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गृहस्यके साधु-समाजके सभी बता चले धर्म तथैव कर्म भी॥"
(५६२-१४९) वैशाली के प्रमुख गण-तन्त्र की परम्पराग्रोमें पले तथा सामान्य मानवसमाजके हित और उद्धारकी भावनामोसे पूरित-हृदय भगवान्के उपदेश सर्वसाधारणके बोधगम्य होने ही चाहिए थे। उनकी शैली, वाणी-माधुर्य और भाषाकी यही विशेषता थी।
श्री अनूप शर्माने इस ग्रथकी रचनामें भगवान्के जिस ऐतिहासिक जीवन वृत्तको आधार बनाया है, उसकी रूप-रेखा उन्होने अपने वक्तव्यमें दी है। महावीरकी जीवनी जैनधर्मकी दो सम्प्रदायो—दिगम्बर और श्वेताम्बर-में भिन्न-भिन्न रूपसे मिलती है । जीवन-वृत्तकी जिन ऐतिहासिक मान्यताप्रोमे दोनो सम्प्रदायोमें अन्तर है उनमें से मुख्य-मुख्य इस प्रकार है।
१ माता --दिगम्बर मान्यताके अनुसार भगवान् महावीरकी माता त्रिशला वैशालीके हैहय वशीय, जैनधर्मानुयायी क्षत्रिय राजा चेटककी पुत्री थी । श्वेताम्बर मान्यतानुसार त्रिशला चेटककी बहिन थी।
२ गर्भावतरण-दिगम्बर मान्यतानुसार भगवान् महावीर आषाढ शुक्ला पष्ठीके दिन रानी त्रिशलाके गर्भमें अवतीर्ण हुए और उन्हीकी कुक्षिसे जन्म हुआ । श्वेताम्बर आगमोकी मान्यता है कि भगवान महावीर प्राणत स्वर्गमे च्युत हो कर ब्राह्मणकुडपुरमे ऋपभदत्त नामक जैनधर्मानुयायी ब्राह्मण-नायककी पत्नी देवनन्दाके गर्भमे प्राषाढ शुक्ला पष्ठीको पाए और ८३ दिन बाद मोधर्मेन्द्रकी इच्छानुसार हिरणगमेष्ठा देव द्वारा ब्राह्मण भार्या देवनन्दाके गर्भसे निकाल कर क्षत्रिय-भार्या त्रिशलाकी कोखमे लाये गये । बदलेमे शिला की गर्भ-गत पुत्रीको देवनन्दाके गर्भ में लाया गया।
३ कुटुम्ब--दिगम्बर मान्यता है कि भगवान महावीर राजा सिद्धार्थके एकमात्र पुत्र थे। श्वेताम्बर मान्यता है कि गजा सिद्धार्यके दो पुत्र थे। भगवान् महावीरके बडे भाईका नाम नन्दिवर्द्धन था और उनकी भाभीका नाम प्रजावती था।