // शषसे शषसं वा / / रः पदान्ते, कश्शूरः कः शूरः / // 6 // चटते सद्वितीये / .. रः शषसाः, कश्चरति / Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // 7 / / अतोऽति रोरुः / पदान्ते, कोऽर्थः / // 8 // घोषवति / रोरुरतः, को देवः / // 9 // अवर्णभोभगोऽघोभ्यो लुगसन्धिः / घोषवति रोः, धार्मिका जयन्ति भो गच्छसि / // 10 // रोर्यः / अवर्णभोभगोऽघोग्यः पदान्ते रोर्यः स्वरे, कयास्ते भोयिह / // 11 / / अरोः सुपि र / एव, गीर्षु / // 12 // रा लुप्यरि / अह्नो रो लुप्यरादौ, अहर्ददाति / / / 13 / / अह्नः पदान्ते रुः / रादौ, अहो रूपम् / / // 14 // बाहर्पत्यादयः / रेफोपध्मानीयविसर्गा एषु / // 15 // भ्रातुष्पुत्रकस्कादयः / . अविहितलक्षणौ षकारसकारी / / / 16 / / रो रे लुग्दीर्घश्चादिदुतः / पूर्वस्य, पुना रमते / / / 17 / / तदः से स्वरे पादार्था लुक् / Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 14 पादः श्लोकचतुर्थभागः, स चेत् पूर्णो भवेत्, सैष दाशरथी रामः / // 18 // एतदश्च व्यञ्जनेऽनग्नसमासे / नसमासं वर्जयित्वाऽगागमाभावे च एतत्तदोः सेर्लुक् व्यञ्जने, स याति एष याति / / / 19 / / नमस्पुरसो गलेः / कखपफि र: स:, नमस्करोति / // 20 / / तिरसो वा / तिरस्कृत्य तिरःकृत्य / // 21 // शिरोऽधसः पदे समासैक्ये। .. रः सः शिरस्पदम् / ' / / 22 / / अतः कृकमिकंसकुम्भकुशाकर्णीपात्रऽनव्ययस्य / रः सः, अयस्कारः अयस्पात्रं / // 23 // प्रत्ययेऽनव्ययस्य / अतो र. सः प्रत्ययादौ कखपफि, पयस्पाशम् / // 24 / / रो काम्ये / अनव्ययस्य काम्ये रो: सः, पयस्काम्यति / // 25 // नामिनस्तयोः षः / नामिनः परस्य रेफस्य प्रत्ययादौ कख-पफि काम्ये च रोः षः, सपिप्पाशं सर्पिष्काम्यति / Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ / / 26 / / निर्दबहिराविप्पादुश्चतुराम् / कखपफि रः षः, निष्पीतं चतुष्पात्रं / // 27 / / सुचो वा / चतुष्पचति चतु: पचति / / / 28 / / वेसुसोऽपेक्षायां / इसुसन्तस्य रोऽपेक्षायां कखपफि वा षः सपिकरोति सपिः करोति / // 29 // नैकार्थेऽक्रिये / इसुसो रः ष: अक्रिये समासे, सपि कालकं / // 30 // समासेऽसमस्तस्य / पूर्वेण सहासमस्तस्येसुसन्तस्य र: षः, सर्षिष्कृत्य, समासे तु परमसर्पिः कुण्डम् / / इति ससन्धिः / / 5 / / // 6 // स्वरान्तपुंलिङ्गाः // // 1 // अधातुविभक्तिवाक्यमर्थवन्नाम / // 2 / / स्त्यादिविभक्तिः / / स्यादयः त्यादयश्च विभक्तयः स्युः / .. / / 3 / / नाम्नः स्यादयः / स्यौजस् 1 अमौशस् 2 टाभ्यांभिस् 3 उभ्यांभ्यस् 4 ङसिभ्यांभ्यस् 5 ङस्ओस्आम् 6 ङिओस्सुप् 7 एताः सप्त विभक्तय एकद्विबहुवचनरूपाः / देव सि इति, इकार इत्, देवः देवौ / Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // 4 // अत आः स्यादौ जस्भ्याम्ये / देवाः / // 5 / / आमन्त्र्ये प्रथमा / // 6 / / अदेतः स्यमोर्लुक् / * संबोधने / हे देव हे देवौ हे देवाः, आमन्त्रणाभिव्यक्तये हेशब्दस्य प्राक् प्रयोगः / .. // 7 // समानादमोऽतो लुक् / देवं देवी, देव शस्, शकारः शस इति विशेषणाय / . // 8 // शसोऽता सश्च नः पुंसि / ___ शसोऽकारेण समानस्य दीर्घः पुंसि च सकारस्य नः, देवान् / देव टा। // 9 // टाङसोरिनस्यौ / अदन्तानाम्नष्टाङसोः क्रमेणेनस्यौ स्याताम्, देवेन देवाभ्याम् / // 10 // भिस एस् अवन्तस्य / देवैः / // 11 // इंडस्योर्यातौ / अतः, देवाय देवाभ्याम् / / / / 12 / / एद्वहुस्भोसि / बहुवचने सकारभकारादौ परे ओसि चात ए:, देवेभ्यः, देवात् देवाभ्याम् देवेभ्यः देवस्य देक्योः / / / 13 / / ह्रस्वापश्च / ह्रस्वादापः स्त्रीदूतश्चामो नाम् स्यात् / . Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // 14 // दी| नाम्यतिसृचतसृषः / समानस्य, देवानाम् देवे देवयोः // 15 // नाम्यन्तःस्थाकवर्गात पदावान्त कृतस्य सः शिङ्नान्तरेऽपिषः / देवेषु / / सर्व विश्व उभ उभय अन्य अन्यतर इतर डतरडतमौ प्रत्ययौ तदन्तौ ततोऽत्र त्व त्वत् समसिमौ सर्वार्थो. पूर्वपरावरदक्षिणोत्तरापराधराणि व्यवस्थायाम् स्बमज्ञातिधनाख्यायाम् अन्तरं बहिर्योगोपसंव्यानयोरपुरि त्यद् तद् यद् अदस् इदम् एतद् एक द्वि युष्मद् अस्मद् भवतु किम् एते सर्वाद्यास्त्रिलिङ्गा असंज्ञायाम् // 16 // जसः इः / सर्वादेरदन्तात्, सर्वे // 17 // रषवर्णान्नो ण एकपदेऽनन्त्यमालचटतवर्गशसान्तरे / सर्वेण // 18 // सर्वादेः स्मैस्मातौ / डेङस्योरदन्तात्, सर्वस्मै सर्वस्मात् // 19 / / अवर्णस्यामः साम् / सर्वादेः सर्वेषाम् // 20 // स्मिन् / सर्वादेरतः, सर्वस्मिन् / द्विवचन उभः, उभौ उभाभ्याम् उभयोः / एकत्वबहुत्वयोरुभयः उभये उभयेषां // 21 // नवभ्यः पूर्वेभ्य इस्मास्मिन् वा / पूर्वेभ्य इति पूर्वाद्यन्तरान्तेभ्यः, पूर्वे पूर्वाः परस्मात् परात् अन्तरस्मिन् अन्तरे // 22 // नेमार्धप्रथमचरमतयाल्पकतिपयस्य वाऽतो जस इ., प्रथमे प्रथमाः, तयायौ प्रत्ययौ Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 18 ततस्तदन्ता ग्राह्याः द्वितये द्वितयाः . द्वये . द्वयाः // 23 / / द्वन्द्वे वा / जस इ:, परमकतमे परमकतमाः / // 24 // न सर्वादिर्द्वन्द्वे / परमकतमानां // 25 // तृतीयान्तात् / पूर्वावरं योगे न सर्वादिः, भासेन पूर्वाय / तीयं ङित्कार्ये वा सर्वादिः, द्वितीयस्मै द्वितीयाय / निर्जर: * // 26 // जराया जरस्वा / स्वरादौ स्यादौ // 27 // षष्ठयाऽन्त्यस्यादेशः,. अनेकवर्णः सर्वस्य, निर्जरसौ, निर्जरौ, निर्जरसः निजरसा निर्जरसैः निर्जरसाम् // 28 // दन्तपादनासिकाहृदयासृग्यूषोदकदोर्यकुच्छकृतो दत्पन्नस्हृदसन्यूषन्नुदन्दोषन्यकन्शकन् वा शसादौ, दतः दन्तान् दता दद्भयाम्, पदः पादान् यूषान् // 29 // पुंस्त्रियोः स्यमौजस् घुट // 30 // अनोऽस्य लुक् / ङीस्याद्यघुट्स्वरे, यूष्णः यूष्णा // 31 // नाम्नो नोऽनलः / पदान्ते लुक्, यूषभ्याम् // 32 // ईङौ वा // 33 // नोऽस्य / लुक्, यूष्णि यूषणि // 34 // मासनिशासनस्य शसादौ लुग्वा / मास: मासान् माभ्याम्, द्वयह्नः // 35 // संख्यासायवेरह्नस्याहन् / ङौ वा, द्वयहनि द्वयह्नि द्वयह्न, सायाह्नि व्यहनि // 36 / / लुगातोऽनापः / डीस्याद्यघुट्स्वरे, विश्वप: विश्वपे / मुनिः Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // 37 // इदुतोऽरीदूत / इदुत औता सहेदूता. वस्त्रेः, मुनी // 38 // जस्येदोत् / इदुतः, मुनयः // 39 / / ह्रस्वस्य / गुणः सिनाऽऽमन्त्र्ये // 40 // गुणोऽरेदोत् / ऋइउवर्णानां, हे मुने मुनीन् // 41 // ट: पुंसि ना / इदुतः, मुनिना // 42 // ङित्यदिति / इदुतोरेदोतावदिति ङिति, मुनये // 43 // एदोद्भयाम् ङसिडसो रः / मुनेः 2, अकार उच्चारणार्थः // 44 // डिगरिदुतः // 45 // डित्यन्त्यस्वरादेर्लुक् / स्वरान्तस्य केवल: स्वरो व्यंजनान्तस्यान्त्यव्यंजनयुगन्त्यस्वरश्च लुच्यते, मुनौ मुन्योः मुनिषु // 46 // ऋदुशनस्पुरुदंशोऽनेहसश्च / शेषसेर्डाः, चात्सख्युः, संबोधन वयः सिः शेषसिः, सखा // 47 // सख्युरितोऽशावैत / इदन्तसखिशब्दस्य शिवजिते घुटि ऐत् सखायौ सखीन् / // 48 // न नाङिदेत् केवलसखिपतेः / सख्या सख्ये // 49 // खितिखीतीय उर् / खितिखीतीत्येतेभ्यो ङसिङसोरुर् स्यात् चेदेर्यकारः, सख्युः 2 // 50 // केवलसखिपतेरौ उः / सख्यौ, पतयः पत्या पत्यौ / भूपतिना भूपतौ / डत्यन्तः कतिशब्द: // 51 // इतिष्णः संख्याया / लुप् जश्शसोः / लुप्यय्व ल्लेननत् स्थानिकार्य, कति कतिभिः कतिषु / Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 20 बहुवचनान्तः त्रिशब्दः, त्रयः त्रीन् त्रिभिः / त्रय आभि, त्रयाणाम् / द्विवचनान्तो द्विशब्द: // 52 // आढेरः / त्यदादीनां द्व्यन्तानामन्त्यस्य अः स्यात्, द्वौ द्वयोः // 53 // क्विब्वत्तेरसुधियस्तौ / क्विबन्तवृत्तेरिवर्णोवर्णयोर्यो स्वरे, वातप्रम्यं वातप्रम्या वातप्रम्यि // 54 // दीर्घङयाव्यञ्जनात्सेलृक् / बहुश्रेयसी बहुश्रेयस्यः // 55 // नित्यदिद्विस्वराम्बार्थानां ह्रस्वः / सिनामन्ये, हे बहुश्रेयसि ! // 56 // स्त्रीदूतो ङितां दैदास्दास्दाम् क्रमेण / बहुश्रेयस्यै बहुश्रेयसीनाम् बहुश्रेयस्याम् // 57 // धातोरिवर्णोवर्णयोरियुवौ स्वरे / सुधियो सुधियः सुधियाम् सुधियि / कुमारीमिच्छन्कुमारी / __ // 58 // योऽनेकस्वरस्येवर्णस्य / स्वरे, कुमार्यों कुमारीणाम् कुमार्याम् / स्त्रिया इवर्णस्येय् स्वरे, अतिस्त्रियौ अतिस्त्रिणा अतित्रौ / प्रभुः प्रभवः प्रभुणा प्रभूणाम् प्रभौ // 59 / / कुशस्तुनस्तृच् / पुंसि घुटि क्रोष्टा // 60 // तृनप्तनेष्टुत्वष्टक्षत्तहोतृपोतृप्रशास्त्रो घुटि / ऋत आर्, क्रोष्टारौ क्रोष्टून् // 61 // टादौ म्वरे वा / क्रुशस्तुनस्तृच्, क्रोष्ट्रा क्रोष्टुना / ऋतो डुर् ङ्सिङ्सोः क्रोष्टुः क्रोष्ट्रनाम् / हूह्वौ हूह्वाम् / // 62 / / इन्पुनर्वर्षाकारैर्भुवो वः / स्वरादौ, Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 21 हन्भ्वौ, दृम्भून् / स्वयम्भुवौ स्वयंभुवाम् स्वयम्भुवि / कर्त्या कर्तृन् कर्तुः कर्तृणाम् / अङग च, ऋतो घुटि ङौ चार् कर्तरि, ना नरौ नुः / नुर्वा नामि दीर्घः, नृणाम् नृणाम् / कृः क्रौ / से: सयौ / // 63 // औत औधुटि / सुद्यौः / // 64 // आ अम्शसोऽता / सह, सुद्याम् सुद्याः सुद्योः सुद्यवि // 65 // आ रायो व्यञ्जने / रा: रायौ राभ्याम् रासु / ग्लौः ग्लावौ ग्लौषु / // इति स्वरान्तपुंल्लिङ्गाः // 6 // // 7 // स्वरान्त स्त्रीलिङ्गाः / // 1 // आबन्तोः / मालाशब्द:, माला // 2 // औता / आप औता सहैत्, माले मालाः / एदापः सिनामन्व्ये, हे माले माला // 3 // टौस्येत् / आपः, मालया // 4 // आपने डितां येयास्यास्याम् / मालायै मालायाः मालानाम् मालयोः मालायाम् // 5 // आत् / स्त्रियामकारादाप्, सर्वा // 6 // सर्वादेर्डस्पूर्वाः / यैयास्यास्याम् / ङिताम् / सर्वस्यै सर्वस्याः सर्वस्याम्, द्वितीयस्यै, जरा जरसौ जरे जरसः जराः, नासिकया नसा नोभ्याम् / निशा निशाभ्याम् निज्भ्याम् / // 7 // यजसजमृजराजभ्राजभ्रस्जवश्वपरिवाजः Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 22 शः पौ // 7 // धुटि पदान्ते चेति / निशस्तु निड्भ्याम् निड्त्सु / मतिः मती मतयः मती: मत्या // 8 // त्रियां जितां वा दैदासदासदाम् इदुतः / मत्य मते: मत्यां मतौ / // 9 // चित्रतुरस्तिसृचतस स्यादौ स्त्रियाम् / ऋतो र: स्वरेऽनि / तिसृचतस्रो गमवर्जे स्वरे, ऋतों रः, तिनः तिसृभिः तिसृणाम् / प्रियांस्तिस्रो यस्य तत् .. // 10 // अनतो लुप् / क्लीबे स्यमोः, प्रियतिसृ // 11 // अनाम्स्वरे नोऽन्तो / नाम्यन्तानपुंसकात // 12 // औरोः क्लोबे। प्रियतिसृणी // 13 // नपुंसकस्य शिर्जशसोः // 14 // स्वराच्छौ क्लीवे.नोऽन्तः // 15 // शिधुट क्लीबे // 16 // नि दीर्घः / शेषघुटपरे नि.दीर्घः, प्रियतिसृणि // 17 // वान्यतः पुमांष्टादौ स्वरे। अन्यतो नपुंसकस्य टादौ स्वरे वा पुंलिङ्गं, प्रियतिस्रा प्रियतिसृणा / द्वे द्वाभ्याम् नदी नद्यौ, 'सखी सख्यौ, लक्ष्मी: लक्ष्म्यौ, स्त्री स्त्रियौ // 18 // वाऽम्शसि / स्त्रिय इवर्णस्येय, स्त्रीम् स्त्रीयम् स्त्रीः स्त्रिय स्त्रियै स्त्रीणाम्, श्रीः श्रियो श्रियः हे श्रीः // 19 // वेयुवोऽख्रिथाः / ङिताम् दैदास्दास्दाम्, श्रियै श्रिये // 20 // आमो नाम्वा / स्त्रीदूतः - इयुवः, श्रीणाम् श्रियाम, सेनानीः सेनान्यौ सेनानीनाम् // 21 // निय Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आम् ङः / सेनान्याम् // 22 // संयोगात् / धातो. संयोगादिवर्णोवर्णयोरियुवौ स्वरे, कटप्रुवौ कटप्नुवि // 23 / / भ्रश्नोरुवर्णस्यो / स्वरे, ध्रुवौ // 24 // स्त्रियां क्रुशस्तुनस्तृच् // 25 / / स्त्रियां नृतोऽस्वस्रादेमः। क्रोष्ट्री / // 26 // कवर्गकस्वरवति उतरपदे / पूर्वपदरपुरुत्तरपदागमयोर्नस्य णः, पुनर्भूणाम् स्वसा स्वसारौ / स्वसा दुहिता जनान्दा याता माता तिसृ चतसृ इति स्वस्रादि: माता मातरौ / इति स्त्रीलिङ्गाः 17 // / / 8 // स्वरान्तनपुंसकलिङ्गाः / 1 // 1 // अतः स्यमोऽम् नपुंसकस्य / कुलं कुले कुलानि // 2 // पञ्चतोऽन्यादेरनेकतरस्य दः / क्लीबे स्यमोः // 3 // विरामे वाऽशिटो धुट: प्रथमः, अन्यद् अन्ये हे अन्यत्, एकतरं अन्यतमं // 4 / / जरसो वा / क्लीबे स्यमोलक, अतिजरः अतिजरसं अतिजरसी अतिज रे // 5 // धुटां प्राक् / क्लीबे धुटां प्राक् छौ // 6 // नोऽन्तः / अतिजरांसि, हन्दि हृदा / उन्ना उद्ने, आस्ना जासभ्यः आसनि // 7 // क्लीबे ह्रस्वः / कीलालपं, वारि वारिणी वारीणी // 8 // नामिनो लुग्वा / क्लीबे स्यमोः, हे वारे पक्षे हे वारि बारिणा वारिणे वारीणाम्, ग्रामण्यां Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 24 ग्रामणिना // 9 // दध्यस्थिसक्थ्यक्ष्णोऽन्तस्यान् / दादौ स्वरे, दना दवनि दलि, सुधिया सुधिना, क; कर्तृणा, अतिहिना, अतिरिणा अतिराभ्याम्, अतिद्यवे अतिधुने, अतिनुना अतिनुने, नात्र पुंलिङ्गं / इति नपुंसकलिङ्गम् // 10 // // 8 // व्यञ्जनान्त पुंलिङ्गाः // 1 // हो धुट्पदान्ते ढः / लिट् लिहौ लिड्त्सु / / 2 / / भ्वादेर्दादेर्घः / हस्य धुट्पदान्ते // 3 // गडदबादेश्चतुर्थान्तस्यैकस्वरस्यादेश्चतुर्थः स्ध्वोश्च प्रत्यये / चात् पदान्ते, धुग धुक् // 4 // द्रुहमुहस्नुहस्निहो वा घ: धुट्पदान्ते, ध्रुग् ध्रुवं ध्रुट ध्रुड् ध्रुक्षु धुड्त्सु // 5 // वा शेषे / अनडुह्रचतुरोरकारस्य वाकारः शेषधुटि / // 6 // अनडुहः / सौ धुटः प्राग्नोऽन्तः // 7 // पदस्य पदान्ते संयोगान्तस्य लुक्, अनड्वान् अनड्वाही // // उतोऽनडुच्चतुरो वः / आमन्त्र्ये, हे अनड्वन् अनडुहा / // 9 // लंसध्वंसक्वस्सनडुहो दः / धुट्पदान्ते, अनडुद्भयाम् अनडुत्सु // 10 // दिव औः / दिवो व औः सौ, द्यौः दिवौ // 11 // उ: पदान्तेऽनूत् / पदान्ते दिवो व उद्भवति, न च दीर्घः, द्युभ्यां, चत्वार: चतुरः // 12 // सख्यानां वर्णाम् / रषनान्तसंख्याया आमो ताम्, चतुर्णाम्। Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ / / 13 / / मो नो म्वोश्च / धातोः चात् पदान्ते, प्रशान् प्रशामौ // 14 // किनः कस्तसादौ च / चात्स्यादौ, क: के कस्मिन् केषु // 15 / / अयमियं पुत्रिपोरिदमः / अयम् / / 16 / / दो मः / स्यादाविदमः, इमे / / 17 / / टोस्यन / इदमः, अनेन / / / 18 // अनक् / अनक् इदम् अत्स्यायञ्जने, आभ्याम्, अनगिति इमकाभ्याम्, एभिः / / 19 / / इदमदतोऽक्येव / भिस ऐम्, इमकैः / / 20 / / इदम: / प्रागुद्दिष्टस्य पुनर्विधानलक्षणेऽन्वादेशे इदम एनत्स्यात् द्वितीयाटौसि, न चेद्, वृत्त्यन्ते, वृत्तिश्च परार्थाभिधानं समासादिः, उद्दिष्ट आचारोऽथैन मनुजानीत, एनान् एनयोः / // 21 / / अद्वयञ्जने / साक इदमोऽद्भवति व्यञ्जने परेऽन्वादेशे, इमकस्मै उद्दिष्टमथास्मै समुद्दिशत, राजा // 22 / / नामन्त्र्ये / नलुक्, हे राजन् राजनि राज्ञि // 23 / / भ्वादेर्नामिनो दीर्घो र्वोर्वञ्जने / धातोर्नामिनो दीर्घो व्यञ्जनपरयो रवयोः, प्रतिदीवा प्रतिदीनः // 24 // न वमन्तसंयोगादनोऽस्य लुक्, तत्त्वदृश्वनः // 25 / / इन्हन्पूषार्यम्णः शिस्योर्दीर्घः / शेषे, वृत्रहा वृत्रणौ // 26 // हनो ह्रो घ्नः // 27 / / हनो घि न णः, वृत्रघ्नः / दण्डी, पषा अर्यमिण / Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // 28 // श्वन्युवन्मघोनो ङीस्याद्यघुस्वरे / व उ:, शुनः शुनि श्वसु // 29 // पयिन्मथिनृभुक्षः सौ / आः / एः, पथ्यादीनामेरा, घुटि // 30 // थो न्थ / पथिन्मथिनोर्बुटि, पन्थाः पन्थानौ / / 31 / / इन्डीस्वरे / पथिन्मथिनोरिनो लुक् डीस्वरे, पथः पथिभ्याम् पथि, नन्ता संख्याऽलिङ्गेति त्रिषु समानः पञ्चन्, पञ्च पंचानाम् पंचसु // 32 // वाष्टन आः स्यादौ // 33 / / अष्ट और्जश्शसोः / अष्टौ अष्ट अष्टानाम् // 34 / / भुत् भुद् बुधौ भुद्भ्याम् // 35 // युज्रोऽसमासे / घुटि प्राग्नोऽन्तो धुटः // 36 // युजञ्चक्रुञ्चो नो / ङः, पदान्ते, युङ् युञ्जौ // 37 // चजः कंगम् / धुटपदान्ते, युग युक्षु / निमित्ताभावे नैमित्तिकाभावः खन् खञ्जौ खन्सु, राट् राड् परिव्राट् // 38 // वसुराटोर्दीर्घः / विश्वस्य, विश्वाराट् विश्वराजौ // 39 // संयोगस्यादौ स्कोटुंग् / घुट्पदान्ते, साधुलग् साधुलग्भ्याम् / // 40 / / ऋत्विज्दिश्श्स्पृ श्त्रज्दधृषुष्णिहो गः / पदान्ते, ऋत्विक् // 41 // रात् स / एव पदान्ते लुक्, ऊर्क, ऊर्ख // 42 // द्वे आद्धरः // 43 / / लुगस्यादेत्यपदे // 44 // तः सौ स. / त्यदादीनां व्द्यन्तानां, सः ते तस्मै, त्ये त्येषु यः येषाम् यस्मिन् Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 27 // 45 // त्यदामेनदेतदोऽवृत्त्यन्ते ऽन्वादेशे द्वितीयाटौसि, सुशीलावेतकावथैनो गुरवो मानयन्ति, एनेन एनयोः // 46 // यस्वरे पादः / पदणिक्युघुटि स्वरे, द्विपद: द्विपाद्भयाम् / / 47 / / अश्चोऽनर्चायामेव / नो लुक् विति / // 48 / / अचः / घुटयचः धुट: प्राग्नोऽन्तः, प्राङ् / / / 49 / / अच्च् प्राग्दीर्घच / आणिक्यघुटि यस्वरे, प्राचः, प्रांचः, प्रतीचः प्रत्यक्षु / / 50 // उदच उदीच् / अणिक्यघुटि यस्वरे, उदोचः // 51 // सहसमः सध्रिसमि / क्विबन्तेऽञ्चतौ, सध्रीच: सध्रीचि, समीचा / / 52 / / तिरसस्तियति / क्व्यञ्चतेरकारे तिरसस्तिरिः तिर्यङ् तिरश्चः, कुङ् कुक्षु, पयोमुक् पमोमुग्भ्याम् / ऋदिन्महत् / / / 53 // ऋदुदितः / धुट: प्राग् नोऽन्तो घुटि / / 54 / / सन्स्महतो दीर्घः / शेषे घुटि, महान् महान्तम् उदित् धीमत् // 55 / / अभ्वादेरत्वसः सौ / शेषे दीर्घः, धीमान् // 56 // अन्तो नो लुक् / द्व्युक्तजक्षपंचकस्य, ददत् जक्षत् जाग्रत् दरिद्रत् चकासत्, यादृक् यादृक्षु // 57 / / नशो वा गः पदान्ते / नग नक् नट् नड्, षड् षण्णाम् / // 58 / / क्वसुष्मतौ च / चादणिक्यघुटि यस्वरे, विदुषः विद्वत्सु, सेदिवान् सेट्कवसोरुष् सेदुषः, सुहिन्, धातुत्वान्नन्सिति Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 28 दीर्घः, सुहिंसौ / // 59 // पुंसोः पुमन्स / घुटि, पुमान् पुमांसी पुंसः पुसु उशनाः / / 60 / / वोशनसो नश्चामन्त्र्ये लुक् चात्सः, पक्षे हे. उशनन् हे उशनः // 61 // अदसो दः सेस्तु डौः / अदसो दः सः सौ सेस्तु डौः, असौ // 62 // असुको वाकि / सौ असुकः असकौ / // 3 // मोऽवर्णस्य / अवर्णान्तस्यादसो दो मः // 64 // मादुवर्णोऽनु / अदसो मात्परस्य / यथामात्रमुवर्णः पश्चात्, अमू // 65 / / बहुष्वेरीः / अदसो मादेरीबहुत्वे, अमी // 66 / / प्रागिनान्मादुवर्णोऽदसः / अमुना अमुष्मात् अमीषु, श्रेयान् श्रेयांसौ / इति व्यञ्जनान्तपुंल्लिङ्गाः / / 8 / / // 9 // व्यञ्जनान्तस्त्रीलिङ्गाः / // 1 // नहाहोर्घतौ / नहाहयोर्हस्य क्रमेण धतौ धुटि प्रत्यये पदान्ते च, परीणद् परीणद्भयाम्, उष्णिग्भ्याम् उष्णिक्षु, गीः गीाम् गीर्षु, चतस्रः चतसृणाम्, का के कासु, इमाः अनया एनयोः आसाम्, स्रग् स्रक् एषा एतस्याम्, वाग्भ्याम् वाक्षु, अपशब्दो बहुवचने // 2 // अपः शेषे। घुटि दीर्घः, आपः // 3 // अपो झै / स्यादौ, अद्भिः, दिक् दिग्, दृग्भ्याम् दृक्षु, त्विषा त्विट्सु // 4 // Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सजुषः / पदान्ते रुः, सजूः सजूषौ सजूष्षु सजुःषु, असौ अमूः अमुया अमूषाम् अमुष्याम् / इति स्त्रीलिङ्गाः / / 9 / / // 10 // व्यञ्जनान्तनपुंसकलिङ्गाः / / // 1 // स्वनडुत् / स्वनडुही स्वनड्वांहि, विमलद्यु विमलदिवि, वाः वारी वार्ष, इदम् इमानि अस्मात्, अहः अहनी अह्नी अहानि अहोभ्याम्, दाम / / 2 / / क्लीबे / वामन्चे नलुक्, हे दामन् हे दाम, असृक् असं जि अस्ना अससु // 3 // लॊ वा र्लपरधुडन्तस्य धुट: प्राग्वा नोऽन्तः, बहूजि, बहूजि, यद् ये येषाम्, एतद् एनेन, तिर्यक् तिरश्ची, तिर्यञ्ची, यकृत् यकानि याना, शकृन्ति शकभ्याम्, जक्षती // 4 / / शौ वा / व्युक्तजक्षपञ्चकयोः शौ वान्तो नो लुक, जक्षन्ति जक्षति, भात् / / 5 / / अवर्णादश्नोऽन्तो वाऽतुरीड्योः, श्नावर्जादवर्णादतुरन्तो वा इङ्योः, भान्ती भाती // 6 // श्यशवः / अतुरन्त ईङ्योः, भवन्ती, दीव्यन्ती दीव्यता // 7 / / नि वाऽपो। दीर्घः, स्वम्पि स्वाम्पि, सपिः सर्पिषी सपिषि सर्पिष्षु, पिंपठीः पिपठिषी पिपठिषि, सुपुम् सुपुमांसि, अदः अमूनि // इति व्यञ्जनान्तनपुंसकलिङ्गाः // 11 / / Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // 11 // युष्मदश्मदी / / - // 1 // त्वमहं सिना प्राक् चाकः / सह युप्मदस्मदोः, त्वम् अहम्, त्वकम् / // 2 // मन्तस्य युवावी द्वयोः, / मन्तयुष्मदस्मदोद्वित्वे युवावौ स्याताम् // 3 // अमी मः व्यञ्जनादिप्रत्यये आः / युवाम् आवाम् / / 4 / / यूयं वयं जसा / यूयम् वयूम् वूयकं / // 5 / / त्वमौ पत्ययोत्तरपदे चैकस्मिन्, / त्वाम् माम् युवाम् आवाम् / / 6 / / शसो नः 1 युष्मान् अस्मान् / / 7 / टाङ्योसि यः / त्वया मया युवाभ्याम् आवाभ्याम् युष्माभिः अस्माभिः. // 8 // तुभ्यः मां ङया। तुभ्यम् तुभ्यकं मह्यम् युवाभ्याम् / / 9 / / शेषे लुक् / अनाये स्यादौ / // 10 // अभ्यम् भ्यसः / युष्मभ्यम् अस्मभ्यम् // 11 // उसेश्चात् / पञ्चम्याश्चाद् भ्यसः, त्वत् मत् युवाभ्याम् आवाभ्याम्, युष्मत् अस्मत् // 12 // तब मम ङसा / तव मम तवक युवयोः / आवयोः // 13 // आम आकम् / युष्माकम् अस्माकम् त्वयि मयि युवयोः आवयोः युष्मासु अस्मासु / // 14 / / अविशेषणे द्वौ चास्मदः / अस्मद एको द्वौ च बहुवद्वा, न चेद्विशेषणयुतः, अहम् आवाम् वयम् / // 15 // सविशेषणमाख्यातं वाक्यम् / पदाद् युग्वि Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भक्त्त्येकवाक्यै वस्न सौ बहुत्वे / पदात्परयोरेकवाक्ये बहुत्वे युष्मदस्मदोद्वितीयाचतुर्थीषष्ठीलक्षणयुग्विभक्त्या सह वस्नसौ स्याताम् // 16 // द्वित्वे वाम्नौ / युग्विभक्त्या // 17 // ङङसा ते मे // 18 // अमा त्वा मा / धर्मः त्वा मा वां नौ वो नो वा रक्षतु, शीलं तं मे वां नौ वो नौ वा दीयते, ज्ञानं ते मे वो नौ वो नो वा स्वम् // 19 // असदिवामन्त्र्यं पूर्वम् / श्रमणा युष्मान् रक्षतु धर्मः // 20 // जस्विशेष्यं वामन्त्र्ये / विशेषणपरं जसन्तं विशेष्यमामन्त्र्यो वाऽसद्, जिनाः शरण्या युष्मान् वो वा शरणं प्रपद्ये / // 21 // नान्यत् / विशेष्यमस दिव, साधु सुविहितौ वां शरणं प्रपद्ये // 22 // पादाद्योः / नेते वसादयः, वीरो विश्वेश्वरो देवो, युष्माकं कुलदेवता / स एव नाथो भगवानस्माकं पापनाशन: // 1 // // 2 / / चाहहवैवयोगे / न वसादयः, ज्ञानं तुभ्यं च दीयते // 24 / / दृश्यर्थंश्चिन्तायाम् / नैते, ज्ञानं मामपेक्षते / नित्यमन्वादेशे वसाद्याः, त्वं विद्वानथो ते क्षमाश्रमणैनिं दीयते // 25 // सर्पवात्प्रथमान्ताद्वा / अन्यादेशे वसाद्याः, धन वास्त्वमथो लोकः त्वां त्वा वाऽर्चयते / इति त्रिषु सरूपे युष्मदस्मदी / / 11 / / Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // 12 // अव्ययानि / / . // 1 // स्वरादयोऽव्ययम् / स्वर् अन्तर् प्रातर् पुनर् ह्यस् श्वस् स्वस्ति समया निकषा उच्चैस् . नीचैस् शनैस् द्राक् ईषत् नमस् आविस् प्रादुस् इत्यादीनि / सदृशं त्रिषु लिङ्गेषु, सर्वासु च विभक्तिषु / वचनेषु च सर्वेषु, * यन्न व्येति तदव्ययम् // 1 // // 2 // चादयोऽसत्त्वे / अव्ययम्, च वा एव एवम् नूनम् स्वाहा भोस् भगोस् अघोस् ननु इव खलु जातु यावत् तावत् अमा सार्धम् अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ / प्र परा अप सम् अनु अव निस् दुस् आङ् नि वि प्रति परि उप अधि अपि सु उद् अति अभि इत्युपसर्गाः / // 3 // विभक्तिथमन्ततसाद्याभाः / अहंयुः कथम् कुतः तथेत्याद्या: / : तस् त्रप् दैद्युस् द्युस् हि था धा * कृत्वस् सुच् रि रिष्टात् अस् स्तात् अतस् आ आहि एन च्वि स्सात् त्रा डाच् प्रशस् एतदन्तमव्ययं, सर्वस्मादिति सर्वतः इतः अतः कुतः सर्वविभक्तावप्ययं यस्मादिति यतः कस्मिन्निति कुत्र क्व कुह अस्मिन्निति अत्र इह / .. कस्मिन् काले कदा यदा तदा. सर्वदा एकदा अन्यदा सर्वस्मिन् काले सदा अधुना इदानीम् एतर्हि Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ समानऽहनि सद्यः अद्य परेद्यवि पूर्वस्मिन्नहनि . पूर्वेद्युः इतरेयुः उभयेयुः / / अस्मिन्वर्षे ऐषमः परुत् परारि / कस्मिन् काले कहि / सर्वैः प्रकारेः सर्वथा कथम् इत्थम् / द्वाभ्याम् प्रकाराभ्याम् द्विधा / द्वे वारे द्वि: त्रिः चत्तुः द्विकृत्वः सुकृत् / / प्रथमापञ्चमीसप्तमीषु उपरि उपरिष्टात् पुरः पुरस्तात् अधः अधस्तात् परस्तात् दक्षिणतः दक्षिणात्, पश्चिमात्, दक्षिणस्यां दूरे इति दक्षिणा दक्षिणाहि // 4 // प्रागसत उत्पादे / च्विः, अशुक्लं शुक्लं करोति शुक्लीकरोति // 5 // च्वेः कृभ्वस् // 6 // च्वाववर्णस्येः / क्वचित्सलोपो दीर्घश्च अरूभवत्ति // 7 // व्याप्तौ स्सात् / अग्निसात्करोति / आचार्येऽधीन आचार्यसात् करोति // 8 // देये त्रा च / आचार्यत्राकरोति / अर्थविशेषे शब्दविशेषात् डाच् द्वितीयाकरोति // 9 // बह्वल्पार्थात् कारकादिष्टानिष्टे प्शस् / बहुशो भुक्तं // 10 // वत्तस्यामन्तं च / देववन्मुनि नमति / क्रियायां वत् / षष्ठीसप्तम्योरपि // 11 / / तुल्यदिशि तसि / हिमवता तुल्यदिशि 3 हिमवत्तः // 12 // किन्त्यायेऽव्ययात्तरप्तमपोराम् / / Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ किन्तराम् उच्चस्तमाम् / / 13 / / प्रकृष्टे तमप्, द्वयोविभागे तरप् / क्त्वातुममन्तं चाव्ययं / प्राक्काले तुल्यकर्तृकाद्धातोः क्त्वा, भुक्त्वा व्रजति / / 14 / / अनञः क्त्वो यप् / समासे, नेत्रे निमील्य हसति // 15 / / रुणम् चाभीक्ष्ण्ये / प्राकाले चात् क्त्वा / / 16 / / भृशाभीक्ष्ण्याविच्छेदे द्विः / भोज भोज भुक्त्वा वा व्रजति // 17 / / क्रियायां क्रियार्थायां तुमणकच्भविष्यन्ती / भोक्तुं भोजको भोक्ष्य इति वा व्रजति // 18 // गतिः / अव्ययम् / / 19 / / धातोः पूजार्थस्वतिगतार्थावधिपर्यतिक्रमार्थातिवर्जः प्रादिरुपसर्गः / स च धातोः प्राक् / धात्वर्थ बाधते कश्चित्कश्चित्तमनुवर्तते / तमेव विशिनष्टयन्योऽनर्थकोऽन्यः प्रयोज्यते // 1 // प्रतीक्षते अधीते प्राणिति विजयते // 20 // ऊर्याद्यनुकरणच्चिडाचश्चा / अनुकरणा ऊर्याद्या: च्चिडाजन्तं उपसर्गाश्च धातोः प्राक् गतिसंज्ञाश्च, ऊरीकृत्य पटपटाकृत्य / कारि. कालंसदसत्अन्तरदःकणेमनःपुरोऽस्तंतिरसमध्येपदेनिवचनेमनस्युरसिउपाजेऽन्वाजेऽधिसाक्षादाहिस्तेपाणौप्राध्वंजोविकेत्याद्या अर्थविशेषै गतिसंज्ञकाः // 21 // Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अव्ययस्य स्यादेलप् // 22 // अवाप्योर्वपी / अवतंसः पिधानं // इत्यव्ययानि // 12 // // 16 // स्त्रीप्रत्ययाः // // 11 // अजादेः / स्त्रियामाप्, अजा एडका अश्वा चटका कन्या मन्दा ज्येष्ठा त्रिफला / राज्ञी // 2 // अधातूदितो डीः, | विदुषी पचन्ती अतिमहती // 3 // असत्काण्डप्रान्तशतकाचपुष्पाद् डोः / शङ्खपुष्पी प्राक्पुष्पी / सत्पुष्पा // 4 // असम्भवाजिनैकशणपिण्डात्फलात् / पुगफली // 5 // अनजो मूलात् दर्भमूली // 6 // अञ्चः / प्राची उदीची // 7 // स्वराघोषानो रश्च / गस्वराघोषाद्वनो डीनश्च रः, अवावरी धीवरी // 8 // वा बहुव्रीहेः / बहुधीवरी // 9 // वा पादः / बहुव्रीहे डीः, द्विपदी // 10 // सुसंख्यात्पादस्य पात् / द्विपात् // 11 // ऊनः / महोध्नी अशिश्वी // 12 // संख्यादेर्हायनाद्वयसि / अस्य यां लुक् / द्विहायनी गौः // 13 // चतुत्रेयिनस्य णः / चतुर्हायणी अश्वा // 14 // दाम्नः संख्यादेर्बहुव्रीहेः, द्विदाम्नी // 15 // अनो वोपान्त्यलोपिनः / बहुराज्ञी बहुराजा . .. // 16 // नाम्नि / अधिराज्ञी. / / 17 / / नोपान्त्यवतः / सुपर्वा / / 18 / / मनन्तान / सीमा / / 19 / / Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ताभ्यां वाप डित् अनो बहुव्रीहेमनश्च / सीमानौ सीमे, बहुराजे बहुराज्यौ // 20 // ड्यादीदूतः / के ह्रस्वः // 21 / / न काचि // 22 / / नवाऽऽपः // 23 // इच्चापुंसोऽनित्क्याप्परे / आप्परेऽनिरिक अपसा ह्रस्व इश्च, खट्विका खट्वका खट्वाका // 23 // स्वज्ञाजभनाधातुत्ययकात् / धातुत्यवर्जयकान्तात्स्वादेश्चानित्क्याप्परे इर्वा पक्षे च ह्रस्वः, स्विका स्वका मूषकिका मूषकका / / 24 / / च्येषसूतपुत्रवृन्दारकस्येषु द्विके द्वके / वौ वत्तिका // 25 / / अस्यायत्तत्क्षिपकादीनामिः / कारिका / नरिका मामिका / तारका ज्योतिषि, वर्णका तान्तव, अष्टका पितृदेवत्ये // 26 // गौरादिभ्यो ङीः / स्त्रियां, गौरी अमरी सुन्दरी दासी पुत्री मनुषी बदरी अतसी हरितकी शमी नदी / / 27 / / वयस्थनन्त्ये डोः / कुमारी वधूटी // 28 // परिमाणात्तद्धितलुकि. डीद्विगोरतः / द्वाभ्यां कुडवाभ्यां क्रीना द्विकुडवी // 29 / / काण्डात्क्षेत्रे / द्विकाण्डी / // 30 / / पुरुषाद्वा / द्विपुरुषी // 31 // रेवतरोहिणाद्धे / रेवती रोहिणी // 32 // नीलात्प्राव्योषध्योः / क्ताच्च नाम्नि वा डीः चान्नीलात्, नीला नीली प्रवृद्धविलूनी प्रवृद्धविलूना // 33 // केवलमामकभागधेयपापापरसमानार्यकृतसुमंगलभेषजात् नाम्नि Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 37 // 33 // द्विगोः समाहारात् अतः / पंचाजो. // 34 // अणयेकनस्नटितां डीः / औपगवी औत्सी शैलेयी आक्षिकी स्त्रैणी पौंस्नी शुनिधयी // 34 / / भाजगोणनागस्थूलकुण्डकालकुशकामुककटकबरात् पक्वावपनस्थूलाकृत्रिमामकृष्णायसीरिरंसुश्रोणिकेशपाशे डीः // 35 / / नवा, शोणादेमः / शोणी विशाली ध्वजी कल्याणी / / 36 // इतोऽक्त्यर्थात् वा डीः / धूली धूलि: // 37 // पद्धतेर्वा // 38 // शक्तः शस्त्रे वा // 39 // स्वरादुतो गुणादग्वरोः / स्वरात्परस्य खरुवजितस्य गुणवाचकोदन्ताद् ङीर्वा, पटवी पटुः // 40 // श्येतैतहरितभरंतरोहिताद्वर्णात् डीर्वा / तो नश्च, श्येनी श्येता // 41 / / क्नः पलितासिताद् ङीर्वा नश्च / पलिक्नी असिता असिक्नी // 42 // असहनविद्यमानपूर्वपदात्स्वाङ्गादक्रोडादिभ्यो वाडीः। अतिकेशी अतिकेशा // 43 // नासिकोदरोष्ठजंघादन्तकर्णशृंगांगगात्रकण्ठाद्वा डोः / सुनासिकी सुनासिका, नान्यबहुस्वरसंयोगोपान्त्येभ्यः / / 43 // नखमुखादनाम्नि वा / सुमुखी सुमुखा // 44 // पुच्छात्, सुपुच्छी सुपुच्छा // 46 // कबरमणिविषशरादेः / शरपुच्छी // 47 // पक्षाच्चोपमानादे: / चात्पुच्छात्, उलूकपुच्छी // 48 // क्रीतात्करणादेः / वस्त्रकीती / / 49 / / क्ताद Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ल्पात्करणादेः / अल्पार्थात् क्तान्तात्करणादे8:, अभ्रविलिप्ती // 50 // स्वांगादेरकृतमितजातप्रतिपन्नाबहुबीहेः / उरुभिन्नी // 51 // अनाच्छादजात्यादेर्नवाऽकृतादिक्तान्तात् / शांगरजग्धी शांगरजग्धा // 51 // पत्युनः / बहुव्रीहेर्वा डों:, दृढपत्नी दृढपतिः // 52 // सादेः / अधिपत्नी अधिपतिः // 53 / / सपन्यादयः / सैकवीरपिण्डभ्रातृपुत्रेभ्यः // 54 // ऊढायाम् पत्नी // 55 / / पाणिगृहोती ऊहायाम् // 56 // पतिवन्यन्तवन्यो / भार्यागभिण्योः // 57 // जातेस्यान्तस्रोशूद्रात् / कुक्कुटी पात्री // 58 // पाककर्णपर्णवालान्ताज्जातेः / अश्ववालो // 59 // धवाद्योगादपालकान्तात् / ठो // 60 // पूतक्रतुवृषाकप्यग्नि कुसितकुसिदात् / हीरैच वान्त्यस्य, पूतक्रतायी॥६१)। मनोरौ च वा चादै / मनुः मनावी मनायीं // 62 // वरुणेन्द्ररुद्र भवशर्वमृडाद् आन् चान्तः / मृडानी // 63 / / मातुलाचार्योपाध्यायाद्वा / मातुलानी मातुली // 64 // सूयदिवतायां वा / सूर्याणी सूर्या // 65 // यवयवनारण्य हिमाद्दोषलिप्युरुमहत्त्वे / यवानी यवनानी अरण्यानी हिमानी / // 66 // अर्यक्षत्रियाद्वा // 67 // यत्रो डायन च वा / गाायणी.॥६८॥ व्यंजनात्तद्धितस्य यां लुक् / गार्गी // 69 // लोहितादिशकलान्तात् / शाकल्यायनी Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // 70 // पावटाद्वा / गौकक्ष्यायणी // 71 // कौरव्यमण्डुकासुरेः / आसुरायणी // 72 // इज इतः / सौतंगमी // 73 // नुर्जातरितो ङीः / दाक्षी // 74 // उतोऽप्राणिनश्चायुरज्ज्वादिभ्य ऊङ / उदन्तनृजातेरूङ् युरज्ज्वादिवर्जायाः अप्राणिनश्च, कुरूः // 75 // बाह्व न्तकद्रुकमण्डलो म्नि / मद्रबाहूः // 76 // उपमानसहितसंहितसहशफवामलक्षणाद्युरोरुङ् / वामोरू: // 77 // नारी सखी पंगू श्वश्रूः // 78 // युनस्तिः / युवतिः // 79 // अनार्षे वृद्धेऽणिजो बहुस्वरगुरूपान्त्यस्यान्त्ये ष्यः / देवदत्त्या / -- // 79 // कुलाख्यानाम् / पाणिक्या // 8 // क्रौंड्यादीनाम् / क्रोड्या लाड्या // 81 // भोजसूतयोः / क्षत्रियायुवत्योः // 82 // दैवयज्ञिशौचिवृक्षिसात्यसुग्रिकाण्ठेविद्धर्वाष्यः // 83 / / सूर्यागस्त्ययोरीयेच। यो लुक् चाद् ङयां, सूर्यस्य मानुषी स्त्री सूरी, सौरी प्रभा / / इति स्वीप्रत्ययः // 13 // / / 14 / / कारकाणि // . . // 1 // नाम्नः / प्रथमैकद्विबहौ, एकद्विबहुत्वे नाम्नः स्यौजस्रूपा प्रथमा, देवः // 2 // क्रियाहेतुः / कारकम् / Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कर्ता कर्म च करणं, संप्रदानं तथैव च / अपादानाधिकरणे, इत्याहुः कारकाणि षट् // 1 // // 3 // स्वतन्त्रः / कर्ता क्रियायाम, करोति कारयति वा घटं मैत्रः // 4 / / कर्तुाप्यं कर्म / कटं करोति कारूको, रूपं पश्यति चाक्षुषः / राज्यं प्राप्नोति धर्मीष्ट, इष्टानिष्टेतरत्तु तत् // 1 // दुह्यादीनां क्रियार्थरूपे प्रधाने व्याप्ये नीवहादीनां त्वप्रधाने, गां दोग्धि पयः, अजां नयति ग्रामम् // 5 // वाऽकर्मणामणिकर्ता णौ कर्म। स्थापयति मैत्रं मैत्रेण वा // 6 // गतिबोधाहारार्थशब्दकर्मनित्याकर्मणामनीखाद्यदिह्वाशब्दायक्रन्दां / अणिककर्ता णौ कर्म, आसयति चैत्रम् // 7 // भक्षोहिसायाम् भक्षयति सस्यं वलीवान् // 8 // वहेः / प्रबेयः, वायति बलीवान् // 9 // हक्रोर्नवा / विहारयति दशं चैत्रं चैत्रेण वा // 10 / / श्यभिवदोरात्मने / दर्शयते भृत्यान् भृत्यैर्वा // 11 / / नाथ आत्मने। सर्पिषः सपिर्वा नाथते / 12 / स्मृत्यर्थदयेशः / मातुर्मातरं वा ध्यायति // 13 / / कृगः प्रतीयत्ने, एधोदकस्यैधोदकं वोपस्कुरुते // 14 // रुजार्थस्याज्वरिसंतापेर्भावे कर्तरि / चौरस्य चौरं वा व्यथयति रोगः / . / / 1 / / जासनाटकाथपिषो हिंसायां // 16 // Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 41 निप्रेभ्यो नः / / 17 / / विनिमेयद्यूतपणं पणव्यवहोः // 18 // उपसर्गादिवो वा // 19 / / नानुपसर्गस्य दिवः / शतस्य दीव्यति। .. करणं च चात्कर्म, दिवेाप्यं करणं कर्म च, अक्षरक्षान्वा दीव्यति // 20 // अधेःशोङ्स्थास आधारः। ग्राममधिशेते // 21 // उपान्वध्यावसः / ग्राममुपवसति // 22 // वाभिनिविशः // 23 / / कालाथ्वभावदेशं वाऽकर्म चाकर्मणां चात्कर्म / मासं मासे वाऽऽस्ते // 24 // कर्मणि द्वितीया / भीष्मं कटं करोति // 25 // क्रियाविशेषणात् द्वितीया / क्रियाव्ययविशेषणे क्लीबता, समुक्तिकं भाषते // 26 / / कालाध्वनोाप्ती / मासमधीते // 27 // गौणात्समयानिकषाहाधिगन्तरान्तरेणातियेनतेनैः / अतिवृद्धं कुरून्, अन्तरा निषधं नीलं व विदेहाः // 28 // द्वित्वेऽधोऽध्युपरिभिः / उपयुपरि ग्रामं // 29 // सर्वोभयाभिपरिणा तसा / परितो ग्रामं // 30 // लक्षणवीप्स्येत्थंभूतेष्वभिना / वृक्षमभि मातरमभि / / 31 / भागिनि च प्रतिपर्यनुभिश्वाल्ल. क्षणादौ / यदत्र मां प्रति तद्दीयताम् // 32 // हेतु. सहार्थेऽनुना, अनु जिनजन्मागच्छद्देवेन्द्रः // 33 // उत्कृष्टेऽनूपेन / अनुहेमचन्द्रं वैयाकरणा: // 34 // साधकतम करणं क्रियासिद्धौ / संवरेण निर्जरयाऽऽप्नोति मोक्ष Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // 35 // हेतुकर्तुकरणेत्थंभूतलक्षणे / धनेन कुलं चैत्रेण कृतम् मनसा ध्यातम् ईर्यया साधुः / // 36 // सिद्धौ तृतीया कालाध्वनोः / मासेनाधीतः // 37 // सहार्थे / समं शिष्येण // 38 // यद्भदैस्तद्वदाख्या। निसर्गेण प्राज्ञः // 39 / / कृताद्यनिषेधार्थैः / तेन कृतं // 40 // काले भान्नवाधारे। मघासु मघाभिर्वा पललौदनम् // 41 // प्रसितोत्सुकावबद्धैर्वा / गृहेण गृहे वोत्सुकः // 42 // समो ज्ञोऽस्मृतौ / मात्रा मातरं वा नजानीते // 43 // 44 // दामः / संप्रदानेऽधर्म्य सम. दास्या. संप्रयच्छते // 45 // कर्माभिप्रेयः / संप्रदानं, देवेभ्यो नमति // 46 // स्पृहेाप्यं वा / गुणेभ्यो गुणान्वा स्पृहयति // 47 // कुद्रुहेासूयार्थेयं प्रति कोपः / रुष्यति मैत्राय // 48 // नोपसर्गात्कुद्Qहा / मैत्रमभिकुध्यति // 49 // चतुर्थी संप्रदाने / ददाति भिक्षां मुनिभ्यः / / // 50 // तादर्थ्ये / कुण्डलाय हिरण्यम् / / 51 / / रुचिकृप्यर्थधारिभिः / प्रेयविकारोत्तमणेषु, मैत्राय रोचते धर्मः // 52 / / प्रत्याङः / श्रुवाथिनि, याचकाय द्रम्मान् प्रतिशृणोति // 53 // प्रत्यनोर्गुणाऽऽख्यातरि / आचार्यायानुगृणाति // 54 // यद्वीक्ष्ये राधीक्षी / स्त्रीभ्य ईक्षते // 55 // उत्पातेन ज्ञाप्ये / वाताय कपिला Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 43 विद्युत् // 56 // श्लाघहस्थाशपा / मैत्राय श्लाघते // 57 / / , तुमोऽर्थे भाववचनात् / पाकाय व्रजति // 58 / / गम्यस्याप्ये तुमः / फलेभ्यो याति / / 59 // गते - वाऽनाप्ते / ग्रामाय ग्रामं वा व्रजति // 60 / / हितसुखाभ्यां वा / चैत्राय चैत्रस्य वा सुखम् // 61 / / तद्भदायुष्यक्षेमार्थेनाशिषि वा / श्रमणेभ्यः श्रमणानां वा सुखमस्तु / / 62 // शक्तार्थवषट्नमःस्वस्तिस्वाहास्वधाभिः / स्वस्ति संघाय / / 63 // अपायेऽवधिरपा. दानम् पंचम्यपादाने / ग्रामादागच्छति शृंगाच्छरः // 65 // आङावधौ / आपाटलिपुत्राद् वृष्टिः // 66 // पर्यपाभ्यां वज्र्ये / अपपाटलिपुत्राद् वृष्टिः / // 67 // आख्यातर्युपयोगे / उपयोगो नियमपूर्वकं विद्याग्रहणं, उपाध्यायादधीते // 68 / / गम्ययपः। कर्माधारे, आसनात् हाद्वा प्रेक्षते // 69 / / प्रभृत्यन्यार्थदिक् शब्दबहिरासदितरैः / आरभ्य ग्रीष्मात्, चैत्राद्भिन्नः // 70 / / ऋणाद्धेतोः / शताबद्धः // 71 / / गुणादस्त्रियां / हेतौर्नवा, जाड्याज्जाइयेन वा बद्धः / / 71 // आरादर्थैर्वा / आसन्नं ग्रामाद् ग्रामस्य वा // 73 // स्तोकाल्पकृच्छकतिपयावसत्त्वे / करणे वा, स्तोकेन स्तोकाद्वा मृतः // 74 // अज्ञाने ज्ञः / सर्पिषो जानीते // 75 // शेषे षष्टी। राज्ञः पुरुषः / / 76 // Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 44 रिरिष्टातस्तांदस्तादसतसाता / पश्चाद् ग्रामस्य // 77 // कर्मणि कृतः / कर्ता तीर्थस्य // 78 // द्विषो वाऽतृशः / चौरस्य चौरं वा द्विषन् / / 79 // वैकत्र द्वयोः / कर्मणोः, अजायाः अजां वा स्नुघ्नस्य स्नुघ्नं वा नेता / // 80 // कर्तरि कृतः / भवत: स्वापः // 81 / / द्विहेतोरस्त्यणकस्य / स्त्र्यणकवर्जकर्मकर्तुषष्ठीहेतोः कृतो वा कर्तरि षष्ठी, साध्वी नियुक्त्या: कृतिर्भद्रबाहोर्भद्रब टुना वा / / 82 // कृत्यस्य वा। भवतो भवता वा कार्यः / / 83 // नोभयोः / नेतव्या ग्राममजा चैत्रेण // 84 // तृन्नुदन्ताव्ययक्वस्वानातृश्शतङिणकचखलर्थस्य / नोभयहेतोः षष्ठी, श्रद्धालुस्तत्त्वं अधीयस्तत्त्वार्थं / / / 85 / / क्तयोरसदाधारे न / कटं कृतवान् // 86 // वा क्लीबेक्तस्य / नृत्तं केकिनः केकिना वा // 87 / / अकमेरुकस्य न / कर्मणि, भोगानभिलाषुकः / / 88 // एश्यणेनः / ग्रामं गमी शतं दायी // 89 // क्रियाश्रयस्याधारोऽधिकरणं सप्तम्यधिकरणे / दिवि देवा. कटे बाल: तिले तैलं वटे करी सीम्नि पुष्कलकोंऽगुल्यां करी षोढा मन्तव्यमिदम् / // 90 / / कुशलायुक्तेन / कुशलो विद्याग्रहणे Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // 91 / / स्वामीश्वराधिपतिदायादसाक्षिप्रतिभूप्रसूतैर्वा / गवां गाषु वा स्वामी // 92 // व्याप्ये क्तेनः / आम्नाती श्रुते / / / 93 / / तद्युक्ते हेतौ। व्याप्ययुक्ते, चर्माणि द्वीपिनं हन्ति / / 94 // यद्भावोभावलक्षणं / गोषु दुग्धासु गतः // 95 / / षष्ठी वाऽनादरे / रुदति रुदतो वा प्राव्राजीत् // 96 // सप्तमी चाविभागे निर्धारणे / श्रेष्ठो जिनेषु तीर्थकृत् / / 96 // पृथगनाना पञ्चमी च चात्तृतीया / पृथग्ज्ञानाज्जानेन वा / / 97 / / ऋते द्वितीया च चात्पञ्चमी / धमाद्धर्म वा ऋते कुतः सुखं ? // 98 // विना ते तृतीया च / वातं वातेन वाताद्वा विना वर्ष // 99 / / तुल्यार्थस्तृतीयाषष्ठ्यौ / गुरुणा गुरोर्वा समः // 101 / / हेत्वथुस्ततीयाद्याः / / 102 / / सर्वादेः सर्वाः / / 103 / / आरादर्थाट्टाङसिड्यम् / दूरं दूरेण दूराद् दूरे वा ग्रामाद् गामस्य वा / / इति कारकाणि // 14 / / // 15 // अथ समासाः // // 1 // अव्ययभावः // . // 1 // नास नाम्नेकार्थ्ये समासो बहुलं / समानाधिकरणे नाम नाम्ना सह समस्यते / ऐकायें समासे स्यादेर्लुप् / / 2 // विभक्तिसमीपसमृद्रिव्यद्धयर्थाभावात्ययासंप्रतिपश्चात्कमख्यातियुगपत्सहसंपत्साक Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ल्यान्तेऽव्ययं / समस्यतेऽव्ययीभावश्चासौ, स्त्रीष्विति / / 3 / / प्रथमोक्तं समासशास्त्रे प्राक् // 4 // अनतो लुम् / अव्ययीभावात्स्यादेः / / 5 / / द्वन्द्वैकत्वाव्यवीभावी क्लीवे / अधिस्त्रि, कुम्भस्य समीपं उपकुम्भं / / 6 / / अमव्ययी भावस्यातोऽपञ्चम्याः / उपकुम्भं उपकुम्भात् / / 7 / / वा तृतीयायाः // 8 / / वाऽम् सप्तम्या: / सुमद्रं दुर्यवनं निर्मक्षिकं अतिवर्ष अत्यानं अनुरथं अनुज्येष्टं तद्भद्रबाहु सचक्रं / / 9 / / अकालेऽव्ययीभावे सहस्य सः / सब्रह्म सतृणं / / 10 / / ग्रन्थान्ते / सपिण्डेवणं / / 11 / / यथाऽथा / यथासूत्रं // 12 / / यावदियत्त्वे / यावदमत्रं / दण्डादण्डि-केशाकेशिद्विदण्ड्याद्याः // 13 // नित्यं प्रतिनाऽल्पे / शाकमल्पं शाकप्रति // 14 // पारेमध्येऽग्रेऽन्तः / षष्ठया वा, पारे गङ्गायाः पारेगङ्गं वा // 15 / / निष्प्राग्रेऽन्तः / खदिरकााम्रशरेक्षुप्लक्षपीयूक्षाभ्यो वनस्य नो णः, अग्रेवणं / / 16 / / गिरिनदीपौर्णमास्याग्रहायण्यपञ्चमवाद्वाऽत् / / 17 / / अवर्णवर्णस्य तद्धितेऽपदे लुक् अन्तगिरं अन्तगिरि // 18 // शरदादेरत् / उपशरदं अन्तर्दिवं / / 19 / / जराया जरस् च चादत् / उपजरसं // 20 // प्रतिपरोऽनोरव्ययीभावात् / अक्ष्णोऽत्, प्रत्यक्षं / / 21 // संकटाभ्याम् / समक्षं Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 47 // 22 // अनः / अत् // 23 // नोऽपदस्य / तद्धिते लुक्, अध्यात्म // 24 // सख्याक्षशलाकं / परिणा द्यूतेऽन्यथावृत्ती, एकेनान्यथा वृत्तं द्यूतमेकपरि, शलाकापंरि // 25 / / नपुंसकाद्वाऽनोऽत् / अनुलोमं अनुलोम // 26 // तिष्ठग्वित्यादयः / अन्यपदार्थेऽपि // 27 / / योग्यतावीप्सानतिवृत्तिसादृश्ये / रूपस्य योग्यमनुरूपं, अर्थमर्थं प्रति प्रत्यर्थं, शक्तेरनतिक्रमेण यथाशक्ति, सशीलं / इत्यव्ययीभावः // 1 // अथ // 2-3 / / तत्पुरुषः कर्मधारयश्च / / // 1 // गतिक्वन्यस्तत्पुरुष / गतिसंज्ञककुशब्दौ बहुव्रीह्यादिभिन्नश्च तत्पुरुषः स्यात्, ऊरीकृत्य // 2 // दुनिन्दाकृच्छ् / दुष्करं // 3 // सुः पूजायां // 4 // पूजास्वतेः / प्राक् टात् न समासान्त // 5 // अतिरतिक्रमे च / चात्पूजायां, पूजितो राजा अतिराजा // 6 // आल्पे / ईषत्पिङ्गल: आपिङ्गलः // 7 // अव्ययं प्रवृद्धादिभिः / स्वर्यात इत्यादि // 8 // हस्युक्तं कृता / कृति डस्युक्तं कृता समस्यते स तत्पुरुषः, कुम्भकारः // 9 // तृतीयोक्तं वा / मूलकेनोपदशं मूलकोपदंशं // 10 // नञ् नञ्तत्पुरुषान्नाट // 11 // नात् / न गौः अगौः // 12 // अन् स्वरे नञ् / अश्वादन्योऽनश्चः // 13 // त्यादौ क्षेपे / Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 48 अपचति जाल्मः // 14 // पूर्वापराधरोसरमभिन्नेनाशिना / पूर्वः कायस्य पूर्वकायः // 15 // समेंऽशेऽर्ध नवा / अर्धपिप्पली पिप्पल्यधु / / 16 / / जरत्यादिभिः / अर्धं वा, अर्धजरतीयं जरत्यर्धं // 17 / / श्रितादिभिद्वितीयान्तं / हिताशंसुः ग्रामागतः / / 18 // प्राप्तापन्नौ / तयाऽचानयोः, द्वितीयान्तेन प्राप्तापन्नो, प्राक् निपाते चानयोरन्त्यस्यात्, जीविकां प्राप्तः प्राप्तजीविकः जीविकाप्राप्तः / / 19 / / ऊनार्थपूर्वाद्यैस्तृतीयान्तं / / 20 / / गिरिनद्यादीनां वा णः / माषणोन: माषोणः, मासेनावरौ मासावरः // 21 / / कारकं कृता / आत्मकृतं // 22 // न विशत्यादिनकोऽञ्चान्तः / एकान्नविंशतिः, विंशत्याद्याः सदैकत्वे // 23 / / चतुर्थी प्रकृत्या / यूपाय दारु युपदास // 24 // हितादिभिः / गोहितं / / 25 / / तदर्थार्थेन / पित्रे इदं पित्रर्थं, ङेऽर्थो वाच्यवत् // 26 // पंचमी भयाद्यैःः / वृकाद्भयं वृकभयं अर्थापेतः // 27 // असत्त्वे उसे लुप् / अल्पान्मुक्तः // 28 // राजदन्तादिष्वप्राप्तमपि / प्राक्, दन्तानां राजा राजदन्तः // 29 / / षष्ठययत्नाच्छेषे / यतेः कम्बल: यतिकम्बलः // 30 // कृति / सिद्धसेनकृतिः / // 31 // याजकादिभिः / गुरोः पूजक: गुरुपूजक: Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 49 1 // 32 // न कर्तरि षष्ठी अकेन, भवतः आसिका // 33 // कर्मजा तृचा च / चात्कर्बकेन, ओदनस्य भोजकः, अपां स्रष्टा // 34 // तृतीयायां कर्तरि / कर्मजा षष्ठी न, भाष्यस्य कृतिजिनभद्रगुरुणा // 35 / / तृप्तार्थपूरणाव्ययातृशशत्रानशा / / 36 / / ज्ञानेच्छा - र्थाधारक्तेना // 37 // कालो द्विगौ च मेयैः // 38 // // 38 // द्विगोरनहोऽट समाहारे / द्वे अहनी सुप्तस्य द्व्यहसुप्तः, द्वयह्नसुप्तः // 39 / / सप्तमी शौण्डाद्यैः / पानशौण्ड: // 40 // सिंहाद्यैः / पूजायाम्, रणसिंहः / / 41 / / क्तेन क्षेपे // 42 // तत्पुरुषे कृति / अलुप् सप्तम्या अद्वयंजनात्, भस्मनिहुतं // 43 / / प्रात्यवपरिनिरादयो / गतक्रान्तकृष्टग्लानक्रान्ताद्यर्थाः, प्रादयो गताद्यर्थाः प्रथमाद्यन्तैः संगतोऽर्थ: समर्थः, अक्षं प्रति गतः प्रत्यक्षः // 44 // प्रत्यन्ववात् / सामलोम्नोऽत्, अनुलोमः, संगतमर्थेन समर्थं // 45 // गोश्चान्ते / ह्रस्वोऽनशिसमासेयोबहुव्रीहौ ङ्यादेः, अलंकुमारिः // 46 / / संख्याव्ययादगुलेर्डः / अन्तरङ्गुलो नखः // 47 // संख्यातकपुण्यवर्षादीर्घाच्च / रात्ररत्, चान् सर्वांशसंख्याव्ययाच्च, पूर्वरात्रः / / 48 // राजन्सखेरट् / . देवराजः // 49 // अहोट् / ग्रीष्माहः // 50 // 4 नमव्ययात्संख्याया / डः, अनवाः // 51 // कोः / Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कत्तत्पुरुष, कुत्सितमन्नं कदनं // 52 // रथवदे कद् // 53 // काऽक्षपथोः // 54 // काकवी वोणे / कंदुष्णं कोष्णं कवोष्णं // 55 // समानस्य / धर्मादिषु सः. सधर्मः // 56 // विशेष्यं / विशेषणेनैकार्थं कर्मधारयश्च चात्तत्पुरुषः, नीलं च तदुत्पलं च नीलोत्पलं, मातानुलिप्तः सर्वरात्रः केवलज्ञानं // 57 / / सर्वादयोऽस्यादौ पंवत् / पौर्वशालः // 58 // संख्या समाहारे द्विगुश्चानाम्न्ययं / चात् संज्ञातद्धितोत्तरपदे, पंचाम्राः सप्तर्षयः अनाम्नि समासत्रयं // 59 // निन्द्यं कुत्सनः / मुनिधूर्तः // 60 // उपमानं सामान्यः / / // 61 / / पुंवत्कर्मधारये परतः / स्त्र्यनूङ्, मृगचपला // 62 / / उपमेयं व्याघ्राद्यैः / पुरुषव्याघ्रः // 63 // श्रेण्यादि / कृताद्यैश्च्व्यर्थे, श्रेणिकृता // 64 // क्तं नमादिभिन्नैः / शाताशितं // 65 // सेट् नानिटा / पवितमपूतं // 66 / / सन्महत्परमोत्कृष्टं / पूजायां // 67 / / कि क्षेपे / किराजा // 68 // कुमारः / श्रमणादिना, कुमारश्रमणा // 69 / / मयूरव्यंसकेत्यादयः / व्यंसको मयूरः मयूरव्यंसक: // 70 // महतः / करघासविशिष्टे डाः स्त्रियां, महाकरः // 71 // द्वित्र्यष्टानां // 72 / / द्वात्रयोऽष्टाः / प्राक् शतादनशीतिबहुव्रीहौ, त्रिभिरधिका त्रिंशत् त्रविशत् Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ द्वात्रिंशत् अष्टांत्रिंशत् // 73 // चत्वारिंशदादौ वा / एकादश षोडश षोडत् षोढा षड्ढा / / 74 / / ओजोऽञ्ज / सहाम्भस्तमस्तपसष्टः न लुप्, तपसाकृतं // 75 // पुंजनुषोऽनुजान्धे / / 76 / / आत्मनः / पूरणे // 77 / / मनसश्चाज्ञायिनि / आत्मनाज्ञायी / / 78 / / परात्मभ्यां डेः / परस्मैपदं // 79 / / मध्यान्ताद् गुरौ / // 80 / / नेसिद्धस्थे / सप्तम्या न लुप्, समवर्ती // 81 / / पश्यद्वाग्दिशो हरयुक्तिदण्डे / / 82 // गवियुधेः स्थिरस्य षः, गविष्ठिरः // 83 / / अंजनादीनां गिरौ / दीर्घ अञ्जनागिरिः // 84 // गतिकारकस्य / नहि वृतिवृषिव्यधिरुचिसहितनौ दीर्घः परीणत् / इतितत्पुरुषः कर्मधारयश्च // 2-3 // // 4 // बहुव्रीहिः // // 1 // एकार्थ चानेकं च / समानाधिकरणं नामाध्ययं एक मनेकं चान्यार्थे समस्यते, स च बहुव्रीहिः / आरूढो वानरो यं स आरूढवानर: ऊढो रथो येन सः // 2 // क्ताः / प्राक्, ऊढ रथः, उपहृतो बलियस्मै स उपहृतबलि: भीतशत्रुः चित्रगुः वीरपुरुषकः // 3 // अव्ययम् / दश समीपे येषां ते उपदशाः // 4 // परतः / स्त्री स्त्र्येकार्थेऽनूङ् पुंवत्, पट्वीमृदुभार्यः // 5 // इनः / कच् स्त्रियां, बहुदण्डिका Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 6 / / ऋन्नित्यदितः / बहुकर्तृकः / / 7 / / तद्धिताककोपान्त्यपूरण्याख्या न पुंवत् / लाक्षिकीदेश्या / / 8 / / रिति / पुंवत्, षष्ठदेशीया // 9 / / ऋदुदित्तरतमरुपकल्पब्रुवचेलगोत्रमतहते / वा पुंवत् ह्रस्वश्व, श्रेयसितरा श्रेयस्तरा // 10 // क्यङ्मानिपित्तद्धिते / श्येतायते। // 11 / / प्रमाणीसंख्याड्डः // 12 // विंशतेस्तेडिति / लुक्, उपविंशाः // 13 // उष्ट्रमुखादयः / उष्ट्रस्य मुखमिव मुखं यस्य स उष्ट्रमुखः // 14 // सहस्तेन / सह पुत्रेण // 15 / / सहसोऽन्यार्थे / सपुत्रः / // 16 // दिशोरुढयन्तराले / पूर्वस्या उत्तरस्याश्वान्तरालं पूर्वोत्तरा // 17 // खरखुरान्नासिकाया नए // 18 // पूर्वपदस्थानाम्न्यगः णः / खरणाः / / 19 / / अस्थूलाच्च नसः / द्रुणसः // 20 // उपसर्गात् नसः / प्रणसः / / 21 / / वेः / खुनग्रम्, विग्रः // 22 // प्रजाया अस् नन्सुदुर्व्यः / दुष्प्रजा: // 23 // मन्दाल्पाच्च मेधायाः। चान्नसुदुर्यः, सुमेधाः // 24 // द्विपदाद्धदिन् / सुधर्मा // 25 // संप्राज्जानोर्जुशौ / संज्ञः // 26 // वोर्ध्वात् / उर्ध्वजुः // 27 / / धनुषों धन्वन् / दृढधन्वा / / 28 // जायाया जानिः / प्रियजानिः // 29 // पात्पादस्याहस्त्यादेः / सिंहपात् // 30 // वयसि / Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दन्तस्य दतृ . सुसंख्यात्, सुदती / / 31 / / दध्युरः / सर्पिर्मधूपानच्छाले. कच्, प्रियशालिकः // 32 // शेषाद्वा / बहुखट्वाक: बहुखट्वः // 33 // इयसोर्न / बहुश्रेयान् // 34 // आहिताग्न्यादिषु / वा क्ताः प्राक्, पीतघृतः घृतपीतः // 35 // प्रहरणात् / / 36 / / न सप्तमीन्द्वादिभ्यश्च चात्प्रहरणात् // 37 / / विशेषणसर्वादिसंख्यं / प्राक्, द्विपुत्रः / / 38 // सुज्वाऽर्थे संख्या / संख्येये संख्यया, द्विर्दश द्विदशाः // 39 / / द्वौ वा / त्रयो वा संख्या समासे क्रमेण द्वित्राः। नसुव्युपत्रेश्चतुरोऽत्, त्रिचतुराः // 40 // अनोर्देश / उपापः, अनूप / // 41 / / गदृशक्षे। समानस्य सः, सदृक् // 42 // अन्यत्यदादेराः / हगादिषु, अन्यादृक् // 43 // इदंकिमोत्की / कीदृगं / इति बहुव्रीहिः // 4 // // 5 // द्वन्द्वसमासः / . // 1 // चार्थे द्वन्द्वः, संमुच्चयान्वाचयेतरेतरयोगसमाहाराश्चार्थाः, नाद्ययोः समासः, चैत्रश्च मैत्रश्च दत्तश्च चैत्रमैत्रदत्ताः // 2 // त्यदादिः शेषः, स च चैत्रश्च तौ // 3 // स्त्रीपुनपुंसकानां परं। शेषः // 4 // भ्रातृपुत्राः स्वसृदुहितृभिः / समासे शिष्यन्ते, भ्राता च स्वसा च भ्रातरौ // 5 // पिता मात्रा वा / माता च पिता च पितरौ // 6 // आ द्वन्द्वे पूर्वर्त / माता Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पितरौ // 7 // पुरुषः स्त्रिया / पट्वी च पटुश्च षटु // 8 // ग्राम्याशिशुद्विशफसंघे खो / गावच गावश्च . इमा गावः // 9 // धर्मार्थादिषु / यथाकामं प्राक्, धर्मार्थों अर्थधर्मों, पंचानामजानां समाहारः पंचाजी // 10 // लध्वक्षरासखोदुत्स्वराद्यदल्पस्वराय॑मेकं / लघ्वक्षरं सखिवर्जेदुदन्तं स्वराद्यकारान्तमल्पस्वरमर्थ्य चैक प्राक् // 11 / / तस्तृणधान्यमृगपक्षिणां बहुत्वे / स्वैर्वैकत्वं, तिलमाषं // 12 // इदुतो यथाकामं / पतिवसू वसुपती // 13 // अप्राणिपश्वादेः / द्रव्यस्य जातो वैकार्थः, अस्त्रशस्त्रं धवपलाशौ श्रद्धामेधे / // 14 // स्पर्द्ध परमेकं प्राक् // 15 // मासवर्णभ्रात्रनुपूर्वं // 16 // चवर्गदषहः समाहारेऽत् / वाक्त्वचं // 17 // स्त्रियाः पुंसो द्वन्दाच्चात् / चात्कर्मधारये // 18 // गवाश्वादिरेकार्थः / स्त्रीपुंसं // 19 / / विरोधिनामद्रव्याणां नवा / स्वैः, सुखदुःखे सुखदुःखं // 20 // पशुव्यञ्जनानाम् // 21 // सेनाङ्गक्षुद्रजन्तनाम् // 22 / / फलस्य // 23 // प्राणितूर्याङ्गाणाम्। पाणिपादं शंखपटहं / // 24 // नित्यवरस्य / ब्राह्मणश्रमणम // 25 // नदीदेशपुरां विलिङ्गानाम् / मथुरापाटलीपुत्रम् // 26 // दिवो द्यावा / द्यावागोत्रा // 27 // हृदयस्य हल्ला Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 55 सलेखाण्ये / हल्लासः // 28 // पदःपादस्याज्यातिगोपहते / पदोपहतः // 29 // हिमहतिकाषिये पद् / पत्काषी // 30 // उदकस्योदः पेषंधिवासवाहने // 31 // खित्यनव्ययारूषो मोऽन्तो ह्रस्वश्च // 32 / / कर्तुः खश् / व्याप्यात्कर्तुः खश्, क्षेमंकरः // 33 // यापो बहुलं नाम्नि ह्रस्वः, महिगुप्तः // 34 // मालेषिकेष्टकस्यान्तेपि भारितूलचिते ह्रस्वः / उत्पलमालभारि // 35 // पृषोदरादयः निरुक्तात् / पृषदुदरं यस्य स पृषोदरः / वर्णागमो वर्णविपर्ययश्च, द्वौ चापरौ वर्णविकारनाशौ / धातोस्तदर्थातिशयेन योगस्तदुच्यते पञ्चविधं निरुक्तम् / / 1 // इति समासाः // 15 // / इति द्वद्वसमासः / / / 16 // तद्धितप्रत्ययाः // // 1 // तद्धितोऽणादिः / / 2 / / प्राग्जितादण पादत्रये // 3 // धनादेः पत्युः / प्राग्जितीयेऽर्थे वाऽण, धनपतेरपत्यादि // 4 // उसोऽपत्ये / षष्ठ्यन्तादपत्यार्थेऽणादयः / / 5 / / वद्धिः स्वरेष्वाणति / तद्धिते, (अवर्णवर्णस्येति) धानपतं // 6 // दित्यदित्यादित्ययमपत्युत्तरपदाज्ञ्यः / दितेरपत्यादि दैत्यः // 7 // कल्यग्नेरेयण् / कालेयः / / 8 // उत्सादेरञ् / औत्सः माहानदः माहा Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राणः जानपद: भारतः ग्रैष्मः / / 9 / / देवाद्यम् / च, दैवं दैव्यं // 10 // गोः स्वरे यः / गव्यं // 11 // स्त्रीपुंसान्नस्नौ / स्त्रैणं पास्नं // 12 // वाहनात् / हस्ती वाहनमस्येति // 13 // संयोगादिनो लुगणि / हास्तः // 14 // अत इञ् / अपत्ये ऋषभस्यापत्यं आर्षभिः / / // 15 / / बाह्वादिभ्यो गोत्रे। बाहोर्गोत्रं // 16 // अस्वरम्भुवोऽव् / औः, बाहविः आर्जुनिः सौमित्रिः सात्यकिः // 17 / / शीर्षः स्वरै तद्धिते / शिरसः, हास्तिशीषिः // 18 // व्यासवरुटसुधातृनिषादबिम्बचण्डालादिम् / अन्त्यस्य चाक् // 19 // ग्वःपदान्ताप्रागैदौत् / वैयासकिः // 20 // नडादिभ्य आयनण / नडस्य अपत्यं नाडायनः शाकटायनः // 21 // पौत्रादि वृद्धं // 22 // वंश्यज्यायोभ्रात्रोर्जीवति प्रपौ. बाधस्त्री युवा वृद्धं // 23 // विदादेवृद्धेऽञ् / विदस्य पौत्रादि वैद: काश्यपः वैष्णवः माठरः // 24 // गर्गादेर्यः / गार्ग्यः वात्स्यः आग्निवेश्यः औलुक्यः चौंलुक्यः // 25 // शिवादेरण् / शैवः / // 26 // अणि / नानो लुक, ताणं // 27 // इनोऽनिलो / द्विस्वरादेयण, नाभेरपत्यं नाभेयः वामेयः // 28 // रेवत्यादेरिकण वा / रैवतः रैवतिकः / 29 / Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 57 भ्रातुर्व्यः / भ्रातुरपत्यं भ्रातृव्यः // 30 // ईयः स्वसुश्च / भ्रात्रीयः स्वस्रीयः // 31 // मातपित्रादेर्डेयणीयणौ स्वसुः / मातृष्वसेयः मातृष्वस्रीयः // 32 / / श्वसुराद्यः / श्वशुर्यः / // 33 // षादिहन्धृतराज्ञोऽणि / अनोऽस्य लुक्, औक्षणः / / 34 // हृद्भगसिन्धोर्द्वयोवृद्धिः / सौहार्द // 35 // पुन पुत्रदुहितननान्दुरनन्तरेऽञ् / पौत्रः दौहित्र: / / 36 // रागाट्टो रक्ते / कुसुम्भेन रक्तं कौसुम्भं // 37 // षष्ठयाः समूहे / शुकानां समूहः शौकं // 38 / / भिक्षादेः / भैक्षं // 39 / / अनपत्येऽणि नेनो लुक / गाभिणं // 40 // श्वादिभ्योऽञ् / दाण्डं // 41 // ग्रामजनबन्धुगजसहायात्तल् / लिस्त्रियां, जनानां समूहो जनता // 42 // पुरुषात्कृतहितवधविकारे चेयं / चात्समूहे, पुरुषेण कृतं तस्मै हितं तस्य बधो विकारः समूहो वा पौरुषेयं // 43 // विकारे / अण, मृत्तिकाया विकारो मात्तिक: / 44 / प्राण्योषधिवृक्षेभ्योऽवयवे च / चाद्विकारे, मार्गिकं चर्म // 45 // पयोद्रोर्य / द्रव्यं // 46 // हेमादिभ्योऽञ् / हैमं राजतं // 47 // अभक्ष्याच्छादने वा मयट् / आश्मं अश्ममयं // 48 // गो: पुरीषे / गोमयं // 49 / / पितृमातुळडुलं / भ्रातरि, पितृव्यः मातुल: // 50 // Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 58 पित्रोर्डामहट् / मातामही // 51 // तदत्रास्ति. / अण, औदुम्बरो देशः / / 52 / / तेन निवृत्ते / वैश्रमणी // 53 // नद्यां मतुः / निर्वृत्ते, जाह्नवीसरयूमान् // 54 // मध्वादेः / मधुमान् / // 55 // मावर्गान्तोपान्त्यापंचमवर्गान्मतोर्मो वः / शरावती शमीवान् / / 56 // नडकुमुदवेतसमहिषाड्डित् / तद्वति देशे, महिष्मान् // 57 // नडशादाबलः // 58 // बलादेर्य / बल्यं मूल्यं कुल्यं वन्यं // 59 // उदितगुरोर्भाक्तन्दे // 60 // पुष्पतिष्यर्याभाणि यलुक् / पौषं वर्ष // 61 // चन्द्रयुक्तात्काले / पौषी // 6 // साऽस्य पौर्णमासी / पौषः // 63 // देवता साऽस्य / अर्हन्देवताऽस्याहत: जैनः // 64 // द्यावापृथिवीशुनासीराग्निषोममरुद्वद्वास्तोष्पतिगृहमेधादीययो / शुनासीरीयम् शुनासीर्यम् // 65 // वाय्वृतुपित्रुषसो यः // 66 // तद्वेत्त्यधीते / निरुक्तं वेत्त्यधीते वेति नैरुक्तः // 67 // न्यायादेरिकण् / नैयायिकः पौराणिकः प्राथमिकः / 680 पदकल्पलक्षणान्तऋत्वाख्यानाख्यायिकात् / पौर्वपदिक: मातृकल्पिक: सौलक्षणिकः राजसूयिकः प्रयंगुकः // 69 // ऋवर्गोवर्णदोसिसुस्शश्वदकस्मात्त इकस्येतो लुक् / वासवदत्तिकः / / 70 // प्रोक्तात् / सुधर्मणा प्रोक्तं सौधर्म द्वादशांमम् / / 71 // शेषे / Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 59 संस्कृतभक्ष्यान्नादन्यस्मिन् / // 72 // दूरादेत्यः / / 73 / / उत्तरादाहा / / 74 // पारावारादीनः / / 75 // धुप्रागपागुदचो यः / दिव्यं उदीच्यः 176 / / ग्रामादीन च / / 77 // दक्षिणापश्चात्पुरसस्त्यण् / पौरस्त्यः / / / 78 / / बहिषष्टीकण च / / 79 / / प्रायोऽव्ययस्यापदान्त्यस्वरादेर्लुक् / बाहीकः बाह्यः // 80 // क्वेहामात्रतसस्त्यच् / कुतस्त्यः कुत्रत्यः / / 8 / / भवतोरिकगोयसौ / भावत्कः भवदीयः / 82 / परजन राज्ञोऽकोयः / राजकीयः / / 83 // वा युष्मदस्मदोऽञीनी युष्माकास्माको चास्यकत्वे तु तवकममकं / यौष्माक: आस्माकीनः तावकीनः मामकः // 84 / / पश्चादाद्यन्ताप्रादिमः / पश्चिमः आदिमः / / 85 / / मध्यान्मः / 86 / अध्यात्मादिभ्य इकण् / / 87 / / वर्षाकालेभ्यः / वार्षिक: मासिकः / / 88 // श्वसस्तादिः / शौवस्तिकः / द्वारादेः, 189 / दौवारिक: / / 90 // चिरपरूत्परारेस्त्नः / 91 // पुरोऽनः / 92 / पूर्याापराह्वात्तनट वा.।९३। सायंचिपाहप्रगेऽव्ययात् / 94 / तत्र कृतलब्धक्रीतसंभूतेऽमेषणादयः मथुरायां कृतं लब्धमित्यादि माथुरं / 95 / गले / माथुरः / 96 / पथोऽकः, पथकः / 97 / भवे मायुरः // 98 // दिगादिदेहांशाद्यः दिश्यःमूर्धन्यः मेध्यं भाग्यं रहस्यं आy अन्त्यं / Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // 99 // तत आगते / माथुरः दैत्यः ग्रामीणः नादेयः // 100 // पितुर्यो वा। पैतृकं पित्र्यं / / 101 // तस्येदं / भानोरियं भावनीया, ईयणादयः // 102 // शिलालिपाराशर्यानटभिक्षुसूत्रे / णिन्, शैलालिनो नटाः // 103 // उपज्ञाते / सिद्धेनोपज्ञाता सैद्धीया // 104 // कृते / क्षमाश्रमणेन कृतं क्षमाश्रमणीयं // 105 / / कुलालादेरकञ् / कौलालकः // 106 // सेनिवासादस्य / प्रथमान्तनिवासादस्येत्यर्थे इयादयः, राष्ट्रियः / / 107 // तेन जितजयद्दीव्यत्खनत्सु इक्ण / भरतेन जितं जयन्दीव्यन्खनँश्च भारतिकः // 108 // संस्कृते संसृष्टे तरति चरति / / 1.09 / / वेतनादेर्जीवति / वैतनिकः जालिकः / / 110 // आयुधादीयश्च / प्राहरणिकः प्राहरणीयः॥१११॥ ओजःसहोऽम्भसो वर्तते / ओजसा वर्त्तते औजसिकः // 112 // पक्षिमत्स्यमृगार्थाद् घ्नति / मत्स्यान् हन्ति मात्सिकः // 113 / / परदारादिभ्यो गच्छति / पारदारिकः // 114 / / धर्माधर्माच्चरति / धर्ममाचरति धार्मिकः // 115 / / तदस्य पण्यं / गन्धोऽस्य पण्यं गान्धिकः // 116 // शिल्पं / तान्तुवायिकः // 117 / / शोलं / पारुषिकः // 118 // प्रहरणं। आसिकः // 119 / / भक्ष्यं // 120 // हितमस्मै / लौकिकं // 121 // सशयं प्राप्ते ज्ञेये / Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // 122 / / तस्मै योगादेः शक्ते / यौगाय शक्तो यौग्रिकः // 123 // तेषु देये कल्पे कार्ये च भववत् / मासे देयं कल्पं कार्यं च मासिकं // 124 // शोभमाने तेन / शैखरिकः // 125 / / कालात्परिजय्यलभ्यकार्यसुकरे / वार्षिकः // 126 // निर्वृत्ते आह्निकं / काल: / / 127 // सोऽस्य ब्रह्मचर्यतद्वतोः // 128 // प्रयोजनं / जिनमहः प्रयोजनमस्य जैनमहिकं // 129 // त्रिशद्विशतेर्डकोऽर्सज्ञायामाहदर्थे / विशतिमहति // 130 // विशतेस्तैडिति लुक् / विशक: संख्याडतेश्चाशात्तिष्ठः क, आर्हदर्थे क्रीतादौ, द्विकं / / 131 / / डत्यतु संख्यावत् / यावत्कं // 132 // मूल्यै. क्रीते / यत् शतेन क्रीतं शत्यं // 133 / / वंशादेर्भाराद्धरद्वहदावहत्सु / वांशिकः // 134 // सोऽस्य मृतिघस्नांशम् केकं / पंचकः साहस्रिकः / / 135 / / मानं / द्रोणिकः / // 136 / / स्तोमे डट् / विंशतेः स्तोमो विंशः / / 137 // तमर्हति / वैषिक: / / 138 / / दण्डादेर्यः / दण्डयः // 139 // बहति रथयुगप्रासंगाद्यः / युग्यं // 140 / / धुरो येयण् // 141 // न यि तद्धिते दीर्घः / धुर्यः धौरेयः / / 142 // अश्चैकादेः / चादीनः, एकधुरीणः एकधुरः // 143 // धनगणालन्धरि / धनं लब्धा धन्यः // 144 / / हृद्यपद्यतुल्यमूल्यवश्यपथ्य Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वयस्यधेनुष्यगार्हपत्यजन्यधयं / यथास्वार्थ // 145 // न्यायादिनपेते // 146 // तत्र साधौ / शरणे साधुः शरण्यः // 147 // पथ्यतिथिस्वपतेरेयण् / स्वापतेयं // 148 / / पर्षदो ण्यणौ // 149 // सर्वजनाण्ण्येनौ // 150 // कथादेरिकण् / कथायां साधुः काथिकः सांग्रामिकः / // 151 // ज्योतिर्थस्तदर्थे / अतिथये इदं आतिथ्यं // 152 // पाद्यायें // 153 // हविरन्नभेदा. पूपादेर्यो / वेदमाद्यर्थे, तण्डुल्यं ताण्डुलिकः // 154 // उवर्णयुगोदेर्यः // 155 // तस्मै हितं // 156 // भोगोतरपदात्मभ्यामीनः // 157 / / क्षुभ्नादीनां / न णः, आचार्यभोगीनः // 158 / / ईनेऽध्वात्मनोर्न / नादिलुक्, आत्मनीनः // 159 // पंचसर्वविश्वाजनाकर्मधारये / सार्वजनीनः // 160 / / महत्सर्वादिकण् / माहाजनिकः / // 161 / / सर्वाण्णो वा / सार्वः // 162 / / भावे त्वतल / शब्दप्रवृत्तिनिमित्तं भावः // 163 / / त्वते / यापो बहुलं ह्रस्वः, अजत्वं // 164 // पृथ्वादेरिमन् वा // 165 // पृथुमृदुभृशकृशदृढपरिवृढस्य ऋतो र इमनि णीष्ठेयस्सु च // 166 // त्र्यन्त्यस्वरादेर्लुक् / इमनादौ, पृथुता पृथुत्वं प्रथिमा पार्थवं . // 167 // Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भूलक चेवर्णस्य / चात् बहोः, भूमा // 168 / / प्रियस्थिरस्फिरोरुगुरुबहुतप्रदीर्घवृद्धवृन्दारकस्येमनि च प्रास्थास्फावरगरबंहत्रपद्राघवर्षवृन्दं / चाण्णीष्ठेयसौ, प्रेमा वृन्दिमा // 169 / / स्थूलदूरयुवह्रस्वक्षिप्रक्षुद्रस्यान्तःस्थावे क गुणश्च नामिन / इमनादौ, स्थविमा दविमा हसिमा क्षोदिमा // 170 // वर्णहढादिभ्यष्टयण च वा / शौक्ल्यं // 171 // पतिराजान्तगुणांगराजादिभ्यः। कर्मणि भावे च, राजन्यं आधिपत्यं // 172 / / अर्हतस्तोन्त च / आर्हन्त्यं / / 173 // स्तेनान्न लुक् / स्तेयं स्तन्यं // 174 / / प्राणिजातिवयोर्थादञ् // 175 / / युवादेरण् / यौवनं स्थाविरं सौष्ठवं मैथुनं / // 176 / स्ववर्णाल्लध्वादे भावे / कर्मण्यण्त्वतल:, शौचं // 177 // चौरादेः / चौर्यं युवता मेघावित्वं // 178 // श.करशाकिनी क्षेत्रे / / 179 // धान्येभ्य निञ् // 180 // वोमाभंगतिलाधः / तिल्यं / / 181 // अलाब्वाश्च / कटो रजसि, चादुमादेः // 182 // कादेर्मूले / जाहः // 183 // पक्षात्तिः / // 184 // हिमादेलुः सहे // 185 / / बलवाताठूलः // 186 // शीतोष्णतृप्रादालुरसहे // 187 / / शाखादेर्यस्तुल्ये / शाख्यं जघन्यं अग्र्यं // 188 / / दोभव्ये / / 189 / / काकतालीयादयः / काकतालीयः Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खलतिबिल्वीयं अन्धवत्तिकं अधंजरतीयं अजाकृपाणीयं धुणाक्षरीयं // 190 // विस्तृते शालशंकटौ // 191 // संप्रोन्नेः संकोर्णप्रकाशाधिकसमीपे कटः // 192 / / अवेः संघातविस्तारे कटपटं // 193 // तदस्य संजातं। दुःखं जातमस्य दुःखितः तारकमूत्रविचारप्रचारीनद्राश्रद्धाद्रोहव्याधिरोमाञ्चहर्षगर्वकलंकरागक्षुध्तृषमुद्राफलतिलकात् / . // 194 // प्रमाणान्मात्रट् / ' हस्त प्रमाणमस्य हस्तमात्रं / / 195 // हस्तिपुरुषाद्वाऽण् // 196 // वोवं दघ्न्टद्वयसट् / / 197 / / इदंकिमोऽतुरिय किय चास्य / इयान् कियान् / / 198 // यत्तदेतदोडावादिः / यावान् / / 199 / / यत्तत्किमः संख्याया डतिः / या संख्याऽस्य यति / / 200 // अवयवात्तयट् / चत्वारोऽवयवा अस्य चतुष्टयं // 201 / / द्वित्रिभ्यामयट् वा / द्वयं त्रयं // 202 // संख्यापूरणे डट् / एकादशः // 203 // विशत्यादेर्वा तमट् // 204 / / नो मट् / पंच संख्यापूरकोऽस्मिन्निति पंचमः // 205 / / षट्कतिकतिपयात्थट् / / 206 / / चतुरः / चतुर्थः // 207 / / ययौ चलुक् च / तुर्यः तुरीयः / / 208 // वस्तीयः / द्वितीयः // 209 / / वेस्तु च / तृतीयः // 210 // पूर्वमनेन सादेवेन् / पूर्वं कृतः पूर्वी कृतपूर्वी वा। Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // 211 / / इष्टादेः // 212 / / तेन वित्ते चंचुचणौ, न्यायचणः // 213 // साक्षाद् द्रष्टा साक्षी साक्षिणी // 214 // तदस्यास्त्यस्मिन्निति मतुः / गुणाः सन्ति अस्यास्मिन्वेति गुणवान् // 215 / / मावर्णान्तोपान्यापंचमवर्यान्मतोर्मोवः / भूमनिन्दाप्रशंसासु, नित्ययोगेऽतिशायने / संसर्गेऽस्तिविवक्षायां, प्रायो मत्वादयो मताः // 1 // // 216 / / न स्तं मत्वर्थे नाम पदं, शर्मवान् // 217 / / नोादिभ्यो मतोर्मो वः, भूमिमान् द्राक्षामान् ककुद्मान् ज्योतिष्मान् कान्तिमान् वसुमान् भानुमान् // 218 // शिखादिभ्य इन् / माली कर्मी बली शंगी फली मनीषी करुणी उद्यमी // 219 // अतोऽनेकस्वरात् / तिलकी // 220 // तुन्दादिभ्य इलश्च / / 221 // वृन्दादारकः / / 222 // शृंगात् / 223 / फलबर्हाच्चेनः // 224 // मलादीमसश्च / मलिनः मलीमसः // 225 // बलवातदन्त ललाटादूल: बलूल: // 226 // प्राण्यंगादातो लः / जंघालः // 227 // प्रज्ञापर्णोदकफेनाल्लेलौ // 228 // वाच आलाटौ / वाचाल: // 229 // ग्मिन् / वाग्मो // 230 // मध्वादिभ्यो रः मधुरः खमुखकुंजनगोषशुषिपाण्डुपांशवः // 231 // सिध्मादिक्षुद्रजन्तुरुग्भ्यो लः / मूर्छाल: यूकालः मांस Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पत्रस्नेहशीतश्यामपिंगपक्ष्मन्मृदुपृथुमंजुवत्सांसा / // 232 // प्रज्ञाश्रद्धा वृत्तेर्णः / प्राज्ञः // 233 // धुद्रोर्मः // 234 // कृपाहृदयादालुः // 235 // अम्रादिभ्यः / अः, अभ्रः अर्शस् उरस् // 236 / / अस्तपोमायामेधास्रजो विन् / तपस्वी स्रग्वी // 237 // आमयाद्दीर्घश्च / आमयावी // 268 // वातातिसारपिशाचादिन कश्चान्तस्य / / 239 / / धर्मशीलवर्णान्तात् / मुनिधर्मी // 240 // प्रकारे जातीयर। पटप्रकार: पटजातीयः // 241 // कोऽण्वादेः / अणुकः स्थूलक: // 242 / / भूतपूर्वे प्चरट, पूर्वं दृष्टो दृष्टचरः / / 243 // षष्ठया रूप्यपचरट् // 244 / / 'प्रायोऽतोई यसटमात्रट् / यावन्मात्रं // 245 // वर्णाव्ययात्स्वरूपे कारः / चकार: // 246 / / नामरूपभागाद्धयः / / 247 // नवादीनतनत्नं नूश्चास्य / नवीनं नूतनं नूनं // 248 / / विनयादिभ्य इकण / विनय एव वैनयिकं, समयसमायकथंचित्अकस्मात्उपचारव्यवहारविशेषाः / / 249 // मृदस्तिकः / / 250 // सस्नौ प्रशस्ते // 251 // प्रकृते मयट् / यवागूः प्रधाना प्रचुरा वा यवागूमयं // 252 // अस्मिन् / अपुपा अस्मिन्नपूपमयं // 253 / 1 निन्द्ये पाशप् / भिषक्पाशः // 254 // त्यादेश्च प्रशस्ते / रूपम्, चात् गुणांगात्, आगमरूपः // 255 // प्रकृष्टे Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तम। प्रकृष्टः श्रेष्ठः श्रेष्ठतमः // 256 // द्वयोविभज्ये तरफ् प्रकृष्टे, दन्तोष्ठस्य दन्ताः स्निग्धतराः // 25 // किन्त्याद्येऽव्ययादसत्त्वे तयोरत्तस्याम् / किन्तराम् पचतितराम् पूर्वाह्न तराम् // 258 / / गुणांगाद्वेष्ठेयसू तरप्तमपोः। पटिष्ठः पटुतमः पटीयान् पटुतरः / / 259 // विन्मतोर्णीष्ठेयसौ लुप् / // 260 / / अल्पयुनोः कन्वा / कनिष्ठः // 261 // प्रशस्यस्य श्रः / श्रेष्ठः // 262 / / वृद्धस्य च ज्यः / ज्यायान् // 263 / / बाढान्तिकयोः साधनेदौ // 264 / / बहोर्णीष्ठे भूय / भूयिष्ठः भूयान् // 265 // अतमबादेरीषदसमाप्ते कल्पप्देश्यप्देशीयरः / ईषदूनो गुडो गुडकल्पा द्राक्षा // 266 // नाम्न प्राग् बहुर्वा / बहुगुडा / / 267 / / एकादाकिन् चासहाये / चात्क: एककः एकाकी // 268 // कुत्सिताल्पाज्ञाते कप, अश्वकः / // 269 // त्यादिसर्वादेः स्वरेष्वन्त्यात्पूर्वोऽक् / सर्वके // 270 // वत्सोक्षाश्वर्षभाद् ध्रासे पित्तरट् / / 271 / / वैकाद् द्वयोनिर्धार्ये इतरः // 272 // यत्तत्किमन्यात् / कतर: // 273 / / असकृत् संभ्रमे। पदं वाक्यं वा, हस्त्यागच्छति 2 // 274 / / सामीप्येऽधोध्युपरि वीप्सायां, गृहे गृहे धार्मिकाः / / इति तद्धितप्रत्ययाः // 16 // Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ / / 17 / / अथाख्यातप्रकरणम् / / // 1 // परस्मैपदि // // 1 // तत्र भ्वादिपरस्मैपदिनः / / // 1 // क्रियार्थो धातुः / आयाद्यन्ता अपि धातवः // 2 // न प्रादिरप्रत्ययः / यस्मात्प्रादेर्न प्रत्ययः स न धातोरवयवः स्यात्, ततोऽडादिः परः // 3 // सति / वर्तमाना स्यात् // 4 // वर्तमाना तिव तस् अन्ति सिक् थस् थ मिव वस् मस् / ते आते अन्ते से आथे ध्वे ए वहे महे / एषामष्टादशानां वर्तमाना संज्ञा धातोश्च सा॥५॥ नवाद्यानि शतृक्वसू च परस्मैपदं / सर्वासु आख्यातविभक्तिषु आद्यानि नव वचनानि शतृक्वसू च कृदन्तौ परस्मैपदाख्यानि स्युः // 6 // इडितः / धातोः कर्तरि आत्मनेपदम् // 7 // ईगितो / धातोरुभयं, फलवति तु कर्तर्यात्मनेपदं // 8 // शेषात्परस्मै // 9 // त्रीणि त्रीण्यन्ययुष्मदस्मद्युपपदे स्युः // 10 // भू सत्तायाम् / // 11 // कर्तर्यनद्भय शव् / शिति // 12 // एताः शितः / वर्तमानासप्तमीपञ्चमीह्यस्तन्याख्या विभक्तयः शितः // 13 // नामिनो गुणोऽङ्किति / 14 / शिदवित् डित् / विद्वर्जः शित् प्रत्ययो डित् भवति, तसि शनिमित्तो गुणः, भवतः (लुगस्येति) भवन्ति भवसि भवथः भवथ // 15 // मव्यस्याः / अकार Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्याकारो मवोः, भवामि भवावः भवामः // 16 // योगे परः / स च त्वं च भवथः, स च त्वं च अहं च भवामः // 17 // विधिनिमन्त्रणामन्त्रणाधीष्टसंप्रश्नप्रार्थने सप्तमीपञ्चम्यौ // 18 // सप्तमी यात् याताम् युस् यास् यातम् यात याम् याव याम // 19 // ईत ईयाताम् ईरन् ईथास् ईयाथाम् ईध्वम् ईय ईवहि ईमहि / एतानि सप्तमी / शेषविभागः पूर्ववत् // 20 // य सप्तम्याः / अत इ., भवेत् भवेताम् / // 21 // याम्युसोरियमियुसौ / अतः, भवेयुः भवे: भवेतम् भवेत भवेयम् भवेव भवेम, साधुर्मोक्षोद्यतो भवेत् // 22 // आशिष्याशीःपञ्चम्यौ / विभक्ती स्याताम् // 23 // पञ्चमी तुव ताम् अन्तु हि तम् त आनिव आव आमव् // 24 / ताम् आताम् अन्ताम् थास् आथाम् ध्वम् ऐव आवहैव आमहै / एतानि पञ्चमीसंज्ञानि / भवतु // 25 // आशिषि तुह्योस्तातङ् वा / भवतात् भवताम् भवन्तु // 26 // अतः / प्रत्ययाकाराद्धेलुक, भव भवतात् भवतम् भवत भवानि भवाव भवाम, आयुष्मान् भवतु भवताद्वा भवान् // 27 // अनद्यतने शस्तनी / उभयतः सार्धरात्रमहोऽद्यतनस्तं वर्जयित्वा Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 70 शेष भूते ह्यस्तनी / . ... // 28 // हास्तनी दिव् ताम् अन्, सिव तम् त, अमिव व म / त आताम् अन्त, थास् आथाम् ध्वम्, इ कहि महि // 29 // अड् धातोरादिस्तिन्यां चामाङा / माङ्वर्जस्य धातोरादिरड् ह्यस्तनीक्रियातिपत्त्यद्यतनीषु, अभवत् अभवताम् अभवन् अभवः अभवतम् अभवत अभवम् अभवाव अभवाम, ह्योऽभवदीरमहिमा // 29 // अद्यतनी भूते // 30 // अद्यतनी दि ताम् अन्, सि तम् त, अम् व म / त आताम् अन्त, थास् आथाम ध्वम्, इ वहि महि, एषाऽद्यतन्याख्या // 31 // सिजद्यतन्यां / धातोः // 32 // स्ताशितोऽत्रोणादेरिट / त्रोणादिवर्जस्तादेरशित इट् // 33 // पिबैतिदाभस्थः सिचो लुप परस्मै न चेट् // 34 // अवौ दाधौदा / अवितौ दाधौ दासंज्ञौ भवतः // 35 // सिज्लुपि / न गुणः, अभूत् अभूताम् // 36 // भुवो वः पराक्षाद्यतन्योः / वकारान्तभुव उपान्त्यस्योत ऊत् परोक्षाद्यतन्योः स्वरे, अभूवन् अभूः अभूतम् अभूत अभूवम् अभूव अभूम, अभूवन्निन्द्रा वीरजन्मोत्सवोत्सुकाः / / 37 // परोक्षे / परोक्षा // 38 // परोक्षा णक् अतुस् उस्, थव् अथुस् अणव व म / ए आते इरे, से आथे ध्वे, ए वहे Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महे // 39 / / द्विर्धातुः परोक्षा प्राक्तु स्वरे स्वरविधेः / // 40 // भूस्वपोरदुतौ / भुवः पूर्वस्यात स्वप उः / / 41 / / द्वितीयतुर्ययोः पूर्वी प्रथमतृतीयौ पूर्वस्य, बभूव बभूवतुः बभूवुः // 42 / / स्क्रसवभृस्तुद्रुश्रुस्रो wञ्जनादेः / स्रादिवर्जस्य स्कुश्च परोक्षाया व्यञ्जनादेरिट, बभूविथ बभूवथुः बभूव बभूव बभूविव बभूविम, बभूव भरतो योगी // 43 // आशीः क्यात् क्यास्ताम् क्यासुस् क्यास् क्यास्तम् क्यास्त, क्यासम् क्यास्व क्यास्म / सोष्ट सीयास्ताम् सीरन्, सीष्ठास् सीयास्थाम् सीध्वम्, सीय सीवहि सोनहि / एतान्याशीः / भूयात् भूयास्ताम् भूयासुः, भूया: भूयास्तम् भूयास्त, भूयासम् भूयास्व भूयास्म, भूयासम् सर्वभावविद् / // 44 / / अनद्यतने श्वस्तनी / वय॑ति / / 45 / / श्वस्तनी ता तारौ तारस्, तासि तास्थस् तास्थ, तास्मि तास्वस् तास्मस् / ता तारौ तारस, तासे तासाथे ताध्वे, ताहे तास्वहे तास्महे / भविता भवितारौ भवितारः, भवितासि भवितास्थः भवितास्थ, भवितास्मि भवितास्वः भवितास्मः, भविता श्वो महोत्सवः / / 46 // भविष्यन्ती। वर्त्यति // 47 / / भविष्यन्ती स्थति स्यतस् स्यन्ति, स्यसि स्यथस् स्यथ, स्यामि स्यावस् स्यामस् / स्यते स्येते स्यन्ते, स्यसे Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्यैथे स्पध्दे, स्ये स्यावहे स्थामहे / भविष्यति भविष्यतः भविष्यन्ति, भविष्यसि भविष्यथ: भविष्यथ, भविष्यामि भविष्यावः भविष्यामः, मुक्तिभाजो भविष्यामस्तत्र कांक्षा यतोऽनघा // 48 // सप्तम्यर्थे क्रियातिपत्तौ / क्रियातिपत्तिः, एष्यति हेतुफलभावयोरतिपत्तौ क्रियातिपत्तिः / भूतेऽपि क्रियापतिश्चेत् // 49 / / क्रियातिपत्तिः स्यत् स्यताम् स्यन्, स्यस् स्यतम् स्यत, स्यम् स्याव स्याम / स्यत स्येताम् स्यन्त, स्यथास् स्येथाम् स्यध्वम्, स्ये स्यावहि स्यामहि / अभविष्यत् अभविष्यताम् अभविष्यन्, अभविष्यः अभविष्यतम अभविष्यत, अभविष्यम् अभविष्याव अभविष्याम, उपाध्यायोऽभविष्यद्वाचनाऽभविष्यत् / 50 अदुरुपसर्गान्तरी णहिनुमीनानेः / दुर्व|पसर्गान्तरशब्दरपुर्णकारादिहिनुमीनानीनां नो णः, अन्तर्भवाणि / . // 51 // अकखाद्यषान्त पाठे वा / ने! णः प्रणिभवति प्रनिभवति / पा पाने // 52 / / श्रौतिकृवुधिवुपाघ्राध्मास्थाम्नादामदृश्यतिशदसदः शकृधिपिबजिघ्रधमतिष्ठमनयच्छपश्यछंशीयसीदं / शिति, पिबति पिबेत् पिबतु अपिबत् // 53 // एकस्वरादनुस्वारेतः / स्ताद्यशितो नेट / एते चेमेश्विश्रिडीशीयुरुक्ष्णुझुणुस्नुभ्यश्च वृगो वृङः / Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 73 ऊऋदन्ता युजादिभ्यः, स्वरान्ता धातवोऽपरे // 1 // पाठ एकस्वराः स्युर्येऽनुस्वारेत इमे स्मृताः / द्विविधोऽपि शकिश्चैव, वचिर्वीचिरिची पचिः // 2 // सिञ्चतिर्मुचिरतोऽपि पृच्छति, भ्रस्जिमस्जिभुजयो युजिर्यजिः / ध्वजिरुजयो निजिविजः, सञ्जिभञ्जिभजयः सृजित्यजी / / 3 / / स्कन्दिविद्यविद्लविन्तयो नुदिः; स्विद्यतिः शदिसदी भिदिच्छिदी / तुद्यती पदिहदी स्दिदिक्षुदी, .. राधिसाधिशुधयो युधिव्यधी // 4 // बन्धिबुध्यरुधयः क्रूधिक्षुधी, सिद्धयतिस्तदनु हन्तिमन्यती / आपिना तपिशपिक्षिपिच्छुपो, - लुम्पतिः सृपिलिपी वपिस्वपी // 5 // यभिरभियमिरमिनमितमिगमयः, कुशिरिशिरुशिलिशिदिशतिदशतयः / स्पृशिमृषतिविशतिदृशिशिष्लशुषय स्त्विषिपिषिविष्लकृषितुषिदुषिषुषयः / / 6 / / . श्लिष्यतिद्विषिरतो घसिवसती, राहतिर्लुहिरिही अनिड्गदितौ / Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 74 देग्धिदोग्धिलिहयो मिहिवहती, . नह्य तिर्दहिरिति स्फुटमनिट: // 7 // अपात् // 54 / / सिज्विदोऽभुवोऽनः पुस // 55 / / इडेत्पुसि चातो लुक् / चातिङ्कति स्वरेऽशिति, अपुः // 56 / ह्रस्वः / पूर्वस्य // 57 / / आतो णव औः / पपौ / / 58 / / इन्ध्यसंयोगात्परोक्षा / किद्वत्, पपतुः पपुः / / 59 / / सृजिशिस्कृस्वरात्वतस्तृजनित्यानिटस्थव आदिरिट वा / पपिथ पपाथ पपिव पपिम // 60 / / // 6 // गापास्थासादामाहाकः / कित्याशिष्येः, पेयात् पाता अपास्यत् // 61 // ध्रा गन्धोपादाने / जिघ्रति अजिघ्रत् // 62 / / धेघ्राशाच्छासो वा / सिचो लुप् परस्मै न चेट्, अघ्रात् // 63 // यमिरमिनम्यातः सोऽन्तश्च परस्ने / चारिसच आदिरिट् / // 64 / / इट ईति / सिचो लुक // 65 / / सः सिजस्तेदिस्योः / परादिरीत्, अघ्रासीत् // 66 // व्यञ्जनस्यानादे / लुक् // 67 // गहोर्जः / पूर्वस्य जञौ जब्रिथ जनाथ / // 68 // संयोगादेर्वाऽऽशिष्येरातः / यात् घ्रायात ब्राता / ध्मा शब्दाग्निसंयोगयोः, धमति अधमत अध्मासीत अध्मासिष्टाम् अध्मासिषुः अध्मासीः अध्मासिष्टं अध्मासिष्ट अध्मासिषं अध्मासिष्व अध्मासिष्म, दध्मौ ध्मेयात मायात् ध्माता ध्मास्यति / Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 75 ष्ठा गतिनिवृत्तौ, तिष्ठति तिष्ठतु // 69 // षः सोऽष्टयैष्ठिवष्वष्क: पाठे धात्वादेः, अस्थात् // 70 / / अघोष शिंटो लुक् / पूर्वस्य, तस्थौ स्थेयात् स्थाता // 71 / / स्थासेनिसेधसिचसञ्जां द्वित्वेऽपि / नाम्यादोः षः, अपिनाऽटयपि, प्रत्यष्ठात् // 72 // उदः स्थास्तम्भः सलुक / उत्तिष्ठति / म्ना अभ्यासे, मनेत अम्नासिषम मम्निव म्नेयात् म्नायात अम्नास्यत् / दाम दाने, यच्छति अदात देयात् // 73 // नेडादापतपदनदगदवपिवहिशमूचिग्यातिद्रातिप्सातिस्यतिहन्तिदेग्धौ अदुरुपसर्गान्तरो रषुर्ने! णः, प्रणियच्छति, अधर्म्यसंप्रदाने आत्मनेपदं, दास्या संप्रयच्छते / जि ज्रि अभिभवे, जयति / // 74 / / सिचि परस्मै समानस्याडिति वृद्धिः, अजैषीत अजषुः अजैषीः // 55 // जेगिः सम्परोक्षयोः // 76 // नामिनोऽकलिहलेवृद्धिणिति, जिगाय (योsनेकस्वरेति) जिग्यतुः जिगयिथ जिगेथ // 77 // णिद्वाऽन्त्योणव / जिगाय जिगय जिग्यिव // 78 // दीर्घश्वियङ्यकक्येषु च / चात अशिषियि, जीयात जेष्यति / क्षि क्षये, क्षयतु अझैषीः / // 79 // कङश्चञ् पूर्वस्य, चिक्षाय / इदुद्रुशुम्र गतो, अयति / / 80 // स्वरादेस्तासु अद्यतन्यादिषु Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वृद्धिः, आयत् // 81 // पूर्वस्यास्वे स्वरे इयुव य्वोः, इयाय ईयतुः इययिथ इयेथ एष्यति / / 82 // णिश्रिद्रुस्रुकमः कर्तरि ङः अद्यतन्याम्, अदुद्रुवत् दुद्रोथ, अशुश्रुवत् / स्मृ चिन्तायां, स्मरतु अस्मार्षीत् / // 83 // संयोगाहदर्तेः परोक्षायां गुणः, सस्मरतुः // 84 / / ऋतः तृन्नित्यानिटस्थव इण्न, सस्मर्थ / / 85 / / क्ययङाशीर्ये संयोगादर्तेर्गुणः, स्मर्यात् / / 86 / / हनृतः स्यस्येडादिः / स्मरिष्यति। सृ. गतौ / / 87 // वेगे सर्तेर्धाव अत्यादौ शिति, धावति // 88 // सर्त्यर्तेर्वाऽद्यतन्यामङ / / 89 // ऋवर्णदृशोऽङि गुणः / असरत् ससर्थ / // 90 // रिशक्याशीर्ये ऋतः / स्रियात् / ऋ प्रापणे च, ऋच्छति आर्च्छत् आरत् आर्षीत् आर्षुः // 91 / / ऋतोऽत् / पूर्वस्य, आर आरतुः // 92 / / ऋवृव्येऽदः थव इट् / आरिथ / तृ प्लवनतरणयोः, तरति अतारीत् / / 93 // स्कृच्छतोऽकि परोक्षायां / गुणः // 94 // तत्रपफलभजाम् / अत एर्न च द्विरवित्परोक्षासेट्थवोः, तेरतुः // 95 // ऋतां ङ्कितीर, तीर्यात् / / 96 // वृतो नवाऽनाशीःसिच् परस्मै च, वृत इटो वा दीर्घः / आशीः परस्मैसिचः परोक्षायाश्च न, तरीता तरिता / धे पाने, धयति / / 97 / / Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 77 आत्सन्ध्यक्षरस्य / / 98 // न शिति / अधासीत् अधात् // 99 / / टधेश्वेर्वा डोऽद्यतन्यां, अदधत् दधौ / ध्यै चिन्तायां, ध्यायति अध्यासीत् दध्यौ ध्यायात् ध्येयात् / ग्लै ग्लानौ / म्लै म्लानौ / के गै रै शब्दे / ष्टय स्त्यै संघाते च, ष्टयायति अष्टयासीत् टष्टयौ ष्टय यात् ष्टयायात् / तक हसने, तकति // 100 / / व्यंजनादेोपान्त्यस्यातो वृद्धिः सिचि परस्मै / अताकीत अतकीत् // 101 // णिति / उपान्त्यस्यातो वृद्धिः, तताक / / 102 // अनादेशादेरेकव्यञ्जनमध्येऽत एरवित्परो क्षासेट्यवोः / तेकतुः तेकिथ / तक कृच्छ्रजीवने // 103 // उदितः स्वरान्नोऽन्तः / तङ्कति अतङ्कीत ततङ्क तङ्कयात् / उखु शोषणालमर्थयोः // 104 // लघोरुपान्त्यस्य / गुणोऽङ्किति, ओखति औखीत् उवोख ऊखतुः / त्वगु गतिकम्पनयोः / लघु शोषणे / शुच शोके। कुंञ्च गतौ, चुक्रुञ्चतुः क्रुच्यात् / लुञ्च अपनयने / अर्च पूजायां / अञ्चू गतौ च, अञ्चति आञ्चत् / // 105 // अनातो नश्चान्त ऋदाद्यशौसंयोगान्तस्यातः / परोक्षायां, आद्भिन्नात्, चादादेरस्याः आनञ्च अञ्च्यात्, गतौ अच्यात् / चुचू म्लुचू गतौ / // 106 // ऋदिच्छ्विस्तम्भूम्रचूम्लुचू ग्रुचूग्लुचूज्रो Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 78 वाऽद्यान्यां / परस्मै अङ्, अZचत् अम्रोचीत् अम्लुचत अम्लोचीत् / ग्रुचू ग्लुचू स्तेये, अग्रुचत् अग्रोचीत अग्लुचत् अग्लोचीत् / वाछु इच्छायाम् / मूर्छा मोहसमुच्छाययोः / वज व्रज गतौ। / / 107 / / न शसददिवादिगुणिनोऽत ए: / ववजतु // 108 / / व दवजल: सेटि सिचि वृद्धिः। अवाजीत्, अज क्षेपणे च, अजति आजत् / // 109 / / अघक्यबलच्यजे: / अशिति, विवाय विव्युः विवयिथ विवेथ // 110 / / अयि व्यंजने वीर्वाऽशिति / आजिथ वीयात् / एज कम्पने / अर्ज सर्ज अर्जने / तर्ज भर्त्सने / तुज हिंसायां / त्यज हानौ, त्यजति // 111 // व्यञ्जनानामनिटि सिचि वृद्धिः // 112 // षढोः कस्सि परेऽसन् अत्याक्षीत् / / 113 / / धुड्ह्रस्वाल्लुगनिट: सिचः तथोः, अत्याक्ताम अत्याक्षुः अत्याक्ष्म / पञ्ज सङ्गे // 114 // दंशसञ्ज शवि नलुक सजति / कटे वर्षावरणयोः / / 115 / / न विजागृशसक्षणहम्येदितः सेटि सिचि वृद्धिः, अकटीत् णट / नृत्तौ / / 116 // पाठे धात्वादेर्णो नः / नटति, पठ व्यक्तायां वाचि, अपाठीत् अपठीत् पठ्यात् / शट हिंसासंक्लेशकैतवेषु / कुछ लुठु गतिप्रतिघातालस्ययोः, कुण्ठति अलण्ठीत् / मडु भूषायाम् / क्रोड विहारे / विड Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आक्रोशे, वेडिता / अण वण रण भण धण क्वण चण शब्दे / ओण अपनयने / // 117 // गुरुनाम्यादेरनृच्छ्र्णोः परोक्षाया आम्, कृभ्वस्तयश्च तदन्ता अनु, ओणांचकार / चितै संज्ञाने, चिचेत अचेतिष्यत् / अत सात यगमने, आतीत् आत आतिथ / च्युत आसेचने, अच्युतत् अच्योतीत् / कित निवासे // 118 // कित संशयप्रतीकारे सन् // 119 / / सन्यङश्चैकस्वरोऽशो द्विः // 120 // स्वार्थे सनो नेट् / चिकित्सति / ऋत घृणातिस्पर्धेषु / / 121 / / ऋते?यः / / 122 // पराणि कानानशौ चात्मने / त्याद्यासु सर्वासु, ऋतीयते // 123 // आतामाते आथामाथे आदिरात् / ऋतीयेथे आर्तीयत // 124 // अवि वा आयणिङडीयाः, आर्डीयिष्ट / / 125 // नाम्यन्तात्परोक्षाद्यतन्याशिषो धो ढः / / 126 // हान्तस्थाञ्जड्भ्याम् वा / अर्तीयित्वम् आर्तीयिध्वम् / // 127 // आम कृगः / प्राग्वदात्मने, ऋतीयांचक्रे आनर्त / मथु मन्थ हिंसासंक्लेशयोः, मन्थ्यात् मथ्यात् / गद व्यक्तायां वाचि / णद अव्यक्तशब्दे / अर्द गतियाचनयोः / णर्द गर्द शब्दे, अगर्दीत् / अदु बन्धने, आनन्दः / इदु परमैश्वर्ये, इन्दांचकार / णिदु कुत्सायां / दुनदु समृद्धौ / चदु दीप्त्याह्लादनोः / Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ क्रदु रोदनााह्वनयोः, क्रन्देत चक्रन्द क्रन्दिता। स्कन्द गतिशोषणयोः, स्कन्दतु अस्कदत् अस्कान्न सीत् अस्कान्ताम् चस्कन्द / पिधु गत्या // 128 / / गतौ सेधो न षः / न्यसेधत सिषेध / षिधौशास्त्रमांगल्ययोः // 129 // धूगोदितः / स्ताद्यशित आदिरिट् वा / 130 / अधश्चतुर्थात्तयोर्धः / असैद्धाम् सिषेध सेधिता सेद्धा / स्तन धन ध्वन चनं स्वन वन. शब्दे // 131 // जभ्रमवमत्रसफणस्यमस्वनराजभ्राजभ्रासम्लासो वैन च द्विः / अवित्परोक्षासेटथवोः, स्वेनतुः सस्वनतुः / वन षन संभक्तौ / / 132 // ये नवा / खनिसनिजनेराः किति, सायात सन्यात् / गुपौ रक्षणे // 133 // गुपौधूपविच्छिपणिपनेराय / गोपायति // 134 / / अंतो य किति / लुक्, गोपाय्यात् गोपायिता गोपिता गोप्ता / धूप तप संतापे / // 135 // निसस्तपेनासेवायां षः / निष्टपति / रप लप जप व्यक्तवचने / जप मानसे व्यक्तोक्तो च / सृप्ल गतौ // 136 / / स्पृशादिसृपो वाऽदन्तो / स्रप्ता सप्र्ता // 137 // तृदिधुतादिपुष्यादेः / परस्मै अद्यतन्यामङ्, असृपत् / चुबु वक्त्रसंयोगे / यभ जभ मैथुने // 138 // जभः स्वरे स्वरान्नोऽन्तः, / जम्भति / Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 81 चमू जमू जिमू अदने // 139 // ष्ठिवूक्लम्वाचमो दीर्घः / शित्यत्यादौ, आचामति / क्रमू पादविक्षेपे / // 140 // भ्रासभ्लासभ्रमझमक्लमत्रसित्रुटिलषियसिसंयसेर्वा / श्यः शिति // 141 // क्रमो दीर्घ परस्मै / शित्यत्यादौ, क्राम्यति कामति // 142 // क्रमोऽनुपसर्गाद्वात्मने / क्रमते / / 143 // क्रम स्ताद्यशित / इडादि त्मने, अक्रन्त अक्रमीत् / यम् उपरमे / 144 // गमिषद्यमश्छ / शिति, यच्छति / अयंसीत् / स्यमू शब्दे / णम प्रह्वत्वे / गम्ल गतौ, गच्छति / / 145 / / गमहनजनखनघसः स्वरेऽनङि / विङति लुगुपान्त्यस्य, जग्मतुः / // 146 // गमोऽनात्मने / आदिरिट सादेः, गमिष्यति अगमत् / चर भक्षणे, अचारीत / दल जिफला विशरणे, फेलतुः पफलतुः अफालीत / शील समाधौ / शूल रोमे / फल निष्पत्तौ / गर्व दर्प / ष्ठिवू क्षिवू निरसने, ष्ठीवति // 147 // तिर्वा / ष्ठिवः पूर्वस्य, तिष्ठेव टिष्ठेव / जीवु प्राणधारणे गुर्वै उद्यमे / अब रक्षणगतिकान्तिप्रीतिषु / दृश प्रेक्षणे, पश्यति / / 148 // अः सृजिशोऽकिति धुटि रः // 149 / / हशिटो नाम्युपान्त्याददृशोऽनिटः सक् / बद्राक्षीत् अदर्शत दद्रष्ठ ददर्शिथ द्रष्टा / दंश दशने, Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 82 दशति दंष्टा / मूष स्तेये / कृष विलेखने, क्रष्टा की। // 150 / / स्पृशमृषकृषतृपहपो / वाऽद्यतन्यों सिच्, अक्राक्षीत् अकार्षीत् अकृक्षत् / कष रुष रिष हिंसायां // 151 // सहलुभेच्छरुषरिषस्तादेरिड् वाऽऽदिः, रोषिता रोष्टा / उषू प्लुषू दाहे // 152 // जाग्रुषसमिन्धेर्वाऽऽम् / ओषांचकार उवोष ऊषतुः / घस्लु अदने, अघसत जघास / / 153 / / घस्वसो / नाम्यादे: षः, जक्षतुः // 154 // सस्त: सि अशिति, घत्स्यसि। हसे हसने, अहसीत् / शसू हिंसायां, शशसतु: अशसीत् / दह भस्भीभावे, धक्ष्यनि / रह त्यागे, अर. हीत् / अर्ह मह पूजायां आनह / रक्ष पालने / अक्षौ व्याप्तौ // 155 // वाऽक्षः शिति अनुः // 156 / / उश्नोः गुणोङ्किति / अक्ष्णोति अक्ष्णुवन्ति आक्ष्णोत आक्षीत् आनक्ष अक्षिता अष्टा / तक्षौ तक्षणे / 157 / तक्षः स्वार्थे वा अनुः / शिति, तक्ष्णोति काष्ठं, तक्षति काक्षु कांक्षायां, अकांक्षीत् चकांक्ष // इति परमैपदम् // 1 // // 2 // भ्वाद्यात्मपदिनः / / गाङ् गतौ, गाते गाते // 1 // अनतोऽतोऽदात्मने, गाते अगास्त / स्मिङ ईषद्धसने, स्मयते अस्मेष्ट / डीङ विहायसा गतौ, अडयिष्ट अडयिढ्वम् Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अडयिध्वम् / पूङ पवने / धृङ अवध्वंसने, धरते // 2 // ऋवर्णात्सिजाशिषावनिटौ किद्धदात्मने, धृषीष्ट / देङ् त्रैङ् पालने // 3 // देदिगिः परोक्षायां न च द्विः / दिग्ये दिग्यिरे // 4 // इश्च स्थादः / आत्मनेपदे, चात्सिच कित्, अदित अदिषाताम् / प्यैङ् वृद्धौ // 5 // दीपजनबुधपूरितायिष्यायो वा ते जिच् तलुक च / अप्यापि अप्यायिष्ट / / // 6 // प्यायः पोः / परोक्षायडोः, पिप्ये / अकुङ् लक्षणे आनङ्के। लोकङ दर्शने, लुलोके / रेकृ शकुङ शङ्कायाम्, अशङ्किष्ट / श्लाघुङ कत्थने। लोचुङ दर्शने / षिचि सेचने / पचुङ व्यक्तीकरणे / एज भ्रेज़ भ्राजि दीप्तौ, एजांचक्रे एजामास एजांबभूव भ्रेजे बभ्राजे / तिजि क्षमा निशानयोः // 7 // गुप्तिजो गर्हाक्षान्तौ सन् / तितिक्षते तेजते। स्फुटि विकसने। चेष्टि चेष्टायाम् / वेष्टि वेष्टने / वठुङ एकचर्यायाम् / मडुङ मार्जने / घूणि घूर्णि भ्रमणे / पणि व्यवहारस्तुत्योः, पणायति, व्यवहारे पणते / यतैङ प्रयत्ने, येते / नाथङ उपतापैश्वर्याशीष्षु / // 8 // आशिषि नाथः। कर्तर्यात्मने, नाथते नाथति / वदुङ स्तुत्यभिवादनयोः, ववन्दे / भदुङ सुखकल्याणयोः / स्पदुङ् किञ्चिच्चलने / क्लिदुङ Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 84 परिदेवने / मुदि हर्षे / ददि दाने, दददे / हदि पुरिषोत्सर्गे / स्वदि आस्वादने / षूदि क्षरणे / ह्लादेड शब्दे सुखे च / एधि वृद्धौ / स्पद्धि संघर्षे / दधि धारणे / पनि स्तुतौ, पनायति पेने / मानि पूजायाम् // 9 // शानदानमानबधात् निशानार्जवविचारवैरुप्ये / स्वार्थे सन दीर्घश्चतः / 10 // सन्यस्य पूर्वस्ये / मीमांसते / टुवेपू कपुङ चलने / त्रपौषि लज्जायाम्, त्रेपे तत्रपे त्रपिषीष्ट त्रप्सीष्ट / गुपि गोपनकुत्सनयोः, जुगुप्सते / गल्भि धाष्टर्ये / ष्टभु स्कभु स्तम्भे / रभि राभस्ये / डुलभिष् प्राप्तौ / क्षमौषि सहने, चक्षमिषे चक्षण्षे / कमूङ कामनायां / / 11 / / कमेणिङ् / कामयते / गेरनिटयशिति लुक // 12 / / आद्योऽश एकस्वरो द्विः परोक्षाडे / 13 / असमानलोपे सन्वल्लघुनि उ णौ इ: // 14 / / लघीर्दीर्घोऽस्वरादेरसमानलोपे डे पूर्वस्य, अचीकमत अचकमत / अयि गतौ / // 15 // उपसर्गस्यायौ रो लः, पलायते / 16 दयायास्कासः परोक्षाया आम, अयांचक्रे / दयि दानगतिहिंसादहनेषु / पूर्यंङ दुर्गन्धिविशरणयोः / तायुङ सन्तानपालनयोः / कलि शब्दसंख्यानयोः / षेवङ सेवने / 17 / परिनिवेः सिवो द्वित्वेऽटय पि षः, न्यषेवत / काशृङ दीप्तौ / क्लेशि विबाधने / भाषि Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ च व्यक्तोक्तौ / संसूङ प्रमादे / कासृङ शब्दकुत्सायाम् / भासि दुभ्लासि टुभ्रासि दीप्तौ, भ्रसे बभ्रासे भ्लास्यते भ्लासते। रासृङ शब्दे / आङ शसुङ इच्छायां / ग्रसू ग्लसूङ अदने / ईंहि चेष्टायां / गर्हि कुत्सने / ऊहि तर्के / / 18 / / उपसर्गादस्योहो वात्मने // 19 // उपसर्गाहो ह्रस्वः। समुह्यात् / गाहौङ विलोडने / दक्षि वृद्धौ शैघ्ये च। शिक्षि विद्योपादाने / भिक्षि याञ्चायाम / दीक्षि मौण्डयेज्योपनयननियमव्रतादेशेषु / ईक्षि दर्शने // इत्यात्मनेपदम् // 2 // __3 // अथ भ्वादिषूभयपदम् // श्रिग सेवायाम्, अशिश्रियत् शिश्रिये / णीग् प्रापणे, अनंपीत् / हृग हरणे / भृग भरणे / धृग् धरणे / डुकृग करणे // 1 // कृगतनादेरुः / शित्ति, करोति / / 2 / / अतः शित्युत् कृगोऽविति / कुरुतः कुर्वन्ति // 3 // कृगो यि चोतो लुक् / चाद्वम्यविति, कुर्मः कुरुते // 4 // कुरुच्छरो न दीर्घः / कुर्यात // 5 // गन्धनावक्षेपसेवासाहसप्रतियत्नप्रकथनोपयोगे कृगः / आत्मने, उत्कुरुते // 6 // अधेः प्रसहने / तं हाधिचक्रे / डुयाङ् याञ्चायाप्त / डुपचीष पाके / राजग टुभ्राजी दीप्तौ, रेजतुः रराजतुः / भजी सेवायाम / रञ्जो रागे, रजति / Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - // 7 / / कुषिरञ्जयाप्ये वा परस्मै च / कर्त्तरि श्यः, रज्यति स्वयं वत्रं, अरांक्षीत् / मेधृग मेधाहिंसासंगमेषु / बुधृग बोधने, अबोधीत् / खनूग अवदारणे, अखानीत् अखनीत् चख्ने खायात खन्यात् / दानी अवखण्डने, दोदांसते / शानी तेजने, शीशांसते / शपो आक्रोशे / अलो भूषणपर्याप्तिवारणेषु / धावूग गतिशुद्धयोः / भेषग भये / लषी कान्तौ, लष्यति लषति लषते / चषी भक्षणे / , त्विषी दीप्तौ / दासृग दाने / माग माने / मुहौग संवरणे // 8 // गोहः स्वरे / उपान्त्यस्योत् , निगूहते // 9 // स्वरेऽतः / सको लुक , अघुक्षाताम् अघुक्षन्त // 10 // दुहदिहलिहगुहो / दन्त्यात्मने वा सको लुक , अगुह्वहि, अघुक्षावहि / / इत्युभयपदं // 3 // // 4 // स्वादिषुद्युतादिवृतादीप // . द्युति दीप्तौ, द्योतते // 1 // द्युद्भ्योऽद्यतन्यां / वात्मने, अद्युतत अद्योतिष्ट // 2 // द्युतेरिः / पूर्वस्य परोक्षायां, दिद्युते / रुचि अभिप्रीत्यां च / शुभि दीप्तौ / क्षुभी संचलने / भूङ् विश्वासे / भ्रंशूङ स्रंसूङ् अवस्रंसने / ध्वंसूग् गतौ च / वृतुङ् वर्त्तने, अवृतत् अवर्तिष्ट // 3 // न वृद्भयः / परस्मै स्ताद्य शित इट / / 4 // सिजाशिषावात्मने / नाम्युपान्त्येऽनिटौ Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ किद्वत् , वृत्सीष्ट / वृभ्यः स्यसनोर्वा कर्तर्यात्मने, वत्तिष्यते वय॑ते / स्यन्दौङ् प्रश्रवणे // 5 // निरभ्यनोश्च स्यन्दस्याप्राणिनि कर्तरि / वा षः, चात्पनिवेः, पयः निष्ष्यन्दते निस्स्यन्दते / वृधौङ् वृद्धौ / कृपौङ् सामर्थ्य / // 6 // ऋर ललं कृपोऽकृपीटादिषु / कल्पते अकल्पत अकल्पिष्ट अक्लुप्त चक्लपे // 6 // कृपः श्वस्तन्यां वात्मरे / कर्त्तरि, कल्पितासे कल्तासि / इति घृतादिवृतादीवृद्ग्रणौ // 4 // .. // 5 // भ्यादिषुज्वलादयः / / ज्वल दीप्तौ, अज्वलत् / कुच संपर्चनकौटिल्यप्रतिष्टम्भविलेखनेषुः / पत्ल गतौ // 1 / / श्वयत्यसूवचपतः श्वास्थवोचपप्तमङि / अपप्तत् / क्वथे निष्पाके / मथे विलोडने / षद्ल .विंशरणगत्यवसादनेषु, सीदति // 2 / / सदोऽप्रते परोक्षायां त्वादेः षः / निषीदति // 3 // श्रुसदवस्भ्यः परोक्षा वा भूते / . निषसाद / शदल शातने // 4 // शदेः शिति कर्त्तत्मिने / शीयते अशादीत् / बुध अवगमने / टुवमू उगिरणे (वमने), वेमतुः ववमतुः / भ्रमू भ्रान्तौ, भाम्यति भ्रमति भ्रमतुः बभ्रमतुः / चल कम्पने / बल प्राणनधान्यावरोधयोः / क्रुश आह्वानरोदनयोः / Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रुह जन्मनि, अरुक्षत् / रमि क्रीडायाम् / . // 5 // व्याङ् परे रमः / परस्मै, विरमति / पहि सहने // 6 // असोङसिवुसहस्सटा परिनिवेः सः षः / परिषहते // 7 // स्तुस्वञ्जश्चाटि नवा पूर्ववत्पर्यादेः, पर्यषहत पर्यसहत / / इति ज्वलादयः / / 5 / / // 6 / / भ्वादिषुयजादयः / / यजो देवपूजासंगतिकरणदानेपु, यजति अयष्ट // 1 // यजादिवशवचः सस्वरान्तस्था स्वत्पूर्वा / परोक्षायां, इयाज // 2 // यजादिवः किति परस्या। अपि य्वृत्, ईजतु: इयजिथ. इयष्ठ / व्येग तन्तुसन्ताने व्ययति व्ययते // 3 // ज्याव्येव्यधिव्यचिव्यथेरिः / पूर्वस्य, विव्याय विव्यतुः // 4 // व्यस्थववि नात्त्वं / विव्ययिथ / वेग संवरणे / / 5 / / वेर्वय् वा परोक्षायाम् / उवाय // 6 // वेरयो न वृत् / ववौ ववतुः // 7 // अविति वाऽयन्तस्य स्वृत् / वृत , सकृत , ऊवतुः // 8 // न वयो / य य्वत् ऊयतुः // 9 // य्वोः प्वयव्यञ्जने लुक् / उवयिथ उथथ / ह्वेग स्पर्धाशब्दयौः, ह्वयति ह्वयते // 10 // द्वित्वे हो स्वृत् / जुहाव जुहुवतुः / // 11 // ह्वालिप्सिचोऽद्यतन्यामङ् / आह्वत् / / 12 / / वात्मनेऽङ् हादेः / आह्वत आह्वास्त / टुवपी Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 89 वापे, उवाप ऊपतुः उप्यात् / वही प्रापणे, उवाह / ट्कोश्वि गतिवृद्धयोः, श्वयति अश्वत् अशिश्वियत् अश्वयीत् // 13 // वा परोक्षायडि श्वेवि॑त् / शुशाव शिश्वाय शूयात् / वद व्यक्तायां वाचि, ऊदतुः // 14 / / दीप्तिज्ञानयत्नविमत्युपसंभाषोपमन्त्रणे वदः / कर्तर्यात्मने, वदते विद्वान्स्याद्वादं // 15 / / व्यक्तवाचां सहोक्तौ / संप्रवदन्ते ग्राम्याः // 16 // विवादे वा / वस निवासे, उष्यात वत्स्यति / / इति यजादयः // 6 // // 7 / / भ्वादी घटादयः / / - घटिष चेष्टायाम् / व्यथिष् भयचलनयोः, विव्यथे। प्रथिष् प्रख्याने / म्रदिष् मर्दने / भित्वरिष् संभ्रमे / श्रा पाके / रगे शङ्कायाम् / लगे संगे / ज्वर रोगे / ज्वल दीप्तौ // इति घटादयः // इति भुवादयः / / 1 / / // 2 / / अदादिः // अथादादिः / अद प्सा भक्षणे, अत्ति / / 1 // हुधुटो हेधिः / अद्धि अत्तात् // 2 // अदश्चाट / शितोदिस्योः, चाद्रुत्पञ्चकात्, आदत् आद: / / 3 / / घस्लू सनद्यतनीघाचल्यदः / अघसत् // 4 // परोक्षायां नवा / जघास आद // 5 // वा द्विषातोऽनः / पुस्, अप्सुः अप्सान् / भा दीप्तौ / या प्रापणे / वा Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 90 गतिगन्धनयोः / ष्णा शौचे, सनौ सस्नतुः / द्रा कुत्सितगतौ / पा रक्षणे, अपासीत पायात् / दावे लवने, अदासीत् / ख्या कथने / // 6 // शास्त्यसूवक्तिख्यातेरङ् / अद्यतन्यां, आख्यत / मा माने, अमासिषुः मेयात / इ स्मरणे, अध्येति अधीतः // 7 // इको वा स्वरेऽविति शिति यः अधियन्ति अधोयन्ति // 8 / / एत्यस्तेर्वृद्धिहस्तन्याममाङा / आयन् // 9 // इणिकोर्गाऽद्यतन्यां / अगात् / इण गतौ, एति // 10 // द्विणोरप्विति / शिति स्वरे य्वौ, यन्ति अगात इयाय // 11 // इण इय् स्वरे / ईयतुः // 12 / / आशिषीण / उपसर्गाङ्किति यि ह्रस्वः, उदियात् / षु प्रसवैश्वर्ययोः // 13 / / उत औविति व्यञ्चनेऽद्वेः / सौति // 14 // धूगसुस्तोः परस्मै सिच आदिरिट् / असावीत् / तु वृत्तिहिंसापूरणेषु / / 15 / / यतुरूस्तोर्बहुलं / व्यञ्जनादौ विति परादिरीत , तवीति तौति / यु मिश्रणे, यौति / णु स्तुतौ, अनाबीत् नुनाव / क्ष्णु तेजने / स्नु प्रस्रवणे, सुस्रोथ / - // 16 / / स्नोरनात्मने स्ताद्यशित / आदिरिट, सुस्नविथ / टुक्षुरुकु शब्दे, रौति रवीति अरौषीत् / रुद् अश्रुविमोचने // 17 / / रुत्पञ्चकाच्छिदयो व्यजनादेरादिरिट् / रोदिति // 18 // दिस्योरीट् / Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रुत्पञ्चकात्, अरोदीत् अरुदत् / जिवप् शयने, स्वपिति सुष्वाप / // 19 // स्वपेर्यङ्डे च य्वृत्, चात्किति, सुषुपतुः / / 20 / / अवः स्वपः / निर्दुःसुवे: स्वपः सः षो, न चेद्वोऽन्ते, निःष्वपिति / अन श्वस प्राणने / / 21 / / द्वित्वेऽप्यन्तेऽप्यनितेर्णः, परेस्तु वा / प्राणिति पर्यणिति पर्यनिति अश्वासीत् / जक्ष भक्षणहसनयोः / / 22 / / अन्तो नो लुक् / व्युक्तजक्षपंचकाच्छितोऽवितः, जक्षति // 23 // एषामोर्व्यञ्जनेऽद / व्युक्तजक्षपञ्चकस्यादः शित्यविति, जक्षितः / / 24 / / द्वयुक्तजक्षपञ्चतः शितोऽवितोऽन: पुस्, अजक्षुः / दरिद्रा दुर्गतौ // 25 // इर्दरिद्रः / शित्यविति व्यञ्जने, दरिद्रितः / / 26 // इनश्चातो चाद् व्युक्तजक्षपञ्चकस्य / लुक् शित्यविति, दरिद्रति दरिद्रियात् दरिद्रांचकार औवचनात् ददरिद्रौ / / 27 / / अशित्यस्सन्णकच्णकानटि / दरिद्रो लुक्, दरिद्र्यात् // 28 // दरिद्रोऽद्य तन्यां वा लुक् / अदरिद्रीत् अदरि द्रासीत् / जागृ निद्राक्षये // 29 // व्यञ्जनाद्देलक सञ्च दः। अजागः / / 30 // जागुजिणवि वृद्धिः / जजागार जागरांचकार // 31 / / जागुकिति गुणः। जजागरतुः जागर्यात् / चकासृ दीप्तौ // 32 / / सो धि वा लुक् / चकाधि चकाद्धि अचकात् / / 33 / / सेः स्द्धाश्च रूर्वा / Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ व्यञ्जनात्, चाल्लुक, अचकाः अचकाद्वा / शासू अनु. शिष्टौ, शास्ति // 34 // इसासः शासोऽव्यञ्जने किति / शिष्टः शासति / // 35 // शासस्हनः शाध्येधिजहि / हिना, शाधि अशिषत् / वच भाषणे, अवक अवोचत् ऊचतुः / विद् ज्ञाने, वेत्ति / / 36 // समो गमृच्छिप्रच्छिश्रुवित्स्वरयत्तिश आत्मने // 37 // वेत्तेर्नवाऽऽऽत्मनेऽन्तो रत् / संविद्रते संविदते / / 38 // तिवां णवः परस्मै वेत्तेर्वा विवेद // 39 // पञ्चम्याः कृग्वाऽऽम् कित् वेत्तेः // 40 // वेत्तेः किदाम् / विदांकरोतु वेत्तु अवेद् अवेः / हन हिंसागत्योः // 41 / / यमिरमिनमिगमिहमिमनिवनतितनादेधुटि / किति लुक्, हतः घ्नन्ति / // 42 / / हनो रादे! णः / प्रहति // 43 // वमि वा / प्रहण्मि प्रहन्मि // 44 // त्रिवि घन् / जघान जघ्नतुः // 45 / / हनो वध आशिष्यो / वध्यात् / / 46 / / अद्यतन्यां वा त्वात्मने / अवधीत् / अस भुवि // 47 // श्नास्त्योर्लुक् / शित्यविति, स्तः // 48 // अस्ते. सि सलुक् हस्त्वेति / असि आसित् आसन् // 48 / / अस्तिबुवो वचावशिति / बभूव / अङ्लुप अदादौ // इति अदादिः // 8 // इति परस्मैपदं // 1 // Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 93 // 2 // अथात्मनेपदि // इङ अध्ययने, अधीयाते अध्यैष्ट // 1 // वाऽद्यतनीक्रियातिपत्त्योर्गीङ् इङः / अध्यगीष्ट // 2 // गाः परोक्षायाम् इङ / अधिजगे, शीङ् स्वप्नो / शीङ ए: शिति, शेते // 3 // शीङो रदन्तः / शेरते / षूङ प्रसवे, सुवाते // 4 // सूतेः पञ्चम्यां न गुणः / सुवै, इडि स्तुतौ, इट्टे / / 5 / / ईशिडः सेध्वेस्वध्वमोरादिरिट् / इडिषे, ईरि गतिकम्पनयोः, ईर्ते / ईशि एश्वर्ये, ईशिध्वम् / आङ शासूङ् इच्छायाम, आशा स्महे / आसि उपवेशने / चक्षि व्यक्तोक्तौ / // 6 // चक्षो वाचि क्शांग ख्यांगशिति / चक्शे ख्यासीट // इत्यात्मने पदं / / 2 / / // 3 // अथोभयपदि // ऊर्जुग आच्छादने / / 1 / / वोोयञ्जनादौ विति औः ऊणाति ऊोति / / / / न दिस्योः / और्णोत् // 3 // स्वरादेद्वितीयः / एकस्वरोऽशो द्विः // 4 // न बदनं / संयोगादि द्विः // 5 // अयि रो न द्विः ऊर्णनाव / 6 / वोर्णोरिड् द्वित् / ऊर्गुनुविथ ऊर्णनविथि / / 7 // वोर्तुगः / सेटि सिचि वृद्धिः, और्णावीत् और्णवीत् / ब्रूग व्यक्तोक्तौ / / 8 / / ब्रूतेः परादिळजनादौ / वितीत् ब्रवीति / / 9 / / बूग: पञ्चानाम् / तिवां पञ्च णव Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आहश्च, आहुः आत्थ / द्विषी अप्रीतौ / दुही क्षरणे, धोक्ष्यति / दिही लेपे / लिही आस्वदने, लेढि / ष्टुग स्तुतौ // 10 // उपसर्गात्सुगसुवसोस्तुस्तुभोऽटघप्यद्वित्वे षः / अभ्यष्टौत् / इत्युभयपदं // 3 // // 2 // अदादौह्वादयः // हु दानादनयोः / / 1 // हवः शिति द्विः / जुहोति जु ह्वति जुहुधि // 2 // पुस्पौ गुणः / अजुहवुः अहौषीत् / 3 / भीहीभृहोस्तित्वद्वाम / जुहवांचकार जुहाव ओहाक त्यागे // 4 // हाकः शित्यविति व्यञ्जने इर्वा / जहित. जहीतः जहति // 5 // यि लुक शिति हाकः, जह्यात // 6 // आ च हौ चादिदीतौ, जहाहि जहीहि जहिहि अजहुः हेयात् / जिभी भये, बिभेति // 7 // भियो नवा। शित्यविति व्यञ्जने इ., बिभितः बिभीतः बिभयांचकार बिभाय / ही लज्जायां, जिह्नति जिह्नीतः जिह्नियति / पृ पालनपूरणयोः / ___8 // पृभूमाहाङामिः / शिति पूर्वस्य, पिपत्ति / // 9 // ओष्ठ्यादुर ऋतः / किति उपान्त्यस्यापि, पिपूर्तः पिप्रति पूर्यात् / ऋ गतौ, प्रित्यादिना इयत्ति इति परस्मैपदं // अदादौ परस्मैपदं // . ____ ओहाङ् गती, जिहीते / माङ् माने, मिमीते मिमते ममे // इत्यात्मनेपदं // Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ डुदाग दाने, ददाति दत्तः दद्यात् / / 1 // हौ द एन च द्वि. / देहि अदात् अदित / डुधाग धारणे च, धागस्तथोश्चस्घ्वोर्दः धत्तः दधति धदध्वम् / डुभृग् भरणपोषणयोः, बिति बिभरांचकार बभार // 2 // ऋवर्णयुटुंगः कितो नेट् / बभृषे // इति ह्वादिगणः // इति अदादयः कितः // 2 // // 3 // दिवादिगणः // दिवू क्रीडाजयेच्छापणिद्युतिस्तुतिगतिषु // 1 // दिवादेः / श्यः / / 2 / / भ्यादेरिति . दीव्यति / जुष झुष् जरसि, जीर्यति अजरत्, अजारीत जेरतुः जजरतुः जीर्यात् जरिता जरीता / शो तक्षणे // 3 // ओतः / श्ये लुक्, श्यति अशात् अशासीत् / दो छो छेदने / षो अन्तकर्माणि / वृतै नर्तने // 4 // कृतचूतनृतकृततृदोऽसिचः सादेर्वाऽशितीट्, नतिष्यति नय॑ति / व्यध ताडने / // 5 // ज्याव्यधः किडति म्वत् / विध्यति विविधतुः अव्यात्सीत् / षिवू ऊतौ, निषीव्यति / ष्ठिवू निरसने, ष्टीव्यति / त्रसै भये, सतुः तत्रसतुः / पुष पुष्टौ, अपुषत् पोष्टा / क्षुध बुभुक्षायां / शुध बुद्धौ / क्रुध कोपे / षिधू सिद्धौ, असैत्सीत् / गृधू गायें / तृषौ प्रीतौ / दृपौ हर्षमोचनयोः, अदासीत् Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अपत् / लुभ गायें / क्षुभ चलने / नशौ अदर्शने / // 6 // नशो धुटि / स्वरान्नोऽन्तः / . // 7 // नशः शः / शान्तनशो रादे! णः, प्रणश्यति // 8 // नशेर्नेश् वाऽङि / अनेशत् अनशत् / भ्रंशू अधःपतने, भ्रश्यति अभ्रंशोत बभ्रंशतुः / शुप शोषे, शोष्टा / दुष वैकृत्यै / श्लिष आलिंगने // 9 / / श्लिषोऽनिटोऽद्यतन्यां सन , अश्लिक्षत , नासत्त्वाश्लेषे। मितृष पिपासायां / तुष तोषे / रुष रोषे / असू क्षेपणे, अस्थत् / यसू प्रयत्ने / शमू दमू उपशमे / // 10 // शमसप्तकस्य दोघः श्ये / शाम्यति / श्रम खेदतपसोः / क्लमू ग्लानौ / मुहौ मोहे / द्रुहौ द्रोहे / ष्णिहौ प्रीतौ // इति पुषादयः // इति परस्मैपदं // षूङो प्राणिप्रसवे, सूयते सुषुविषे / दूङ् परीतापे / दीङ क्षये, अदास्त // 1 // दीय दीङः / किति खरे, दिदीये // 2 // यबङ्किति / दीङ आः / दाता लीङ श्लेषणे, लीयते // 3 // लोलिनोर्वाऽऽयंबङिति / लाता / / इति स्वादिः / / पदि गतौ // 1 // जिच् ते पदेस्तलुक् च / उदपादि / बुधि मनि ज्ञाने, भोत्स्यते अबोधि अमत। जनै जातौ // 2 / / आ ज्ञाजनोऽत्यादौ / शिति, जायते Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जज्ञे // 3 / / न जनवधः / कृति णिति जौ च वृद्धिः, अजनि अजनिष्ट / दीपै दीप्तौ, अदीपि / क्लिशिङ् उपतापे / इत्यात्मनेपदं // ___शकी मर्षणे / शुचुगै पूतीभावे / रञ्जी रागे / शपी आकोशे / मृषी तितिक्षायां / णही बन्धने, नह्यते अनात्सीत् // इति दिवादिगणश्चित् // 3 // // 4 // स्वादयः // षुग् पीडास्नानयोः // 1 / / स्वादेः श्नुः / शिति, निषुणोति // 2 // वम्यविति वा / असंयोगादो क , निषुणुवः निषुण्वः / 3 / सुगः स्यसनि / न षः, निसोष्यति असावीत् / डुमिग प्रक्षेपणे // 4 // मिसीगोऽखल चलि / यबङ्किति आः, अमासीत् / चिग चयने // 5 // चेः किर्वा सन्परोक्षयोः / चिकाय चिचाय चिक्ये / धूग कम्पे, अधावीत् / स्तृग आच्छादने // 6 // इट् सिजाशिषोरात्मने / संयोगादेः ऋतो वादिरिट , स्तरिषीष्ट / ऋवर्णादविटौ सिजाशिषावात्मने कित् , स्तृषीष्ट / कृग् हिंसायां / वृग बरणे // इत्युभयपदं / / हि गतिवृद्धयोः, प्रहिणोत / अडे हिहनो हो घः पूर्वात , जिघाय / श्रु श्रवणे, शृणोति / टुदु उपतापे / पृ प्रीतौ / स्मृ पालने च / शक्ल शक्ती आप्ल व्याप्तौ, आप्नुवन्ति आप्नुहि आपत् / कृवु Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 98 हिंसाकरणयोः, कृणोति / धिवु गतौ, धिनोति / / इति परस्मैपदं // ____ अशौङ् व्याप्तौ, आक्षीत् आनशे // इति स्वा. दयष्टितः // 4 // // 5 // तुदादयः // तुदी व्यथने // 1 // तुदादेः शः / शिति, तुदति / भ्रस्जी पाके // 2 // ग्रहवृश्चभ्रस्जप्रच्छः / क्ङिति वृत , भृजति // 3 // भृजो भ वाऽ / शिति, बभर्ज बभ्रज बभर्छ भृज्ज्यात भी / क्षिपी प्रेरणे, अक्षैप्सीत् / मिल संगमे / मुच्ल मोक्षे / / 4 // मुचादितृफहफगुफशुभोभः शे / नोऽन्तः स्वरात्, मुञ्चति अमुचत् / षिची क्षरणे / विदल लाभे, विन्दति / लुप्ल छेदे / लिपी उपचये, लिम्पति / / इत्युभयपदं / / - कृत छेदने, कृन्तति कतिष्यति कर्त्यति / खिद खेदे, खेत्ता // इति मुचादिः / / ... मृ प्राणत्यागे // 1 // म्रियतेरद्यतन्याशिषि चात्मनेपदं / चाच्छिति, म्रियते ममरतुः अमृत मृषीष्ट / क क्षेपे / // 2 // किरो लवने / उपात् स्सडादिः // 3 // प्रतेश्च बधे // 4 / / अपाश्चतुष्पादपक्षिशुनि हृष्टानाश्रयार्थे / 5 / अपस्किरः / आत्मने, अपस्किरते चकरतु: अकारीत् / गृ निगिरणे // 6 // नवास्वरें। ग्रो रो ल:, Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गिलति गीर्यात् / लिख अक्षरन्यासे / त्वच संवरणे / ओव्रश्चौ छेदने, वृश्यात् / ऋच्छ इन्द्रियप्रलयमूर्तिभावयोः, आनर्छ / विच्छ गतौ, विच्छायेत् / प्रच्छ प्रश्ने, पृच्छति // 7 // अनुनासिके च छ्वः शूट / चात् धुडादौ, अप्राक्षीत् पप्रच्छ प्रटा / उच्छै समाप्तौ / म्लिच्छ उत्क्लेशे / उच्छु उञ्छे / सृज विसर्गे, सजिथ सस्रष्ठ अस्राक्षीत् / टुमस्जो शुद्धौ / // 8 // मस्जेः सो नो धुटि, ममथ / मुण प्रतिज्ञाने वृतै हिंसाग्रन्थयोः, चतिष्यति चय॑ति / नुद प्रेरणे, अनौत्सीत् / तृफ हॅफ गुप्तौ, तृम्फति / स्पृश स्पर्श, स्प्रक्ष्यति स्पयति / विश प्रवेशे / मृश विचारे, अमाीत् अमृक्षत् / इष इच्छायां, इच्छति एषिता एष्टा / कुट कौटिल्ये / कुटादेङिद्वदञ्णित्, चुकुटिथ / गु पुरीषोत्सर्गे / धु गतिस्थैर्ययोः। णू स्तवने / चुट छुट त्रुट छेदने / स्फुर स्फुरणे // 9 // निर्नेः स्फुरस्फुलोः षो वा, नि:ष्फुरति / / 10 // वेर्वा / विप्फुलति / इति परस्मैपदं / इति कुटादयः / / ___ पृङ व्यायामे, व्याप्रियते / दृङ आदरे, आदतें / प्वञ्ज सङ्गे // 11 // स्वञ्जश्वोपसर्गनाम्यादेः षो द्वित्वे. ऽटयपि परोक्षायां त्वादेः, अभिषस्वजे // 11 // स्वजेनवाऽवित्परोक्षा कित्, अभिषस्वजे / इत्यात्मनेपदं, Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ इति तुदादयस्तितः // 5 // . रुधृग् आवरणे // 1 // रुधां स्वराच्छ्नो नलुक च / रुणद्धि रुन्द्ध: रुन्द्धे अरुणत अरौत्सीत् / विचग पृथग्भावे / युजग् यीगे / भिदृग विदारणे / छिद्ग द्वैधीकरणे / ऊछुद्ग दीप्तिदेवनयोः / उतृदग् हिंसानादरयोः / / इत्युभयपदं।। भञ्जो भङ्गे, भनक्ति / भुज पालनाभ्यवहारयोः, भोक्ता / अञ्जो व्यक्तिम्रक्षणकान्तिगतिषु, आनक // 2 / / सिचोऽओरादिरिट् / आञ्जीत् शिष्ल विशेषणे, शिपिढ / पिटल पेषणे / हिसु हिंसायां // इति परस्मैपदं // खिदि दैन्ये विदि विचारणे / मिइन्धै दीप्तौ, समिधांचक्रे // इत्यात्मनेपदं / पित एते रुधादयः / / ___ तनूग विस्तारे, तनोति तनुते // 1 // तन्भ्यो वा तथासि न्णोश्च सिचो लुप न चेट, अतत अतनिष्ट / क्षणू क्षिणूग् हिंसायां, अक्षणीत् / घृणूग् दीप्तौ / षणूग दाने // 2 / / सनस्तत्रा वा। नलुकि, असात असत / / इत्युभयपदं // वनूङ याचने / मनूङ अवबोधे / इत्यात्मनेपदं / इति यितस्तनादयः / / // क्यादयः / / डुक्रीग क्रयणे // 1 // क्यादेः शिति श्ना, क्रीणाति क्रोणीते क्रीणते / प्रीग् तृप्तिकान्त्योः / मीग. हिंसायां, Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 101 अमास्त / षिग् बन्धने / ग्रही उपादाने, गृह्णाति, गृहीतः // 2 // व्यञ्जनाच्छ्नाहेरानः / गृहाण / / 3 / / गृह्णोऽपरोक्षायां दीर्घ इटः, ग्रहीता / पूग् पवने // 4 // प्वादेह स्वः शित्यत्यादौ, पुनाति / लूग् छेदने / धूग् कम्पे। स्तृग् आछादने / वृग् वरणे // इत्युभयपदं // ज्या वयोहानौ // 5 // दीर्घभवोऽन्त्यं य्वत जीनाति / ली श्लेषणे / श हिंसायां // 6 // ऋ शवप्रः परोक्षायां वा, शशरतु शश्रतुः / पृ पालनपूरणयोः / दृ विदारणे / म शब्दे / इति प्वादिः / ज्ञा ज्ञाने, जानाति / मन्थ विलोडने / ग्रन्थ संदर्भे / बन्ध बन्धने / अश. भोजने / मुष स्तेये / पुष पुष्टौ / / इति परस्मैपदं // वृङ्ग संभक्तौ // इत्यात्मनेपदं // इति ज्यादयः शितः / चुर स्तये // 1 // चुरादिभ्यो णिच् / चोरयति, णीत्यादिनां डे // 2 // उपान्त्यस्यासमानलोपिशास्वदितो डे णौ हृस्वः, अचूचुरत् // 3 // आमन्ताल्वाय्येत्नावय णेः / चोरयामास, चोर्यात् चोरयिता। टकु बन्धने, टङ्कयति टङ्कति, अनित्यो णिच् / अर्क स्तवने, आर्किकत् पूज पुजायां / रुज हिंसायां / लुट स्तेये / घट्ट सञ्चलने / ओरडु उत्क्षेपे / पोड गहने / Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // 4 // भ्राजभासभाषदीपपोडजीवमीलकणरणवणभणश्रणहहेट लुटलुपलपा नवा / णावुपान्त्यस्य ह्रस्वः, अपिपीडत् अपीपिडत् / तड आघाते / खुडु भेदे / कडु खण्डने च / मडु भूषायां / श्रण दाने, अशश्राणत् अशिश्रणत् / चितु स्मृत्यां / कृत संशब्दने / कृतः कीर्ति: // 5 // ऋवर्णस्य डे वा / णावुपान्त्यस्य, अचीकृतत अचिकीर्ततं / प्रथ प्रख्याने // 6 // स्मृत्वरप्रथम्रदस्तृस्पृशेरः असमानलोपे डे णौ, अपप्रथत् / छद संवरणे / बुध हिंसायां / गर्ध गायें / बन्ध संयमने, अबीबधत् / व्यय क्षये / यत्रु सङ्कोचे। श्वभ्र गतौ / तिल स्नेहने / लक्ष * शौचे / तुल उन्माने / सान्त्व सामप्रयोगे / लुष हिंसायां / रुष रोषे / पुस अभिमर्दने / पक्षि परिग्रहे / लक्षी दर्शनाङ्कनयोः // इतोऽर्थविशेषेज्ञा मारणादिनियोजनेषु // 7 / / मारणतोषणनिशाने ज्ञश्च / णिच्यणिचि णौ ह्रस्वः, जिणम्परे तु वा दीर्घः // 8 // अत्तिरीब्लीह्रीक्नयिक्ष्माय्यातां / णौ पुरन्तः, ज्ञपयति अजिज्ञपत् / चर्च अध्ययने / नवगण्युक्ता . हिंसार्थाश्च स्वार्थे ण्यन्ताः / कृत अवकल्कने / अम रोगे / भूष अलङ्कारे / अर्ह पूजायां / मोक्ष असने / घुष Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - 103 विशब्दने, अविशब्दार्थस्य घुषेरनित्यो णिच्, जुघुषुः / वञ्चि प्रलम्भने / तजि संतर्जने / वस्ति गन्धि अर्दने / शम आलोचने / तन्त्रि कुटुम्बधारणे / मन्त्रि गुप्तभाषणे / स्पशि ग्रहणश्लेषणयोः, अपस्पशत / भत्सि संतर्जने अथ अदन्ता णिच्येव / अङ्क लक्षणे / / 9 / अतोऽशिति / लुक , अङ्कयति / आङ्किकत् / सुख दुःख तक्रियायां, अल्लुकः स्थानित्वात सुखयति / अघ पापकरणे / सभाज प्रीतिसेवनयोः / दण्ड निपातने / गण संख्याने // 10 // ई च गणों के / चादः, अजीगणत् अजगणत् / यथादर्शनमन्यत्राचीकथत् / कथ वाक्यप्रबन्धे / स्तन गर्ने / ध्वन शब्दे / भाम क्रोधे / साम सान्त्वने / सूत्र सूत्रचे / मूत्र प्रश्रवणे। कुमार क्रीडायाम् / कल संख्यानगत्योः / शोल उपधारणे / रस आस्वादनस्नेहनयोः / मह पूजायां / स्पृह ईप्सायां / / इति परस्मैपदं // मृगण अन्वेषणे। अर्थङ् याचने / संग्रामङ् युद्धे // इत्यात्मनेपदं / / युज संपर्चने // 11 // युजादेर्नवा / स्वार्थे णिच , योजयति योजति / प्रीग तर्पणे // 12 // धूरप्रीगोनः णौ / प्रीणयति / धूग कम्पने, धूनयति / मार्ग अन्वेषणे / अचि पूजायां / विद भाषणे / वद संदीपने / ईर Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ क्षेपे / धृष प्रसहने / गर्ह निन्दने // इति युजादिः / / इति चुरादयो णितः / // 13 // प्रयोक्तव्यापारे णिग् वा धातोः / कुर्वन्तं प्रयुक्ते इति कारयति अचीकरत् / भूड: प्राप्तौ णिङ्, भावयते // 14 // ओर्जान्तस्थापवर्गेऽवर्णे पूर्वस्ये: सनः / सन्वदिति अबीभवत्, जावयति अजीजवत अयीयवत् / // 15 // श्रुद्रुगुप्लुच्यो / अशिश्रवत् अशुश्रवत् अशशासत् // 16 // पाशाच्छासावेव्याह्वो योऽन्तो / णौ, पाययति ह्वाययति // 17 // णौ ङसनि हो / वृत् , अजूहवत् // 18 // श्वेर्वा / अशूशवत् अशिश्वयत्, आचिचत् अतत्वरत अपीपयत् / 19 / वा वेष्टचेष्टः / पूर्व स्यात्, अववेष्टत अविवेष्टत् / कण वण रण भण शब्दे, अचीकणत् अचकाणत्, असूषुपत् // 20 // णौ क्रीजीङः / आः क्रापयति / अर्थापयति / // 21 // सत्यार्थवेदस्याः / अध्यापयति अध्यापोपत् / / 22 / / णौ सन्डे वा इडो गाः / अध्यजीगपत् / सनि अधिजिगापयिष्यति अध्यापिपयिषति // 23 // तिष्ठतेरिः / उपान्त्यस्य, अतिष्ठित् // 24 // जिघ्रतेरिर्वा / अजिघ्रिपत अजिघ्रपत् // 25 // पातेलः / पालयति // 26 // लियो नोऽन्त स्नेहद्रवे // 27 // लो लः / स्नेहद्रवे, लालयति ल Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 105 लोड्लिनोऽर्चाभिभवे चाच्चाकर्तर्यपि / प्रलम्भे चात्. आलापयते // 29 // प्रलम्भेगृधिवञ्चर्णेरात्मने / गर्धयते // 30 // स्मिङः प्रयोक्तुः / स्वार्थे णिग आदात्मने च, विस्मापयते // 31 // बिभेतेर्भीष् च / भीषयते भाषयते // 32 // सिध्यतेरज्ञाने / आ:, साधयति // 33 // स्फायः स्फाव् / स्फावयति // 34 // शदेरगतौ शात् / शातयति // 35 // रुहः पो वा / रोपयति रोहयति // 36 / / ऊन् दुषो णौ / दूषयति // 37 // चित्ते वा / दूषयति दोषयति वा चित्तं / / 38 / / णौ मृगरमणे रञ्जनों लुक् / रजयति मृगः // 39 // चिस्फुरोर्नवाऽऽत् / चापयति चाययति स्फारयति स्फोरयति // 40 // घटादेह्रस्वो दीर्घस्तु निणम्परे / णौ वा, घटयति // 41 // कगेवनूजनेजष्क्नस्रञ्जः / कगयति जनयति // 42 // . 1 // 43 // अमोऽकम्यमिचमः / रमयति, कामयति // 44 // पर्यंपाभ्यां स्खदः / परिस्खदयति // 45 // शमोऽदर्शने णौ ह्रस्वो ज़िणम्परे तु वा दीर्घ, शमयति // 46 // ज्वलह्वलह्मलग्लास्नावनूवमनमोऽनुपसर्गस्य। वा. णौ ह्रस्वः, ज्वलयति नमयति नामयति // 47 // जिति घात् * हनः। घातयति // 48 / / णावज्ञाने गमुरिणिकोः / गमयति अध्यापयति // 49 // Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 106 णौ सन्डे वेडो गाः / अध्यजीगपत् अध्यापिपत् याययति / 50 / डे पिवः पीप्य् / अपीप्यत् // इतिणिगन्ताः // // 3 / / सन्नन्तप्रक्रियाः // ॥१॥तुमर्हादिच्छायांसलतत्सनः / भवितुमिच्छति // 2 // नामिनोऽनिट् सन् कित् // 3 // ग्रहगुहश्च सनो नादिरिट् / चादोः बुभूषति अबुभूषीत // 4 // रुदविदमुषग्रहस्वपप्रच्छ: सन् च कित्, चात्क्त्वा / उपान्त्ये नामिन्यनिट् सन् कित् जिघृक्षति / / 5 / / स्वपो णावुः पूर्वस्य, सुत्रापयिषति / सुषुप्सति / // 6 // ऋस्मिपूङ अशौकगृधृप्रच्छः सन आदिरिट, प्राग्वत् सनः / आत्मने, पिपविषते अरिरिषति चिकरिषति // 7 // स्वरहन्गमो धुटि सनि दीर्घः / विचीपति चिकीषति जिघांसति / // 8 // तनो वा / तितांसति तितंसति // 9 // सनीडश्न गमुरज्ञाने / चादिणिकोः / अधिजिगांसते जिगमिषति // 10 // इवृधभ्रस्जदम्भयर्णभरज्ञपिसनितनिपतिवद्दरिद्रः / सन आदिरिड् वा // 11 // अनुनासिके च च्छवः शूट, चात्क्त्वि धुटि प्रत्यये च, दुद्यूषति दिदेविषति // 12 // ऋध इत्त सि सनि वा। इहँति अदिधिषति बिभ्रक्षति बिभक्षति बिभ्रजिषति // 13 // दम्भो धिप धीप सि सनि, धिप्सति धीप्सति Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 107 / / 14 / / ज्ञप्याषो जीपीप, ज्ञीप्सति जिज्ञपयिषति / / 15 / / वौ व्यञ्जनादेः सन्वाय्वः / इदुदुपान्त्यादय्वन्ताद् ब्यञ्जनादेः सन् क्त्वा च किद्वा, दिद्युतिषते दिद्योतिषते // 16 // मिमीमादामित्स्वरस्य सि सनि, मित्सति दित्सति धित्सति // 17 // रभलभशकपतपदामिः / शिक्षति लिप्सति पित्सति // 18 // अव्या. प्यस्य मुचेर्मोग्वा / मोक्षते मुमुक्षते वा चैत्रः / / 19 / / स्मृदृशः सनः आत्मने / दिदृक्षते सूस्मूर्षते / / 20 / / सञ्जेर्वा षणि षः ण्यन्तस्य, सिषञ्जयिषति सिसनिषति जिजविषति शिश्रावयिषति प्राणिणिषति . जुगुप्सिषते / / इति सन्नन्तप्रक्रिया / / . . . // 1 // यङन्ताः // // 1 / / व्यञ्जनादेरेकस्वराद भृशाभीक्ष्ण्ये यङ वा / भृशं अतिशयेन वा भवतीति // 2 / / आगुणावन्यादेः / पूर्वस्य, बोभूयते // 3 // अतिसूत्रिमूत्रिसूच्यशूोर्यङ् / अरार्यते / (योऽशिति लुक् व्यञ्जनात्) अरारांचक्रे बेभिदिता मोमूत्रिषीष्ट और्णोनुविष्ट / / 4 / / गत्यर्थात् कुटिले // 5 // मुरतोऽनुनासिकस्य पूर्वस्य / चंक्रम्यते // 6 / / गलुपसदचरजपजभदंशदहो गये / / 7 / / ग्रो यङि रो ल: / जेगिल्यते लोलुप्यते 'सासद्यते // 8 // चरफलां पूर्वस्य मुरन्तः ॥९॥ति चोपान्त्यातोऽनोदुश्वरफलां / चाद् यङि, चञ्चूर्यते पम्फुल्यते Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 108 // 10 // जपजभदहदंशभञ्जपशो। मुरन्तः दन्दश्यते पम्पश्यते जञ्जप्यते // 11 // ईय॑ञ्जने गापास्थासादामाहाकोऽयपि / देदीयते तेष्ठीयते जेहीयते शोशूयते शेश्वीयते चेक्रीयते // 12 // न गृणाशुभरुचो यङ् // 13 // चाय कीः / चेकीयते // 14 // घ्राध्मोर्यडीः / जेघ्रीयते देध्मीयते // 15 // हनो घ्नीर्वधे / जेघ्नीयते // 16 // वञ्चत्रंसध्वंसभ्रंशकसपतपदस्कन्दोऽन्तो नीः / चनीस्कद्यते // 17 // ये नवा जनसनखनामा: जाजन्यते जञ्जन्यते / // 18 // ऋतो रोश्च्वियङ्यक्क्येषु / चेक्रीयते // 19 / / ऋमतां री: पूर्वस्य / नरीनृत्यते सोषुप्यते // 20 // क्ङिति यि शय् शीङः / शाशय्यते // 21 // व्येस्मोर्यङि वृत् / वेवीयते // इति यङन्ताः // // 1 // बहुलं लुप् यङ: / बोभूयते, बहुलं लुपि नात्मने, बोभोति बोभवीति बोभुवति अबोभुवीत् अबोभोत अबोभुवुः बोभवांचकार बोभविता / अपास्र्पद् अपास्पर्दु नानात्ति दादाद्धि अदादधुः अदादधीत् अचोस्कुन अचोस्कुन्दुः अचोकुर्दीत अचोकूः जङ्गन्ति जङ्गमीति / . // 2 // यमिरमिनमिगमिहनिम निवमतितनादे - टिक्ङिति लुक / जङ्गतः जङ्गमति जङ्गन्मि जङ्गहि Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अजङ्गमीत् जङ्घन्ति वध्यात् चंचूत्ति चलातः अचंखानीत् असास्वपीत् सासुप्यात् // 2 // रिरौ च / लुपि ऋमतश्चाद्रीः, ववृतीति वरिवृतीति वरीवृतीति वर्वत्ति अवत् अवर्वाः अवत्तीत् चरीत्ति चर्कत्ति चरिकत्ति अरिवृतः आरति अरियति आरारीत अरियारीत् जर्गृहीति जाग्रहीति पाप्रष्टि पाप्रच्छवः पाप्रश्मः / / 4 // मव्यविश्रिविज्वरित्वरेरुपान्त्येन सहोट् / अनुनासिके क्वौ धुटि क्ङिति च, मोमवीति / / 5 / / राल्लुक छ्वोः / तोतोति तोतूर्वति मोमोति // 6 / / अहन्पश्चमस्य / क्ङिति धुटि दीर्घः, शंशान्तः // इति यड्लुवन्ताः // . // 1 // द्वितीयायाः काम्य इच्छायां वा / इदं काम्यति स्वःकाम्यति // 2 // अमव्ययात्क्यन् च // 3 // क्यन्यवर्णस्येः / पुत्रमिच्छतीति पुत्रीयति गव्यति // 4 // नं क्ये नाम पदं / राजीयति राजीयांचकार दीव्यति कीयति // 5 // आपत्यस्य क्यच्च्योर्व्यञ्जनाद्यो लुक् / गार्गीयति कवीयति // 6 / / क्यो वा व्यञ्जनाल्लुक / समिधिता समिध्यिता // 7 / / क्षुत्तड़गायेऽशनायोदन्यधनायम् / अशनायति // 8 // वृषाश्वान्मथुने स्सोऽन्तः / वृषस्यति // 8 // अश्च लौल्ये / चात्स्सोऽन्तः, दधिस्यति दध्यस्यति // 10 // आधाराचोपमानादाचारे। चाद् द्वितीयायाः, पुत्रमिव प्रासाद Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ इव चाचरति पुत्रीयति प्रासादीयति च, शिष्यं कुटी चेत्यर्थः / अमव्ययेत्येवेति इदं काम्यति / ... - // 11 // कर्तुः क्विप् गल्भक्लीबहोडात्तु ङित् / उपमानादाचारे, राजेबाचरतीति राजानति होडते // 12 / / क्यङ कर्तुंरुपमानात् / हंसायते // 13 // सो वा / लुक्, पयायते पयस्यते // 14 / / ओजोऽप्सरसः सो लुक् / अप्सरायते कुमारायते पाचिकायते कवयति अमालासीत् // 15 // व्यर्थे , भृशादेः स्तोर्लुक् कर्तुं क्यङ् / भृशायते, उत्सुकचपलपण्डितद्रभद्राः, दुर्मनायते वेहायते उदमनायत औढीयत // 16 / / डाच् लोहितादिभ्यः / षिक्यङ् च्च्यर्थे, लोहितायते, अलोहितं लोहितं भवतीत्यर्थः, चर्महर्षगर्वनिद्राकरुणाः / - // 17 // क्यफोनवाऽऽत्मने / सुखायति सुखायते // 18 // कष्टकक्षकृच्छ्रसत्रगहनाय पापे क्रमणे क्यङ् / कृच्छ्रायते // 19 // सुखादेरनुभवे / सुखायते, अलीक कृपण // 20 // शब्दादेः कृतौ वा / शब्दं करोतीति शब्दायते, वैरकलहवेगयुद्धमेघाः // 21 // तपसः क्यन् / तपस्यति // 22 / / नमोवरिवश्चित्रकोऽर्चासेवाश्चर्ये // 23 // चीवरात्परिधानार्जने / णिङ्, परिचीवरयते // 24 // णिज्बहुलं नाम्न कृमादिषु // 25 / / त्र्यन्त्यस्वरादेर्लुक् गीष्ठेयसौ / तिलकयति त्रिलोकीम् / Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पटयति दवयति त्वापयति समीचयति प्रशस्ययति // 26 // वताद्भुजितन्निवृत्त्योः / व्रतयति सत्यापयति // 27 / / श्वेताश्वाश्वतरगालोडिताह्वरकस्याश्वतरेतकलुक् श्वेतयति अश्वयति गालोडयति आह्वरयति // इति नामधातवः // .. . // 1 // धातोः कण्ड्वादेर्यक् / कण्डूयति कण्डूयते कण्डूयांचकार महीङ् पूजायां / मन्तु अपराधे, मन्तूयति / वल्गु माधुर्ये / तिरस् अन्तौ / भिष्णुक उपसेवायां // 2 // कण्डवावस्तृतीयोऽशो द्विः / कण्डूयियिषति / / इति कण्डवादयः // // 1 // क्रियाव्यतिहारेऽगतिहिंसाशब्दार्थहसो हबहश्चान्योऽन्यार्थे / कर्तर्यात्मने, व्यतिपुनते व्यतिहरन्ते भारं व्यतिस्ते व्यतिषीत // .. // 1 // निविशः कर्तर्यात्मने / न्यविशत // 2 // उपसर्गादस्योहो वा / उदस्यति उदस्यते / उपसर्गाहो ह्रस्वः, पर्युहति पर्युहते // 3 // उत्स्वराधुजेरयज्ञतत्पात्रे। उद्युङ्क्ते नियुक्ते // 4 // परिव्यवास्त्रियः / विक्रीणीते // 5 // परावेर्जेः / पराजयते. विजयते // 6 / / उदश्वरः साप्यात् / गुरुवचनमुच्चरते // 7 // क्रीडोऽकूजने / संक्रीडते // 8 // भूनजोऽत्राणे / भुंक्ते ओदनं // 9 // हगो गतताच्छील्ये / पैतृकमनुहरन्तेऽश्वाः // 10 // Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 112 पूजाचार्यकभृत्युत्क्षेपज्ञानविगणनव्यये नियः / नयते स्याद्वादे, उपनयते माणवकं कर्मकरान् शिशुं तत्त्वार्थे वा, विनयते ऋणं शतं वा / // 11 // कर्तृस्थामूर्ताप्यात् / / 12 / / वृत्तिसर्गतायने / / 13 / / परोपात् वृत्त्यादौ // 14 // वेः स्वार्थे / / 15 // प्रोपादारम्भे / क्रमः / उपक्रमते, अंगीकरणेऽपि / / 16 / / नुप्रच्छ / आङः / आनुते // 17 / / गमेः क्षान्तौ / आगमयस्व // 18 // यम; स्वीकारे / / 19 / / वा स्वीकृतौ / यमः सिजनिट कित्,. उपायत उपायस्त महास्त्राणि // 20 // देवा मैत्रीसंगमपथिकर्तृकमन्त्रकरणे स्थ उपात् / उपतिष्ठते जिनेन्द्रं ऐंकारेण च वाणीं / // 21 // संविप्रावात् / प्रतिष्ठते // 22 / / जीप्सास्थेये / संशय्याभये तिष्ठते श्रेणिकः // 23 // समो गिरः प्रतिज्ञायां / संगिरते स्याद्वादं // 24 // अवात् // 25 // निह्नवे ज्ञः / शतमपजानीते // 26 // श्रुवोऽनाङ् प्रतेः / शुश्रूषते // 27 // गमो वात्मनेऽनिटिसजाज्ञिषौ / कित् / समगत समगस्त // 28 // हनः सिच / अनिट् कित्, आहत // 29 // अणिकर्मणिकर्तृकाण्णिगोऽस्मृतौ / आरोहयते हस्ती हस्तिपकान् / // 30 // वदोऽपात् / अपवदते / / इत्यात्मनेपदप्रक्रिया / / Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // 1 // परानोः कृगः / परस्मै, अनुकरोति // 2 // प्रत्यभ्यतेः क्षिपः // 3 // प्राद्वहः // 4 // परेम॒षश्च // 5 // वोपाद्रमः // 6 // चल्याहारार्थेबुधयुध द्रुखुनशजनो णिगः / अध्यापयति / / इति परस्मैपदप्रक्रिया / / .. // 1 // क्यः शिति भावकर्मणोः / / 2 / / तत्साप्यानाप्यात्कर्मभावेकृत्यक्तखलाश्च / आत्मने, क्रियते कटः, अभिहितत्वान्नाम्नः प्रथमा, भावे प्रथमत्रिकमेकवचनं च, बभूवे // 3 // स्वरग्रहशहन्भ्यःस्यसिजाशी:श्वस्तन्यां / बिड् वा भाविता भविता // 4 // भावकर्मणोरद्यतन्यां जिव तलुक् / च, अभावि, बुभूष्यते बोभूय्यते स्तूयते स्मर्यते संस्क्रियते / // 5 // तनः क्ये वाऽऽत् / तायते तन्यते, इज्यते जायते धीयते // 6 // आत ऐः कृौ / णिति / अधायि अधायिषाताम्, अधायिषत दायिषीष्ट अघानि अवधि वधिषीष्ट गृह्यते शम्यते // 7 // मोऽकमियमिरमिनमिवमाचमो / णिति कृति जौ च न वृद्धिः, अशमि अकामि // 8 // भजेर्वा नलुक् / जौ, अभाजि अभजि // // जिरुणमोर्वा लभः / स्वरान्नोन्त: अलाभि अलम्भि // इति भावकर्मप्रक्रिया / / दुहिभिक्षिरुधिप्रच्छिचिगब्रूगशास्वर्थयाचिजेः गोपे कर्मणि नीवहक्षेम॒ख्ये विभक्तयः / सौकर्यादविवक्षिते Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 114 कर्तृव्यापारेऽकर्मकः // 1 // एकधातौकर्मक्रिययकाकर्मकिये (कर्मकर्त्तरिरूपे) गिक्यात्मनेपदानि, क्रियते कटः स्वयम् / / 1 // न कर्मणा मिच् योगे / अदुग्ध गौः पयः स्वयम् // 3 // स्वरदुहो वा / त्रिच्, अकृताकारि वा कटः, अदुग्धादोहि वा स्वयं गौः // 4 // णिस्नुश्यात्मनेपदाकर्मकात् / त्रिच न, पचन्तं प्रायुंक्तत्यपीपचत् प्रास्नाविष्ट, करणक्रियया क्वचित् ञ्यादीनि, परिवारयन्ते कण्टकाः स्वयं 'वक्षं // इति कर्मकर्त्तरिप्रकिया // // 1 // अयदिस्मृत्यर्थे भविष्यन्ती / भूतानद्यतने, स्मरसि साधो ! स्वर्गे स्थास्यामः // // हशश्वद्युगान्तःपृच्छये / ह्यस्तनी परोक्षा च, अगच्छत् जगाम वा किं // 2 // वाऽद्यतनी पुरादौ / अवात्सुरवसन् ऊषुर्वा पुरा छात्राः // 4 // स्मे च वर्तमाना / चात्पुरादावुपपदे, पुरा वसन्ति पृच्छति स्म / / 5 // पुरायावतोवर्तमाना / वय॑ति, पुरा भुंक्ते // 6 // कदाकोनवा / कदा भुक्ते भोक्ष्यते वा // // पञ्चम्यर्थहेतो वा / आगच्छति सूरिरनुयोगमादत्स्व / / 10 / / सत्सामीप्ये सद्वद्वा / भूते भविष्यति च, अयमागच्छामि // 9 // संभावने / साध्यासिद्धावपि, समये चेत्प्रयत्नोऽभूदुद्भवन् विभूतयः / / 10 // भूतक्रियातिपतौ / सप्तम्यर्थे Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 115 . क्रियात्तिपत्ति., दृष्टोऽभवष्यदभोक्ष्यत // 11 // क्षेपेऽपिजानोर्वर्तमाना / अपि जन्तून् हिनस्ति धिग् गर्दामहे / / 12 / / कमि सप्तमी च बा / क्षेपे, कथं मांस भक्षयेत् भक्षयति वा धिगन्याय्यमेतत् / .. // 13 / / अश्रद्धामर्षेऽन्यत्रापि / न संभावयामि तत्रभवानदत्तं गृह्णीयाद्ग्रहीष्यति वा / / 14 / जातुयद्यदायदौ सप्तम्यश्रद्धामर्षे // 15 / / क्षेपे च यच्च यत्र / / 16 / / सप्तम्यताप्योर्बाढे // 17 / / सतीच्छार्थाद् / अपि संयतः सन्नकल्प्यमिच्छेत् // 18 // इच्छार्थसप्तमीपञ्चम्यौ / तपस्यतु तपस्येद्वा भवानितीच्छामि / // 19 // स्मे पञ्चमी प्रैषानुज्ञावसरे / औज़मौहुत्तिके, उपरि मुहूर्तस्य करोतु स्मकटं // 20 // अधीष्टौ स्मे / रक्ष स्मानुव्रतानि // 21 // शक्ता] कृत्याश्च / चात्सप्तमी, वहेच्छेदसूत्रं भवान् वाह्यं भवता वा 3 // 22 // मायद्यतनी / मा च भूत्कोऽपि दुःखितः // 23 // सस्मे शस्तनी च / करोन्मा स्म वधं, मा. कार्षीरहांसि // 23 // धातोः सम्बन्धे प्रत्ययाः / गोमानासीत् // 25 // भृशाभीक्षण्ये हिस्वौ यथाविधि तध्वमौ च तद्युष्मदि / अधीष्वाधीष्वेत्भेवायमधीते 1 // 26 // प्रचये नवा / अधीष्वेत्यधीध्वे / / इति विभक्तिव्यवस्था / इत्याख्याप्रकरणम् // . Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 116 // 18 // अथ कृदन्तप्रकरणम् / / // 1 // आतुमोऽत्यादि कृत् // 2 / / कर्तरि कृत् / विशेषमन्तरा // 3 / / बहुलं / उक्तैऽन्यत्रापि कृत्. मोहनीयं दानीयः // 4 // व्याप्ये धुरकलिमक पच्यं / कर्तरि, भिदुरा भिदेलिमाः कृटपच्या वा शालयः // 5 // श्लिष्शीस्थासक्सजनरुहज़भजे: क्तः / कर्त्तरि वा, श्लिष्टः शयितः स्थित: रूढः / / 6 / / ऋल्वादेरेषां तो नोऽत्रः / // 7 // स्वरात्कृतो नो णः / जीर्णः // 8 // आरम्भे। यः क्तः सोऽप्यत्र, प्रकृतः कटं // 9 // गत्वाकर्मकपिबभुजे. / यातास्ते, पठितो भवान्, पय: पीता, अन्नं भुक्ताः // 10 // अद्यर्थाचाधारे / चाद्गत्यर्थादेः, इदं तेषां यातं, इदं तेषां जग्धं / / 11 // क्त्वातुमम्भावे / सोऽप्यत्र // 12 // भीमादयोऽपादाने / / 13 / / संप्रदानाञ्चान्यत्रोणादयः / चादपादानात् / / 14 // ऋवर्णव्यञ्जनाद् / ध्यण, कार्यं // 15 // तनिटश्चजोः कगौ / घिति, पाक्यं // 16 // उवर्णादावश्यके / लाव्यं // 17 // ध्याण्यावश्यके न / कगौ / / 18 / / निप्राधुजः शक्ये / नियोज्यः // 19 // णिन् चावश्यकाधमये / चात्कृत्याः, अवश्यंकारी शतंदायी गेयः / // 20 // आसुयुवपिरपिलपित्रपिडिपिदभिचम्यानमो Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ध्यण / याव्य आनाम्यं // 21 // त्यजयजप्रवंचो न कगौ / घ्यणि, त्याज्यं याज्यं प्रवाच्यं // 22 // न्यङ्कुद्ममेघादयो / निपातात् 1123 // तव्यानीयौ / शयितव्यं शयनीयं // 24 // य एञ्चातः / अनतः स्वराद्यःआतश्चैत्, देयं जेयं // 25 / / शकितकिचतियतिशसिसहियजिभजिपवर्गाद्यः / शक्यं शस्यं तप्यं गम्यं याज्यं भाज्यं चापि // 26 // यममदगदोऽनुपसर्गात् / गद्यं // 27 // क्षय्यजय्यौ शक्तौ // 28 // क्रय्यः क्रयार्थे // 29 // वोपसर्यावधपण्यमुपेयर्तुमतोगीविक्रेये / 30 / हवृरस्तुजुषेतिशास: क्यप् / / 31 / / ह्रस्वस्य नः पित्कृति / आइत्यः अधीत्यः शिष्यः // 32 // ऋदुपान्त्यादकृपिचुदृच / वृत्यं // 33 // कृवृषिमृजिशंसिगुहिदुहिजपो वा। शस्यं गुह्यं जप्यं / / 34 // ध्यणाद्याश्च कृत्याः / // 35 // णकतचौ कर्तरि / पाचकः पक्ता // 36 // अच् धातोः / पठः // 37 // नेवाजेौं / वेता अजिता // 38 // अर्हे तृच / वोढा पदस्य, कारकः जनक: घातकः दायकः // 39 // लिहादिभ्योऽच् / लेहः शेषा सेवा मेधा भरा कन्या। ब्रुवः // 40 / / नन्धादिभ्योऽनः / नन्दनः मदनः दूषणः साधनः शोभनः रमण: कर्त्तन: तफ्नः दहनः यवनः पवनः द्धमनः सूदनः नाशनः भीषणः। // 41 // ग्रहादिभ्यो णिन / ग्राही स्थायी उत्साही Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 118 निश्रावी शायी रक्षी वादी वासो . . / / 42 / / नाम्युपान्त्यप्रीकृगज्ञः कः / बुधः प्रियः गिर: ज्ञः, ज्ञाता // 43 // उपसर्गादातोडोऽश्यः / प्रज्य: सुरः / / 44 / / व्याघ्राने प्राणिनसोः // 45 // घ्राध्मापाट्धेदृशः शः / जिघ्र पिब: पश्य: उद्धयी // 46 / / वा ज्वलादिदुनीभूग्रहास्रोर्णः / दव: दाव: अस्रवः // 47 // तन्व्यधीणश्वसातः / तानः व्याध: आय: श्वासः म्लायः // 48 // नत्खन्रञ्जः शिल्पिन्यक / नर्तकः खनकः / / // 49 // अकधिनोश्च रञ्जनलुक् / रजकः / गस्थक., गाथकः / टनण, गायन: / हः कालवीह्योः, हायनः // 50 // तिक्कृतौ / नाम्नि आशिषि, शान्तिः वर्धमानः // 51 // न तिकि / दीर्घश्च, चात् लुक ग मां, यन्तिः // 52 // तौ नस्तिकि / लुगात्त्वे, सतिः साति: सन्तिः / // 53 / / कर्मणोऽण् / व्याप्याद्धातोरण, सूत्रधारः 154 / / शीलिकामिभक्ष्याचरीक्षिक्षमो णः / बहुक्षमा / / 55 // सुराशोधौ पिबष्टक / सुरापी // 56 // आतो डोऽहावामः / कर्मणः, पाणित्रं // 57 // समः / ख्यः, गोसंख्यः // 58 // दश्चाङः / प्रियाख्यः // 59 // प्राज्ज्ञश्च / चाद् दश्चडः, पथिप्रज्ञः प्रपाप्रदः स्तनप्रधायः // 60 // संपूर्वाद् घटिहनेरण / संघाट: संघात: // 61 // कुमारशीर्षाण्णिन् / कुमारघाती // 62 // Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 119 अचित्ते टक् / वातघ्नं // 63 / / जायापतेचिह्नवति / जायाघ्नः पतिघ्नी // 64 // ब्रह्मादिभ्य / ब्रह्मघ्नः कृतघ्नः गोघ्नोऽतिथिः // 65 / / पाणिघताडयौ शिल्पिनि / 66 / कुक्ष्यामोदराभृगः / खिः खित्यनव्ययस्यारुषो मश्चान्तः, कुक्षिम्भरिः आत्मम्भरिः // 67 / / अर्होऽच् / पूजार्हा // 68 // धनुर्दण्डत्सरुलाङ्गलाङ्कुष्टिशक्तितोमरघटाद्ग्रहः / घटीग्रहः // 69 // आयुधादिभ्यो धृगोऽदण्डादेः / चक्रधरः // 70 // रजःफलेमलाद्ग्रहः / फलनेहिः / 71 // किंयत्तबहोरः कृगः / बहुकरः // 72 // संख्याहदिवाविभानिशाप्रभाभाश्चित्रकर्नाद्यन्तानन्तकारबहरुर्धनुर्नान्दोलिपिलिविबलिभक्तिक्षेत्रजङ्घाक्षपाक्षणदारजनिदोषादिनदिवसाट्टः / कृगः / संख्याकरः त्रिकरः / / 73 // हेतुतच्छीलानुकूलेऽशब्दादेः / तीर्थकरः, शब्दकारः वरकारः, कर्मकरः क्षेमप्रियमद्र भद्रात्खाण / क्षेमङ्करः क्षेमकारः, योगक्षेमकरी // 74 / / मेतिभयाभयात्खः / मेघङ्करः अभयङ्करः // 75 // प्रियवशाद्वदः / प्रियंवदः // 76 // कूलाभ्रकरोषात्कपः / अभ्रंकषः / / 77 / / सर्वात्सहश्च / चात्कषः, सर्वसहा // 78 // मन्याण्णिन् / पण्डितं मन्यते बन्धुमिति पण्डितमानी // 79 // कर्तुः खश् / कर्मणः कर्तुः खश, Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आत्मानं पण्डितं मन्यते पण्डितंमन्यः पण्डितमानी च // 8 // बहुविध्वरुस्तिलात्तुदः / अरुन्तुदः / / 8 / / नग्नपलितप्रियान्धस्थूलसुभगाढयतदन्तात् च्वेयर्थेऽच्येवः खिष्णुखुकञ् / आढयंभविष्णु: आढयंभावुकः 82 कृगः खनट् / करणे च्च्यर्थेऽच्वेः, अन्धंक रणं / 83 // नाम्नो गमः खड्डौ च / चात्खः तुरङ्गः तुरगः तुरङ्गमः // 84 / / पाादिभ्यः शीडोऽत् / पार्श्वशयः / / 85 / / चरेष्टः / कुरुचरो // 86 // पुरोऽग्रतोग्रेसर्तेः / अग्रेसरः / / 87 / / स्थापास्नात्रः कः / शमस्थः / 886. दुहेर्दुघः / कामदुधा // 89 // भजोविण / अधं भजतीति अर्धभाक् / // 90 / / मन्वन्क्वनिवित् / क्वचित् शर्म // 91 // वन्याङ् पञ्चमस्य / विजावा पीवरी कृत्वा शुभया: / / 921 // क्विप् / धातोः, पा: वाः कीः // 93 // क्वौ इस् आसः शासः / मित्रशी: // 14 // आङ: / आशीः // 95 / / गमां क्वौ लुक् / जनगत् // 96 // छदेरिस्मन्त्रट क्वौ / धामच्छद् / ऋत्विक दधृक् उष्णिक् // 97 / / कर्तुणिन् / उपमानात्, सिंह इव नर्दतीति सिंहनी / / 98 // अजाते. शोले / शीतभोजी / / 99 / साधौ / चारु नृत्यति चारुनर्ती // 100 // ब्रह्मभ्रू गवृत्राद् भूते हनः / क्विम् / वृत्रहा / / 101 / / कृगः सुपुण्यपापकर्न मन्त्रालय Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 121 भूते / सुकृत् / / 102 // दृशः क्वनिप् / भूते कर्मणः, मेरुं अद्राक्षीदिति मेरुश्वा // 103 // सहरराजभ्यां कृग्युधेः // 104 / / सप्तम्याजनेर्डः / अप्सुजं अब्ज // 105 / / क्तक्तबतू / धातोभूते, अकारीति कृतः, अकार्षीदिति कृतवान् // 106 // ऋवर्णश्यूटुंगः कितो नेट् / वृतः तीर्णः ऊर्गुतः श्रित // 107 / / उवर्णात् / नुतः भूतः // 108 // वेटोऽपतः / क्तयोर्नेट् // 109 / / ऊदितः क्त्वो वेट् / यतः / / 110 // रदादमूर्छनदः / क्तयोर्दस्य च नः, पूर्णः // 111 // व्यञ्जनान्तःस्थातः / व्यञ्जनादन्तस्थायाः क्तयोर्नः, द्राणः // 11 // सूयत्याद्योदितः / सूनः लग्नः / / 113 // डीयश्व्यैदितः / क्तयोर्नेट , डीनः शूनः चरीकृतः / / 114 / / शुषिपचो मकवं क्षामः शुष्कं पक्वं // 115 // आदितः / क्तयोर्नेट, जिक्ष्विदा जिस्विदा गानप्रक्षरणे, स्विन्नः / 116 / नवा भावारम्भे / आदितः क्तयोरिट् // 117 // ऋह्रीघ्राध्रात्रोन्दनुदविन्तेर्वा नः / ऋणं ऋतं / वित्तं धने प्रतीते / भित्तं शकलं // 118 / / आः खनिसनिजनः विङति धुटि / जातः खातः / / 119 / / क्षुधवधस्तेषां / क्तक्तवतुक्त्वामिट्, उषितः // 120 // न डीशीपूर्धषिक्ष्विदिस्विदिमिदः / सेटौ क्तौ कित्शयितः // 121 // णौ दान्तशान्तपूर्णदस्तस्पष्टच्छन्न Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 122 शप्तम् वा // 122 / / दोसोमास्था / इ: किति ति, मितः // 123 // छाशोर्वा / शितः निशातः / 124 / ' धागो हिः / / 125 / / समस्ततहिते वा मो / लुक, संहितं सहितं // 126 // प्रादागस्त / आरंभे क्ते वा, प्रत्तं प्रदत्तं / // 127 / / निविस्वन्ववात् / / 128 // दस्ति / नामिनो दीर्घः, नीत्तं // 129 / / यपि चादो जग्ध् / . चात् कित्ति, जग्धं // 130 // निनद्याः स्नातेः कौशले / षः, निष्णातः नदीष्णातः / 131 // इति निष्ठाः / / 132 / / तत्र क्वसुकानौ / परोक्षायां तद्वच्च तौ, शुश्रुवान् संस्वजान, // 133 / / घसेकस्वरातः क्वसोरादिरिट् / जक्षिवान्, ददिवान् // 134 // गमहनविद्लविशशो वेट / जग्मिवान जगन्वान् // 135 / / शत्रानशौ / सति सस्यौ त्वेष्यति, पचन पक्ष्यन् // 136 // अतो म आने / पचमानः पक्ष्यमाणः // 137 / / वा वेत्तेः / क्वसुः सति, विद्वान विदन् // 138 // वयःशक्तिशीले / सति शानः, कतोहात्मानं वर्णयमानाः / // 139 / / सुद्विषाहः सत्रिशत्रुस्तुत्येऽतृश / अर्हन / / 140 // तृन् शीलधर्मसाधुषु / करणं शीलं धर्मस्तत्र साधु वा कर्ता // 141 // भ्राज्यलग्निराकृग्स: हिरुचिवृतिवृधिचरिप्रजनापत्रप इष्णुः / -सहिष्णु: परिषहान् / Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 123 . / / 142 / / उदः पचिपतिपदिमदेः / उन्मदिष्णुः / / 143 // स्थाग्लाम्लापचिपरिमृजिक्षेः स्नुः / स्थास्नुर्यशो वीरस्य / मृजौष शुद्धौ, मुजोऽस्य वृद्धिः, परिमाणुः // 144 // त्रसिगृधिधषिक्षिपः क्नुः / अिधुषा प्रागल्भ्ये, धृष्णुः, त्रसै भये, त्रस्नुः / / 145 / / सन्भिक्षाशंसेरु: / चिकीर्षुः भिक्षुः आशंसुः // 146 / / दाटधेसिशदसदो रुः / षिञ् बन्धने, सेरुः / / 147 / / शीङ्श्रद्धानिद्रातन्द्रादयिपतिगृहिस्पृहेरालुः। स्पृहयालुः।१४८। सनिचक्रिदधिजज्ञिनेमिः // 149 // शकमगमहनवृषभूस्थ उकण / उपस्थायुको गुरुं // 150 / / लषपतपदः / उपपादुकः / . // 151 // भूषाकोधार्थजुसगृधिज्वलशुचश्चानः / मण्डनः कोपनः / / 152 / / इङितो व्यंजनाधन्तात् / वर्धनः जुगुप्सनः // 153 // यजिजपिदंशिवदादूको यङन्तात् / वावदूकः / / 154 // शमष्टकाद् धिनण / क्लमी / / 155 // युजभुजभजत्यजरंजद्विषदुषहदुहाभ्याहनः / योगी त्यागी द्रोही // 156 // मथलपः / प्रलापी // 157 // विपरिप्रात्सर्तेः / प्रसारी / 158 / संपरिव्यनुप्राद्वदः / प्रवादी // 159 / / व्यपाभेर्लषः // 160 // संप्राहसः / / 161 // समत्यपाभिव्यभेश्वरः। व्यभिचारी / / 162 / / निन्दहिसक्तिशखादविनाशिव्या Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 124 भाषासूयानेकस्वराद् णकः / हिंसक: खादकः चकासक: // 163 // वृद्धिक्षिलुण्टिजल्पिकुटाट्टाकः / भिक्षाकः // 164 // जीक्षिविश्रिपरिभूवमाभ्यमाव्यथ इन / जयी दरी अभ्यमी / / 165 / / मृघस्यदो मरक् / प्रसृमरः // 166 // भियो रुरुकलुकं कित्। भीलुकः // 167 / / सृजीणनशष्ट्वरप् / जित्वरः / / 168 // भजिभासिमिदो घुरः / जिमिदा स्नहने, मेदुरः / / 169 / / स्म्यजसहिसदीपकम्पकमनमो रः / जसू मोक्षणे,. अजस्रं नम्र / / 170 / / तृषिधृषिस्वपो नजिङ् / तृष्णग् / - // 11 / / स्थेश भासपिसकसो वरः। ईश्वरः // 172 / / विवप् / भा: धूः विद्युत भित् वित् छित् भूः // 173 / / इति शीले // 174 / / शंसंस्वयंविप्रान् भुवो। डुः सति, प्रभुः / / 175 / / लूधूसूखनचरसहार्तेरित्रः / अरित्रं / / 476 / / नीदावशसूयुयुजस्तुतुदसिसिचमिहपतपानहस्त्रट् / नेत्रं मेढ़पात्रं नर्ऋ / / 177 / / ज्ञानेच्छाचार्थीच्छील्यादिभ्यः / सत्यर्थे क्तः, ज्ञात: इष्टः अर्चित: सुप्तः // 178 / / पदरुजपिशस्पृशो घञ् कर्तरि / पादः // 17 / / भावाकोंर्घञ् / पचनं पच्यते यत् येन यस्मै यस्माद्यस्मिन्वेति पाक: // 180 // उद्यमो. परमौ / स्यदो जवे // 181 // घनि भावकरणे / रञ्जर्नलुक, रागः // 182 // भूयदोऽल् / प्रभवः / / 183 // संनियुपाद्यमो वा / संयमः संयामः / 184 / Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 125 . युवर्णवृवशरणगमृद्ग्रहः / तरः जयः स्तवः // 185 / / समुदोऽजः पशौ / समजः // 186 // समदप्रमदौहर्षे // 187 / / निघोद्घसंघोद्घनापघनोपघ्नं निमित्तप्रशस्तगणात्याधानाङ्गासन्नम् / / 188 // मूर्तिनिचिताभ्रे घनः // 189 / / परे? हनः // 190 / / परेर्धाङ्कयोगे। रो लो वा // 191 / / निपाने युधि चाहवः / / 192 // हनो वा वध् च / वधः घातः // 193 // वर्षविघ्नेऽवाद्ग्रहो वा / अवग्रहः / . // 194 / / प्रादश्मितुलासूत्रे वा / प्ररहः / 195 / युपुद्रोर्घञ् / संयावः // 196 // नियश्चानुपसर्गाद्वा / नयः नायः // 197 // भुवोऽवज्ञाने वा / परेः, परिभावः परभवः // 198 / / इणोऽभ्रेशे नेः / न्यायः / / 199 // परेः क्रमे। पर्याय: / / 200 // चितिदेहामासोपसमाधाने / कश्चादेश्चेः, काय: / / 2011 / स्थादिभ्यः कः / प्रस्थः संस्था व्यवस्था प्रपा विधः विघ्नं आयुधं आढयः / 202 / ट्वितोऽथुः / नन्दथुः क्षवथुः क्षवः // 203 // ड्वितस्त्रिमा तत्कृते / पाकेन कृतं पवित्रमं कृत्रिमं // 204 // यजिस्वपिरक्षियतिप्रच्छो नः / प्रश्नः // 205 / / उपसर्गादः किः / प्रधिः निधिः // 206 // व्याप्यादाधारे / उदकं धीयतेऽस्मिनित्युदधिः // 207 // स्त्रियां क्ति र्भावाकोंः / भूतिः // 208 // वादिभ्यः / श्रुतिः स्तुतिः पत्तिः वित्तिः Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लब्धिः शस्ति: / पक्तिः // 209 / / आस्यटिव्रज्यजः / क्यप, आस्या व्रज्या // 210 / / समजनिपनिषदशोसुगविदिचरिमनीणः / क्यप्, निषद्या शय्या सुत्या चर्या इत्या // 11 // कृगः श च वा / क्रिया कृत्याः कृतिः / 212 / मृगयेच्छायाञ्चातृष्णाकृपाभाश्रद्धान्तर्धाः // 213 / / परे. सृचरेर्यः / परिसर्या // 214 // शंसिप्रत्ययादः / प्रशंसा गोपाया चिकीर्षा / / 215 / / क्तटो गुरोर्व्यञ्जनात् / क्तेड्वद्गुरुमतो व्यञ्जनान्तादः, ईहा उक्षा शिक्षा / / 216 // षितोऽङ् / क्षमा जरा // 217 / / भिदादयः / भिदा छिदा विदा दया पृच्छा कारा धारा तारा गुहा वशा तुला क्षपा // 218 / / उपसर्गादातोऽऽङ् / उपदा संधा' प्रभा // 219 // णिवेत्त्यासश्रन्थघट्टवन्देरनः / कारणा वेदना वंदना // 220 // क्रुत्संपदादिभ्यः / क्विप्, क्रुत् क्षुत् त्विट् रुक् शुक् मुद् भृत् गिर् स्रक् विपद् संसद् समित् / // 221 // भ्यादिभ्यो वा / क्विप् पक्षे क्तिः, भी: ह्रीः भिद् छिद् दृश् / / 222 / / जनोऽनि शापे / अजननिः / / 223 // ग्लाहाच्यः / हानिः // 224 // पर्यायाहणोत्पत्तौ च णकः / भवतः शायिका, अर्हति भक्षिका, उदपादि भक्षिका, चात्प्रश्नाख्याने // 225 / / क्लीबे क्तः / हसितं / / 226 / / अनट् / क्लीबे, गमनं / 227 / रम्यादिभ्य कर्तर्यनट् / कमनः व्रश्चनः // 228 // भुजि Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 127 पत्यादिभ्यः / कर्मा पादाने, असनं वसनं निर्झरणः / 229 / करणाधारे / लिखति अनयेति लेखनी, शेतेऽस्मिन्निति शयनं // 230 // पुन्नाम्नि घः / करणाप्रणयः प्रत्यक्षः शरः भवः प्रयरः / 231 / / व्यञ्जनात् घञ् / वेदः रागः / / 232 / / प्राक्काले तुल्यकर्तके धातोः क्त्वा / कृत्वा दत्त्वा जित्वा भुक्त्वा लब्ध्वा / 233 / अनञः इत्वो यप् / समासे, प्रकृत्य प्रणम्य प्रणिप्रत्य विधाय / / 234 / / ज्यश्च / यपि न य्वत, चाद्वे:, प्रज्याय प्रवाय / . // 235 / / क्रमः क्त्वि वा / दीर्घः, क्रान्त्वा क्रन्त्वा // 236 / / ऊदितो वेट क्त्वः / क्रमित्वा / / 237 / / जनशो न्युपान्त्ये तादिः / क्त्वा कित वा, रंक्त्वा रक्त्वा विरज्य नंष्ट्वा नष्ट्वा // 238 / / ऋत्तुषमृषकृशवश्चयफः / सेट् क्त्वा वा कित्, न्युपान्त्यथफः, श्रथित्वा श्रन्थित्वा तृषित्वा तर्षित्वा / क्त्वा सेट न कित्, देवित्वा // 239 / / क्षुधक्लिशकुषगुधमृडमृदवदवसः / कित्, क्षुधित्वा // 240 // लघोर्यपि / न गेलुंक / प्रशमय्य प्रतिपाद्य / / 241 // हाको हिः / हित्वा विहाय / / 242 / / यपि / हनिमनिवनतितनादेलक, निहत्य अवमत्य वितत्य / 243 / यमिरमिनमिगमीनां वा / लुक / विरम्य विरत्य / // 244 // अन्यथैवंकथमित्थमः / कृगोऽनर्थकात्रुणम्, Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 128 कथंकारं करोति / / 245 // शापे व्याप्यात् / चौरंकारमाक्रोशति // 24 // यावतो विन्दजीवः कात्स्न्ये णम् / यावद्वेत्ति तावद् भुङ्क्ते यावद्वेदं भूक्ते / 247 / चर्मोदरात्पूरेः वृष्टिमान ऊलुक् च / गोप्पदप्रं / .. // 248 / / शुष्कचूर्णरुक्षात्पिषस्तस्यैव / चूर्णपेंषं पिनष्टि / / 249 // कृग्ग्रहोऽकृतजीवात् / जीवग्राहं गृह्णाति // 250 / / निमूलात् कषः // 251 // हनश्च समूलात् / समूलकाषं कषति // 252 / / करणेभ्यः / अस्युपघातं हन्ति // 253 / / स्वस्नेहनात्पुषःपिषः // 254 // हस्तार्थाद्ग्रहत्तिवृतः // 255 // कर्तुर्जीवपुरुषान्नश्वहः // 256 / / ऊर्ध्वात्पू: शुष // 257 / / व्याप्याच्चेवात् चात्कर्तुः / ओदनपाचं 'पक्व: जमालिनाशं नष्टः / / 258 // ऊर्याद्यनुकरणच्चिडाचश्च गतिः / ऊरीकृत्य पटत्कृत्य कुण्ठीकृत्य लोहिताकृत्य // 259 / / कारिका स्थित्यादौ // 260 / / भूषादरक्षेपेऽलंसदसत् / / 261 / / पुरोऽस्तमव्ययं / 262 / तिरोऽन्त / कृगो नवा तिरस्कृत्य तिरः कृत्वा // 263 / / साक्षादादिश्व्यर्थे / साक्षात्कृत्य नमस्कृत्य // 264 // लोकाच्छेषस्य सिद्धिः / / जीयाद्विश्वेश्वरो वोरो, भव्येभ्यः शाब्दशास्त्रदः / / महानन्दाय तत्त्वार्थबोधाय समवस्तुनाम् // 1 // // इति मध्यमसिद्धप्रभाव्याकरणं समाप्तम् // Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स. * 22*45*41*-16/*-48*-164---- * प्राचीन साहित्यना प्रकाशनो के 1 आरामसोहाकथा 2 गुर्बावली 3 ज्ञानादिकुलक चतुष्टयकथा 4 मध्यमसिद्धप्रभा व्याकरण 5 स्यादवाद मुक्तावली 6 कस्तूरीप्रकरण : 7 हरिश्चंद्रकथानकं अपराजितकथा 8 नरभवदितॄतो उपनयमाला 9 कुलकसंदीह (प्राकृत) 10 शोभनमुनि अने कृति 11 प्रद्युम्नचरित्रं 12 प्रव्रज्याविधान कुलकवृत्ति 13 नमस्कारप्रभावकथा 14 आरामनंदनकथा 15 यतिदिनचर्या 16 हंसराज वत्सराज रास 17 पंचलिंग प्रकरणं 18 नवपद प्रकरणम् 19 सुक्तमुक्तावली विवेचन 10 रासषट्कसंग्रहः