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________________ जज्ञे // 3 / / न जनवधः / कृति णिति जौ च वृद्धिः, अजनि अजनिष्ट / दीपै दीप्तौ, अदीपि / क्लिशिङ् उपतापे / इत्यात्मनेपदं // ___शकी मर्षणे / शुचुगै पूतीभावे / रञ्जी रागे / शपी आकोशे / मृषी तितिक्षायां / णही बन्धने, नह्यते अनात्सीत् // इति दिवादिगणश्चित् // 3 // // 4 // स्वादयः // षुग् पीडास्नानयोः // 1 / / स्वादेः श्नुः / शिति, निषुणोति // 2 // वम्यविति वा / असंयोगादो क , निषुणुवः निषुण्वः / 3 / सुगः स्यसनि / न षः, निसोष्यति असावीत् / डुमिग प्रक्षेपणे // 4 // मिसीगोऽखल चलि / यबङ्किति आः, अमासीत् / चिग चयने // 5 // चेः किर्वा सन्परोक्षयोः / चिकाय चिचाय चिक्ये / धूग कम्पे, अधावीत् / स्तृग आच्छादने // 6 // इट् सिजाशिषोरात्मने / संयोगादेः ऋतो वादिरिट , स्तरिषीष्ट / ऋवर्णादविटौ सिजाशिषावात्मने कित् , स्तृषीष्ट / कृग् हिंसायां / वृग बरणे // इत्युभयपदं / / हि गतिवृद्धयोः, प्रहिणोत / अडे हिहनो हो घः पूर्वात , जिघाय / श्रु श्रवणे, शृणोति / टुदु उपतापे / पृ प्रीतौ / स्मृ पालने च / शक्ल शक्ती आप्ल व्याप्तौ, आप्नुवन्ति आप्नुहि आपत् / कृवु
SR No.004483
Book TitleMadhyam Siddh Prabha Vyakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1999
Total Pages134
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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