Book Title: Vaishali Institute Research Bulletin 1
Author(s): Nathmal Tatia
Publisher: Research Institute of Prakrit Jainology & Ahimsa Mujjaffarpur
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VAISHALI INSTITUTE RESEARCH BULLETIN NO. İ
दिशा में चिन्तन तथा प्रयोग किया । धर्मरहित राजनीति को उन्होंने अस्वीकार किया, तथा ऐसे धर्म को भी उन्होंने निरथंक माना जिसका उपयोग राजनीति में नहीं हो सके, वह राजनीति कैसी, जिसमें अहिंसा और सत्य जैसे धर्मों को स्थान न हो । एवं वह धर्म ही कैसा, जो सामाजिक, आर्थिक तथा अन्य राष्ट्रीय हितों के साधन में समर्थ न हो, धर्मं सभी परिस्थितियों में धर्म ही है, एवं अधमं सदेव अधर्म ही है । अहिंसा सदैव धर्म है, चाहे अहिंसा पालन में वह अहिंसक व्यक्ति हिंसा का पात्र बन जाय, अहिंसा की स्थापना के लिए की गई हिंसा भी हिंसा ही है । साध्य और साधन में वैषम्य गांधीजी ने स्वीकार नहीं किया, व्यावहारिक जीवन में गांधीजी के इस दर्शन का सफल प्रयोग शायद हुआ है । पर हिंसा शक्ति की निरर्थकता की अनुभूति हो इस दर्शन के सत्य को मानने में शायद कोई कठिनाई नहीं होगी ।
अभी तक सिद्ध नहीं
मूल में है,
इस
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