________________ तम। प्रकृष्टः श्रेष्ठः श्रेष्ठतमः // 256 // द्वयोविभज्ये तरफ् प्रकृष्टे, दन्तोष्ठस्य दन्ताः स्निग्धतराः // 25 // किन्त्याद्येऽव्ययादसत्त्वे तयोरत्तस्याम् / किन्तराम् पचतितराम् पूर्वाह्न तराम् // 258 / / गुणांगाद्वेष्ठेयसू तरप्तमपोः। पटिष्ठः पटुतमः पटीयान् पटुतरः / / 259 // विन्मतोर्णीष्ठेयसौ लुप् / // 260 / / अल्पयुनोः कन्वा / कनिष्ठः // 261 // प्रशस्यस्य श्रः / श्रेष्ठः // 262 / / वृद्धस्य च ज्यः / ज्यायान् // 263 / / बाढान्तिकयोः साधनेदौ // 264 / / बहोर्णीष्ठे भूय / भूयिष्ठः भूयान् // 265 // अतमबादेरीषदसमाप्ते कल्पप्देश्यप्देशीयरः / ईषदूनो गुडो गुडकल्पा द्राक्षा // 266 // नाम्न प्राग् बहुर्वा / बहुगुडा / / 267 / / एकादाकिन् चासहाये / चात्क: एककः एकाकी // 268 // कुत्सिताल्पाज्ञाते कप, अश्वकः / // 269 // त्यादिसर्वादेः स्वरेष्वन्त्यात्पूर्वोऽक् / सर्वके // 270 // वत्सोक्षाश्वर्षभाद् ध्रासे पित्तरट् / / 271 / / वैकाद् द्वयोनिर्धार्ये इतरः // 272 // यत्तत्किमन्यात् / कतर: // 273 / / असकृत् संभ्रमे। पदं वाक्यं वा, हस्त्यागच्छति 2 // 274 / / सामीप्येऽधोध्युपरि वीप्सायां, गृहे गृहे धार्मिकाः / / इति तद्धितप्रत्ययाः // 16 //