________________ आक्रोशे, वेडिता / अण वण रण भण धण क्वण चण शब्दे / ओण अपनयने / // 117 // गुरुनाम्यादेरनृच्छ्र्णोः परोक्षाया आम्, कृभ्वस्तयश्च तदन्ता अनु, ओणांचकार / चितै संज्ञाने, चिचेत अचेतिष्यत् / अत सात यगमने, आतीत् आत आतिथ / च्युत आसेचने, अच्युतत् अच्योतीत् / कित निवासे // 118 // कित संशयप्रतीकारे सन् // 119 / / सन्यङश्चैकस्वरोऽशो द्विः // 120 // स्वार्थे सनो नेट् / चिकित्सति / ऋत घृणातिस्पर्धेषु / / 121 / / ऋते?यः / / 122 // पराणि कानानशौ चात्मने / त्याद्यासु सर्वासु, ऋतीयते // 123 // आतामाते आथामाथे आदिरात् / ऋतीयेथे आर्तीयत // 124 // अवि वा आयणिङडीयाः, आर्डीयिष्ट / / 125 // नाम्यन्तात्परोक्षाद्यतन्याशिषो धो ढः / / 126 // हान्तस्थाञ्जड्भ्याम् वा / अर्तीयित्वम् आर्तीयिध्वम् / // 127 // आम कृगः / प्राग्वदात्मने, ऋतीयांचक्रे आनर्त / मथु मन्थ हिंसासंक्लेशयोः, मन्थ्यात् मथ्यात् / गद व्यक्तायां वाचि / णद अव्यक्तशब्दे / अर्द गतियाचनयोः / णर्द गर्द शब्दे, अगर्दीत् / अदु बन्धने, आनन्दः / इदु परमैश्वर्ये, इन्दांचकार / णिदु कुत्सायां / दुनदु समृद्धौ / चदु दीप्त्याह्लादनोः /