________________ // 35 // हेतुकर्तुकरणेत्थंभूतलक्षणे / धनेन कुलं चैत्रेण कृतम् मनसा ध्यातम् ईर्यया साधुः / // 36 // सिद्धौ तृतीया कालाध्वनोः / मासेनाधीतः // 37 // सहार्थे / समं शिष्येण // 38 // यद्भदैस्तद्वदाख्या। निसर्गेण प्राज्ञः // 39 / / कृताद्यनिषेधार्थैः / तेन कृतं // 40 // काले भान्नवाधारे। मघासु मघाभिर्वा पललौदनम् // 41 // प्रसितोत्सुकावबद्धैर्वा / गृहेण गृहे वोत्सुकः // 42 // समो ज्ञोऽस्मृतौ / मात्रा मातरं वा नजानीते // 43 // 44 // दामः / संप्रदानेऽधर्म्य सम. दास्या. संप्रयच्छते // 45 // कर्माभिप्रेयः / संप्रदानं, देवेभ्यो नमति // 46 // स्पृहेाप्यं वा / गुणेभ्यो गुणान्वा स्पृहयति // 47 // कुद्रुहेासूयार्थेयं प्रति कोपः / रुष्यति मैत्राय // 48 // नोपसर्गात्कुद्Qहा / मैत्रमभिकुध्यति // 49 // चतुर्थी संप्रदाने / ददाति भिक्षां मुनिभ्यः / / // 50 // तादर्थ्ये / कुण्डलाय हिरण्यम् / / 51 / / रुचिकृप्यर्थधारिभिः / प्रेयविकारोत्तमणेषु, मैत्राय रोचते धर्मः // 52 / / प्रत्याङः / श्रुवाथिनि, याचकाय द्रम्मान् प्रतिशृणोति // 53 // प्रत्यनोर्गुणाऽऽख्यातरि / आचार्यायानुगृणाति // 54 // यद्वीक्ष्ये राधीक्षी / स्त्रीभ्य ईक्षते // 55 // उत्पातेन ज्ञाप्ये / वाताय कपिला