________________
बर्द्धमान
( १९) नगल के निद्रित काम-नान को जगा रहे थे उन काल नेष यो अतीव श्री अजित-घोपण-नरी गो दिनाएं वह धो' नंता ।
(२०) निनन नारा अति-अंव-जन्य ने न-कन नीत-ज्वरगस्त हो गया । नहान नीरव पयोद-व्याज ने विहाय मेरुवल ओह सो गया।
(२१) जि निगलाभासित इन्द्रगोपन्न विरोगिनी के वहसत-वाल-सी. विराजती थी मगह में उतरलत
योगिनी-चित्रित-त्रल-तहसी।
जस्त्र धारा गिन्ती प्योर ने कलापियों के गानन्यालीन थे. अनी करेंगे स्ववा-ममूह के कृतान्नंग गत्तनम्मानित दुद की।