________________ // 122 / / तस्मै योगादेः शक्ते / यौगाय शक्तो यौग्रिकः // 123 // तेषु देये कल्पे कार्ये च भववत् / मासे देयं कल्पं कार्यं च मासिकं // 124 // शोभमाने तेन / शैखरिकः // 125 / / कालात्परिजय्यलभ्यकार्यसुकरे / वार्षिकः // 126 // निर्वृत्ते आह्निकं / काल: / / 127 // सोऽस्य ब्रह्मचर्यतद्वतोः // 128 // प्रयोजनं / जिनमहः प्रयोजनमस्य जैनमहिकं // 129 // त्रिशद्विशतेर्डकोऽर्सज्ञायामाहदर्थे / विशतिमहति // 130 // विशतेस्तैडिति लुक् / विशक: संख्याडतेश्चाशात्तिष्ठः क, आर्हदर्थे क्रीतादौ, द्विकं / / 131 / / डत्यतु संख्यावत् / यावत्कं // 132 // मूल्यै. क्रीते / यत् शतेन क्रीतं शत्यं // 133 / / वंशादेर्भाराद्धरद्वहदावहत्सु / वांशिकः // 134 // सोऽस्य मृतिघस्नांशम् केकं / पंचकः साहस्रिकः / / 135 / / मानं / द्रोणिकः / // 136 / / स्तोमे डट् / विंशतेः स्तोमो विंशः / / 137 // तमर्हति / वैषिक: / / 138 / / दण्डादेर्यः / दण्डयः // 139 // बहति रथयुगप्रासंगाद्यः / युग्यं // 140 / / धुरो येयण् // 141 // न यि तद्धिते दीर्घः / धुर्यः धौरेयः / / 142 // अश्चैकादेः / चादीनः, एकधुरीणः एकधुरः // 143 // धनगणालन्धरि / धनं लब्धा धन्यः // 144 / / हृद्यपद्यतुल्यमूल्यवश्यपथ्य