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वर्द्धमान
शशाक के और फणीन्द्र-धाम के सु-मध्य मे शोभित दो विमान थे, कपोत के युग्म-समान दूर से, समीप से दो गृह-तुल्य जो उड़े।
( ४५ ) मृगेन्द्र कूदा पहले विमान से द्वितीय से भी वृप' भूमि पै गिरा चला बलीवर्द' स-दूर्व भूमि को स-शब्द शैलाट' अरण्य को गया।
( ४६ ) पून गिरे दो स्रग यान-यग्म से अलात माला-सम चक्र-युक्त हो, गिरे जभी भू पर शब्द-हीन वे दिखा पड़े दो घट माल्यवान थे।
( ४७ ) उसी घड़ी सूर्य्य उदीयमान हो मनोज्ञ प्राची दिशि को प्रकाशता दिखा पडा चक्रम-युक्त सामने समस्त भू को करता प्रदीप्त था।
'बैल । 'बैल । "सिंह । 'माला। 'चरखी-। 'माला-युक्त ।