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धारिणी राणी का वर्णन
अर्थ - धन चार प्रकार का कहा गया है - यथा - गणिम - गिनने योग्य - जायफल, सुपारी, नारियल आदि। धरिम - तराजू में धरकर तोलने योग्य-गुड़, गेहूँ आदि धान्य। मेय - मापने योग्य - तेल, घी आदि। परिच्छेद्य - परीक्षा करने योग्य-रत्न, वस्त्र, हाथी, घोड़ा आदि।
धारिणी राणी का वर्णन ७-तस्सणंकोणियस्सरण्णो धारिणी णामं देवी होत्था।सुकुमाल-पाणि-पाया, अहीण-पडिपुण्ण-पंचिंदिय-सरीरा, लक्खण-वंजण-गुणोववेआमाणु-म्माण-प्पमाणपडिपुण्ण-सुजाय-सव्वंग-सुंदरंगी, ससि-सोमागार-कंत-पिय-दसणा, सुरूवा।
भावार्थ - उस कोणिक राजा की धारिणी नाम की राणी थी। उसके हाथ-पैर सुकोमल थे। पांचों इन्द्रियाँ और शरीर लक्षण की अपेक्षा से खामियों से रहित और स्वरूप की अपेक्षा से परिपूर्ण या पवित्र था। वह स्वस्तिक आदि लक्षण, तिल, मष आदि व्यंजन रूप गुणों से युक्त थी। मान, उन्मान और परिमाण से परिपूर्ण होने के कारण यथोचित अवयवों की रचना से उसके पैरों से लेकर मस्तक तक समस्त अङ्ग और उपाङ्ग बड़े सुन्दर थे अर्थात् उसका शरीर सर्वाङ्ग सुन्दर था। उसका आकार चन्द्र के समान सौम्य और दर्शन कान्त और प्रिय था। इस प्रकार उसका रूप बहुत सुन्दर था। गई विवेचन - प्रश्न - मान किसको कहते हैं ?
उत्तर - मनुष्य परिमाण जल से भरे हुए कुण्ड में मनुष्य को बिठाने पर उसमें से यदि द्रोण परिमाण जल बहकर कुण्ड से बाहर निकल जाय तो उस मनुष्य का उचित "मान" गिना जाता है।
लगभग एक सेर के बराबर तोल को एक प्रस्थ (पायली) माना जाता है। ऐसे चार प्रस्थ का एक आढक होता है और चार आढक का एक द्रोण होता है।
प्रश्न - उन्मान किसको कहते हैं ?
उत्तर - तराजू में तोला जाय और अर्ध भार प्रमाण तोल आवे उसको उन्मान युक्त मनुष्य कहा जाता है। मगध देश में प्रसिद्ध एक प्रकार के तोल को अर्धभार कहा है।
- परिमाण किसको कहते हैं ? उत्तर - अपने अङ्गल से एक सौ आठ अङ्गल परिमाण ऊँचाई वाला पुरुष परिमाण वाला
FRIA प्रकार धारिणी राणी मान, उन्मान और परिमाण युक्त थी।
करबल-परिमिय-पसत्थ-तिवलिय-वलिय-मज्झा, कुंडलुल्लिहिय गंडलेहा
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