________________ 57 भ्रातुर्व्यः / भ्रातुरपत्यं भ्रातृव्यः // 30 // ईयः स्वसुश्च / भ्रात्रीयः स्वस्रीयः // 31 // मातपित्रादेर्डेयणीयणौ स्वसुः / मातृष्वसेयः मातृष्वस्रीयः // 32 / / श्वसुराद्यः / श्वशुर्यः / // 33 // षादिहन्धृतराज्ञोऽणि / अनोऽस्य लुक्, औक्षणः / / 34 // हृद्भगसिन्धोर्द्वयोवृद्धिः / सौहार्द // 35 // पुन पुत्रदुहितननान्दुरनन्तरेऽञ् / पौत्रः दौहित्र: / / 36 // रागाट्टो रक्ते / कुसुम्भेन रक्तं कौसुम्भं // 37 // षष्ठयाः समूहे / शुकानां समूहः शौकं // 38 / / भिक्षादेः / भैक्षं // 39 / / अनपत्येऽणि नेनो लुक / गाभिणं // 40 // श्वादिभ्योऽञ् / दाण्डं // 41 // ग्रामजनबन्धुगजसहायात्तल् / लिस्त्रियां, जनानां समूहो जनता // 42 // पुरुषात्कृतहितवधविकारे चेयं / चात्समूहे, पुरुषेण कृतं तस्मै हितं तस्य बधो विकारः समूहो वा पौरुषेयं // 43 // विकारे / अण, मृत्तिकाया विकारो मात्तिक: / 44 / प्राण्योषधिवृक्षेभ्योऽवयवे च / चाद्विकारे, मार्गिकं चर्म // 45 // पयोद्रोर्य / द्रव्यं // 46 // हेमादिभ्योऽञ् / हैमं राजतं // 47 // अभक्ष्याच्छादने वा मयट् / आश्मं अश्ममयं // 48 // गो: पुरीषे / गोमयं // 49 / / पितृमातुळडुलं / भ्रातरि, पितृव्यः मातुल: // 50 //