________________ क्रदु रोदनााह्वनयोः, क्रन्देत चक्रन्द क्रन्दिता। स्कन्द गतिशोषणयोः, स्कन्दतु अस्कदत् अस्कान्न सीत् अस्कान्ताम् चस्कन्द / पिधु गत्या // 128 / / गतौ सेधो न षः / न्यसेधत सिषेध / षिधौशास्त्रमांगल्ययोः // 129 // धूगोदितः / स्ताद्यशित आदिरिट् वा / 130 / अधश्चतुर्थात्तयोर्धः / असैद्धाम् सिषेध सेधिता सेद्धा / स्तन धन ध्वन चनं स्वन वन. शब्दे // 131 // जभ्रमवमत्रसफणस्यमस्वनराजभ्राजभ्रासम्लासो वैन च द्विः / अवित्परोक्षासेटथवोः, स्वेनतुः सस्वनतुः / वन षन संभक्तौ / / 132 // ये नवा / खनिसनिजनेराः किति, सायात सन्यात् / गुपौ रक्षणे // 133 // गुपौधूपविच्छिपणिपनेराय / गोपायति // 134 / / अंतो य किति / लुक्, गोपाय्यात् गोपायिता गोपिता गोप्ता / धूप तप संतापे / // 135 // निसस्तपेनासेवायां षः / निष्टपति / रप लप जप व्यक्तवचने / जप मानसे व्यक्तोक्तो च / सृप्ल गतौ // 136 / / स्पृशादिसृपो वाऽदन्तो / स्रप्ता सप्र्ता // 137 // तृदिधुतादिपुष्यादेः / परस्मै अद्यतन्यामङ्, असृपत् / चुबु वक्त्रसंयोगे / यभ जभ मैथुने // 138 // जभः स्वरे स्वरान्नोऽन्तः, / जम्भति /