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वर्द्धमान
( ५२ ) ध्वजा, पताका, स्रग, तोरणादि से • सजा हुआ मदिर भूमि-पालका प्रतीत था गायन-नृत्य-वाद्य से धरित्रि मे सस्थित नाक-लोक-सा।
( ५३ ) महा-समारोह-मयी सभा लगे जुड़े कलाकार नृपाल-राज्य के, दिखा दिखा वे अपनी विशेषता सभी मनोरंजन में निमग्न थे। [ द्रुतविलवित ]
( ५४ ) यह समुत्सव आनन्द-उत्स' को प्रवल था करता इस भांति से जिस प्रकार सु-मूल्य सुवर्ण का शुचि-सुगंध बढा सकती सदा ।
[ वंशस्थ ]
( ५५ ) उसी घडी नर्तक एक आ वहां दिखा चला कोगल स्वीय नृत्य का, जिनेन्द्र-जन्मोत्सव-दृश्य बांध के मभी किये नाटक पूर्व-जन्म के ।
'स्वर्ग । 'करना।