________________ पत्रस्नेहशीतश्यामपिंगपक्ष्मन्मृदुपृथुमंजुवत्सांसा / // 232 // प्रज्ञाश्रद्धा वृत्तेर्णः / प्राज्ञः // 233 // धुद्रोर्मः // 234 // कृपाहृदयादालुः // 235 // अम्रादिभ्यः / अः, अभ्रः अर्शस् उरस् // 236 / / अस्तपोमायामेधास्रजो विन् / तपस्वी स्रग्वी // 237 // आमयाद्दीर्घश्च / आमयावी // 268 // वातातिसारपिशाचादिन कश्चान्तस्य / / 239 / / धर्मशीलवर्णान्तात् / मुनिधर्मी // 240 // प्रकारे जातीयर। पटप्रकार: पटजातीयः // 241 // कोऽण्वादेः / अणुकः स्थूलक: // 242 / / भूतपूर्वे प्चरट, पूर्वं दृष्टो दृष्टचरः / / 243 // षष्ठया रूप्यपचरट् // 244 / / 'प्रायोऽतोई यसटमात्रट् / यावन्मात्रं // 245 // वर्णाव्ययात्स्वरूपे कारः / चकार: // 246 / / नामरूपभागाद्धयः / / 247 // नवादीनतनत्नं नूश्चास्य / नवीनं नूतनं नूनं // 248 / / विनयादिभ्य इकण / विनय एव वैनयिकं, समयसमायकथंचित्अकस्मात्उपचारव्यवहारविशेषाः / / 249 // मृदस्तिकः / / 250 // सस्नौ प्रशस्ते // 251 // प्रकृते मयट् / यवागूः प्रधाना प्रचुरा वा यवागूमयं // 252 // अस्मिन् / अपुपा अस्मिन्नपूपमयं // 253 / 1 निन्द्ये पाशप् / भिषक्पाशः // 254 // त्यादेश्च प्रशस्ते / रूपम्, चात् गुणांगात्, आगमरूपः // 255 // प्रकृष्टे