________________ 24 ग्रामणिना // 9 // दध्यस्थिसक्थ्यक्ष्णोऽन्तस्यान् / दादौ स्वरे, दना दवनि दलि, सुधिया सुधिना, क; कर्तृणा, अतिहिना, अतिरिणा अतिराभ्याम्, अतिद्यवे अतिधुने, अतिनुना अतिनुने, नात्र पुंलिङ्गं / इति नपुंसकलिङ्गम् // 10 // // 8 // व्यञ्जनान्त पुंलिङ्गाः // 1 // हो धुट्पदान्ते ढः / लिट् लिहौ लिड्त्सु / / 2 / / भ्वादेर्दादेर्घः / हस्य धुट्पदान्ते // 3 // गडदबादेश्चतुर्थान्तस्यैकस्वरस्यादेश्चतुर्थः स्ध्वोश्च प्रत्यये / चात् पदान्ते, धुग धुक् // 4 // द्रुहमुहस्नुहस्निहो वा घ: धुट्पदान्ते, ध्रुग् ध्रुवं ध्रुट ध्रुड् ध्रुक्षु धुड्त्सु // 5 // वा शेषे / अनडुह्रचतुरोरकारस्य वाकारः शेषधुटि / // 6 // अनडुहः / सौ धुटः प्राग्नोऽन्तः // 7 // पदस्य पदान्ते संयोगान्तस्य लुक्, अनड्वान् अनड्वाही // // उतोऽनडुच्चतुरो वः / आमन्त्र्ये, हे अनड्वन् अनडुहा / // 9 // लंसध्वंसक्वस्सनडुहो दः / धुट्पदान्ते, अनडुद्भयाम् अनडुत्सु // 10 // दिव औः / दिवो व औः सौ, द्यौः दिवौ // 11 // उ: पदान्तेऽनूत् / पदान्ते दिवो व उद्भवति, न च दीर्घः, द्युभ्यां, चत्वार: चतुरः // 12 // सख्यानां वर्णाम् / रषनान्तसंख्याया आमो ताम्, चतुर्णाम्।