________________ कर्ता कर्म च करणं, संप्रदानं तथैव च / अपादानाधिकरणे, इत्याहुः कारकाणि षट् // 1 // // 3 // स्वतन्त्रः / कर्ता क्रियायाम, करोति कारयति वा घटं मैत्रः // 4 / / कर्तुाप्यं कर्म / कटं करोति कारूको, रूपं पश्यति चाक्षुषः / राज्यं प्राप्नोति धर्मीष्ट, इष्टानिष्टेतरत्तु तत् // 1 // दुह्यादीनां क्रियार्थरूपे प्रधाने व्याप्ये नीवहादीनां त्वप्रधाने, गां दोग्धि पयः, अजां नयति ग्रामम् // 5 // वाऽकर्मणामणिकर्ता णौ कर्म। स्थापयति मैत्रं मैत्रेण वा // 6 // गतिबोधाहारार्थशब्दकर्मनित्याकर्मणामनीखाद्यदिह्वाशब्दायक्रन्दां / अणिककर्ता णौ कर्म, आसयति चैत्रम् // 7 // भक्षोहिसायाम् भक्षयति सस्यं वलीवान् // 8 // वहेः / प्रबेयः, वायति बलीवान् // 9 // हक्रोर्नवा / विहारयति दशं चैत्रं चैत्रेण वा // 10 / / श्यभिवदोरात्मने / दर्शयते भृत्यान् भृत्यैर्वा // 11 / / नाथ आत्मने। सर्पिषः सपिर्वा नाथते / 12 / स्मृत्यर्थदयेशः / मातुर्मातरं वा ध्यायति // 13 / / कृगः प्रतीयत्ने, एधोदकस्यैधोदकं वोपस्कुरुते // 14 // रुजार्थस्याज्वरिसंतापेर्भावे कर्तरि / चौरस्य चौरं वा व्यथयति रोगः / . / / 1 / / जासनाटकाथपिषो हिंसायां // 16 //