________________ 41 निप्रेभ्यो नः / / 17 / / विनिमेयद्यूतपणं पणव्यवहोः // 18 // उपसर्गादिवो वा // 19 / / नानुपसर्गस्य दिवः / शतस्य दीव्यति। .. करणं च चात्कर्म, दिवेाप्यं करणं कर्म च, अक्षरक्षान्वा दीव्यति // 20 // अधेःशोङ्स्थास आधारः। ग्राममधिशेते // 21 // उपान्वध्यावसः / ग्राममुपवसति // 22 // वाभिनिविशः // 23 / / कालाथ्वभावदेशं वाऽकर्म चाकर्मणां चात्कर्म / मासं मासे वाऽऽस्ते // 24 // कर्मणि द्वितीया / भीष्मं कटं करोति // 25 // क्रियाविशेषणात् द्वितीया / क्रियाव्ययविशेषणे क्लीबता, समुक्तिकं भाषते // 26 / / कालाध्वनोाप्ती / मासमधीते // 27 // गौणात्समयानिकषाहाधिगन्तरान्तरेणातियेनतेनैः / अतिवृद्धं कुरून्, अन्तरा निषधं नीलं व विदेहाः // 28 // द्वित्वेऽधोऽध्युपरिभिः / उपयुपरि ग्रामं // 29 // सर्वोभयाभिपरिणा तसा / परितो ग्रामं // 30 // लक्षणवीप्स्येत्थंभूतेष्वभिना / वृक्षमभि मातरमभि / / 31 / भागिनि च प्रतिपर्यनुभिश्वाल्ल. क्षणादौ / यदत्र मां प्रति तद्दीयताम् // 32 // हेतु. सहार्थेऽनुना, अनु जिनजन्मागच्छद्देवेन्द्रः // 33 // उत्कृष्टेऽनूपेन / अनुहेमचन्द्रं वैयाकरणा: // 34 // साधकतम करणं क्रियासिद्धौ / संवरेण निर्जरयाऽऽप्नोति मोक्ष