________________ 49 1 // 32 // न कर्तरि षष्ठी अकेन, भवतः आसिका // 33 // कर्मजा तृचा च / चात्कर्बकेन, ओदनस्य भोजकः, अपां स्रष्टा // 34 // तृतीयायां कर्तरि / कर्मजा षष्ठी न, भाष्यस्य कृतिजिनभद्रगुरुणा // 35 / / तृप्तार्थपूरणाव्ययातृशशत्रानशा / / 36 / / ज्ञानेच्छा - र्थाधारक्तेना // 37 // कालो द्विगौ च मेयैः // 38 // // 38 // द्विगोरनहोऽट समाहारे / द्वे अहनी सुप्तस्य द्व्यहसुप्तः, द्वयह्नसुप्तः // 39 / / सप्तमी शौण्डाद्यैः / पानशौण्ड: // 40 // सिंहाद्यैः / पूजायाम्, रणसिंहः / / 41 / / क्तेन क्षेपे // 42 // तत्पुरुषे कृति / अलुप् सप्तम्या अद्वयंजनात्, भस्मनिहुतं // 43 / / प्रात्यवपरिनिरादयो / गतक्रान्तकृष्टग्लानक्रान्ताद्यर्थाः, प्रादयो गताद्यर्थाः प्रथमाद्यन्तैः संगतोऽर्थ: समर्थः, अक्षं प्रति गतः प्रत्यक्षः // 44 // प्रत्यन्ववात् / सामलोम्नोऽत्, अनुलोमः, संगतमर्थेन समर्थं // 45 // गोश्चान्ते / ह्रस्वोऽनशिसमासेयोबहुव्रीहौ ङ्यादेः, अलंकुमारिः // 46 / / संख्याव्ययादगुलेर्डः / अन्तरङ्गुलो नखः // 47 // संख्यातकपुण्यवर्षादीर्घाच्च / रात्ररत्, चान् सर्वांशसंख्याव्ययाच्च, पूर्वरात्रः / / 48 // राजन्सखेरट् / . देवराजः // 49 // अहोट् / ग्रीष्माहः // 50 // 4 नमव्ययात्संख्याया / डः, अनवाः // 51 // कोः /