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सिद्ध-स्तवना
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पल गया
प्रश्न - मरुदेवी माता और नाभिराजा के शरीर की अवगाहना कितनी थी ?
उत्तर - मरुदेवी माता के शरीर की अवगाहना ५०० धनुष की थी। नाभिराजा को कुलकर माना है इसलिए ग्रन्थकार उनके शरीर की अवगाहना ५२५ धनुष लिखते हैं।
प्रश्न - नाभिकुलकर का आयुष्य कितना था और वे काल धर्म को प्राप्त कर कहां गये थे?
उत्तर - नाभिकुलकर का आयुष्य एक करोड़ पूर्व से कुछ अधिक था और वे कुलकर रूप युगलिक थे। इसलिए काल करके वे देवलोक में गये अर्थात् भवनपति देवों में उत्पन्न हुये थे। वहाँ का आयुष्य पूरा करके मनुष्य रूप से उत्पन्न हुये और दीक्षा लेकर संयम का पालन करके भगवान् ऋषभदेव के शासन में ही मोक्ष में पधार गये।
प्रश्न - मरुदेवी माता का आयुष्य कितना था और उनकी शरीर की ऊँचाई कितनी थी। वे काल करके कहाँ गये?
उत्तर - मरुदेवी माता का आयुष्य एक करोड़ पूर्व था। उनके शरीर की ऊंचाई ५०० धनुष की थी। भगवान् ऋषभदेव को केवलज्ञान होने के एक अन्तर्मुहूर्त पहले केवलज्ञान प्राप्त कर तत्काल मोक्ष चले गये।
प्रश्न - मरुदेवी माता के लिए टीकाकार का लिखना यह है कि - "मरुदेवी तु आश्चर्यकल्पाइत्येवमपि न विरोधः।
सो क्या यह कहना ठीक है?
उत्तर - टीकाकार का उपरोक्त कथन ठीक नहीं है। क्योंकि मरुदेवी माता का मोक्षगमन आश्चर्य रूप नहीं है। स्थानांग सूत्र के दसवें ठाणे में दस आश्चर्य बताये गये हैं। उनमें मरुदेवी माता का मोक्ष गमन आश्चर्य नहीं बतलाया है और यह आश्चर्य है भी नहीं क्योंकि पण्णवणा सूत्र के प्रथम पद में सिद्धों के पन्द्रह भेद बताये हैं उसमें स्त्री लिंग सिद्ध भी बतलाया गया है। श्वेताम्बर परम्परा में स्त्री का मोक्ष गमन निराबाध रूप से मान्य है।
प्रश्न-क्या दिगम्बर सम्प्रदाय स्त्री की मुक्ति नहीं मानता है ?
उत्तर - हाँ ! दिगम्बर सम्प्रदाय स्त्री की मुक्ति नहीं मानता है, किन्तु उनके मान्य ग्रन्थों में स्त्री क मोक्ष बतलाया गया है यथा
श्री मन्नेमिचन्द्र सैद्धान्तिकचक्रवर्तिविरचित गोम्मटसार (जीवकाण्ड) पण्डित खूबचन्द जी जैन द्वारा रचित संस्कृत छाया तथा बालबोधिनी टीकासहित
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