________________ / / 17 / / अथाख्यातप्रकरणम् / / // 1 // परस्मैपदि // // 1 // तत्र भ्वादिपरस्मैपदिनः / / // 1 // क्रियार्थो धातुः / आयाद्यन्ता अपि धातवः // 2 // न प्रादिरप्रत्ययः / यस्मात्प्रादेर्न प्रत्ययः स न धातोरवयवः स्यात्, ततोऽडादिः परः // 3 // सति / वर्तमाना स्यात् // 4 // वर्तमाना तिव तस् अन्ति सिक् थस् थ मिव वस् मस् / ते आते अन्ते से आथे ध्वे ए वहे महे / एषामष्टादशानां वर्तमाना संज्ञा धातोश्च सा॥५॥ नवाद्यानि शतृक्वसू च परस्मैपदं / सर्वासु आख्यातविभक्तिषु आद्यानि नव वचनानि शतृक्वसू च कृदन्तौ परस्मैपदाख्यानि स्युः // 6 // इडितः / धातोः कर्तरि आत्मनेपदम् // 7 // ईगितो / धातोरुभयं, फलवति तु कर्तर्यात्मनेपदं // 8 // शेषात्परस्मै // 9 // त्रीणि त्रीण्यन्ययुष्मदस्मद्युपपदे स्युः // 10 // भू सत्तायाम् / // 11 // कर्तर्यनद्भय शव् / शिति // 12 // एताः शितः / वर्तमानासप्तमीपञ्चमीह्यस्तन्याख्या विभक्तयः शितः // 13 // नामिनो गुणोऽङ्किति / 14 / शिदवित् डित् / विद्वर्जः शित् प्रत्ययो डित् भवति, तसि शनिमित्तो गुणः, भवतः (लुगस्येति) भवन्ति भवसि भवथः भवथ // 15 // मव्यस्याः / अकार