________________ 82 दशति दंष्टा / मूष स्तेये / कृष विलेखने, क्रष्टा की। // 150 / / स्पृशमृषकृषतृपहपो / वाऽद्यतन्यों सिच्, अक्राक्षीत् अकार्षीत् अकृक्षत् / कष रुष रिष हिंसायां // 151 // सहलुभेच्छरुषरिषस्तादेरिड् वाऽऽदिः, रोषिता रोष्टा / उषू प्लुषू दाहे // 152 // जाग्रुषसमिन्धेर्वाऽऽम् / ओषांचकार उवोष ऊषतुः / घस्लु अदने, अघसत जघास / / 153 / / घस्वसो / नाम्यादे: षः, जक्षतुः // 154 // सस्त: सि अशिति, घत्स्यसि। हसे हसने, अहसीत् / शसू हिंसायां, शशसतु: अशसीत् / दह भस्भीभावे, धक्ष्यनि / रह त्यागे, अर. हीत् / अर्ह मह पूजायां आनह / रक्ष पालने / अक्षौ व्याप्तौ // 155 // वाऽक्षः शिति अनुः // 156 / / उश्नोः गुणोङ्किति / अक्ष्णोति अक्ष्णुवन्ति आक्ष्णोत आक्षीत् आनक्ष अक्षिता अष्टा / तक्षौ तक्षणे / 157 / तक्षः स्वार्थे वा अनुः / शिति, तक्ष्णोति काष्ठं, तक्षति काक्षु कांक्षायां, अकांक्षीत् चकांक्ष // इति परमैपदम् // 1 // // 2 // भ्वाद्यात्मपदिनः / / गाङ् गतौ, गाते गाते // 1 // अनतोऽतोऽदात्मने, गाते अगास्त / स्मिङ ईषद्धसने, स्मयते अस्मेष्ट / डीङ विहायसा गतौ, अडयिष्ट अडयिढ्वम्